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वन माफियाओं के लिए काल बन गया है खरसेल

  •  शरीर को स्वस्थ रखने रोजाना सुबह शाम करता है व्यायाम

राजेश बिभार।

संबलपुर। अपने उग्र स्वभाव के लिए पूरे प्रदेश में परिचित खरसेल हाथी अब वन माफियाओं के लिए काल बन गया है। अपने शरीर को चुस्त एवं दुरूस्त करने के लिए खरसेल रोजाना सुबह-शाम व्यायाम करता है। इसके बाद पांच किलोमीटर का वॉक करने के बाद महानदी के पानी में अठखेलिया लगाता है। वन कर्मचारियों के साथ मिलकर डेबरीगढ़ अभयारण्य की सुरक्षा में उसने अपने आप को नियोजित कर दिया है। खरसेल के व्यक्त्वि में आए इस बदलाव से वन अधिकारी समेत अभयारण्य के आसपास रहनेवाले लोग भी आश्चर्यचकित हो उठे हैं। डेबरीगढ़ अभयारण्य में तैनात रेंजर उदित कुमार प्रधान से मिली जानकारी के अनुसार कुछ साल पहले खरसेल ने बलांगीर के खरसेल गांव समेत आसपास के गांवों में हलचल मचा दिया था। इस दौरान उन्होंने अनेकों लोगों को अपने पैर में कुचलकर मार दिया। जिसके बाद वन विभाग ने उसे चंदका अभयारण्य में स्थानांतरित कर दिया था। वहांपर वन अधिकारियों ने उसे विशेष प्रशिक्षण देना आरंभ। इसके बावजूद उसने चंदका अभयारण्य में भी कुछ लोगों की जान ले लिया। खरसेल के इस रवैए ने आसपास के गांवों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया था। अंतत: वन विभाग ने महावत नील भोई को खरसेल को शांत करने की जिम्मा सौंपा। नील भोई अपने प्रयासों में सफल हुआ और आज खरसेल के पूरे व्यक्तित्व को ही बदल डाला है। जब खरसेल अनुशासित हो गया तो उसे डेबरीगढ़ अभयारण्य स्थानांतरित कर दिया गया, तब से लेकर आजतक खरसेल डेबरीगढ़ अभयारण्य की शान बना हुआ है। हलांकी अब खरसेल उम्र की अंतिम पड़ाव में है, इसके बावजूद उसकी चुस्ती एवं दुरूस्ती युवा हाथियों से कम नहीं है। रेंजर श्री प्रधान ने बताया कि वन विभाग की ओर से खरसेल के स्वास्थ्य की नियमित देखभाल की जाती है। इसके तहत उसे नियमित व्यायाम कराया जाता है। दस से बारह किलोमीटर रोजना खरसेल वॉक पर निकलता है। सुबह शाम राशि की तेल से खरसेल के शरीर की मालिस की जाती है। तत्पश्चात उसे गेहूं, धान, केला, गुड़ एवं पेड़ों की ताजी पत्तियां खाने को दी जाती है। खास बात यह है कि खरसेल अन्य हाथियों के तरह अपने महावत नील भोई को सूंढ के सहारे अपने शरीर पर नहीं बिठाता, बल्कि अपने आगे के पैर से महावत को अपने शरीर के उपर बिठाता है। यह दृश्य अपने आप में आकर्षक होता है। इस दृश्य को देखने रोजाना डेबरीगढ़ अभयारण्य में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। पिछले कुछ माह मे डेबरीगढ़ अभयारण्य का कायाकल्प कर दिया गया है। सैलानियों की रहने एवं अन्य सहूलियतों की विशेष व्यवस्था की गई है। बाकी खरसेल की करतूतें लोगों के लिए बेहद सुहानेवाला पल साबित हो रहा है। वन विभाग के इस इंतजाम के लिए वन माफियाओं के आतंक मचा हुआ है। पहले की तुलना में डेबरीगढ़ अभयारण्य में वन माफियाओं की सक्रियता कम होने लगी है। शहर के सचेतन लोगों ने वन विभाग के इंतजामों पर खुशी जाहिर किया है।

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