Home / Odisha / सृष्टि के कल्याण को जो खुद प्रतिकुलताओं का विष पी ले वही है शिव

सृष्टि के कल्याण को जो खुद प्रतिकुलताओं का विष पी ले वही है शिव

  •  हमें जीवन की हर परिस्थिति में शांत एवं संतुलित रहने की कला सिखाती है शिव महापुराण की कथा

  •  सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा सम्पन्न

भद्रक. सात दिवसीय सामूहिक “श्री शिव महापुराण कथा” बड़े उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ. यह शिव महापुराण की कथा भद्रक में पहली बार आयोजित हुआ. सिर्फ 2-3 दिनों के अंदर इतने कम समय मे इतने बड़े अनुष्ठान का सफलतापूर्वक आयोजित होना किसी चुनोती से कम नहीं था, परंतु आयोजकों की भक्ति, भोलेनाथ के आशीर्वाद, कथा वाचक श्री मुकुंद कृष्ण जी महाराज, परम गुरु श्री रामदास जी महाराज की असीम अनुकंपा से बड़े उत्साह, जोश एवं ऊर्जा से साथ चरम्पा स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के निकट संपन्न हुई. श्री शिव महापुराण के माध्यम से शिव के व्यक्तित्व के भिन्न-भिन्न आयामों पर प्रकाश डाला गया. कथावाचक ने बताया कि “शं” का अर्थ कल्याण तथा “कर” का अर्थ करने वाला, जो सृष्टि के कल्याण के लिए खुद प्रतिकुलताओं का विष पी ले, वही शिव है. शिव महापुराण की कथा हमें जीवन की हर परिस्थिति में शांत एवं संतुलित रहने की कला सिखाती है. शिव सदैव स्थिर रहे. पार्वती का तप, गणेश से युद्ध अथवा कार्तिकेय का जन्म, शिव ने सदैव अपनी न्यायप्रियता एवं परोपकार को ही महत्व दिया. कथा के इन सात दिनों में महादेव-पार्वती विवाह, गणेश जन्मोत्सव, माता तुलसी-शालिग्राम जी विवाह जैसे विशेष कार्यक्रमों के साथ समापन हुआ. अंतिम दिवस में सभी दानदाताओं, आयोजकों, मार्ग दर्शकों के सहियोग के लिए आभार प्रकट किया गया एवं कथा वाचक भद्रक के ही श्री मुकुंद कृष्ण जी महाराज के आशीष के साथ कृतज्ञता ज्ञापन किया गया.

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