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कोटिया सीमा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ओडिशा को राहत, आंध्र प्रदेश को झटका

  •  कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही को खारिज करने के अनुरोध को अदालत ने ठुकराया

भुवनेश्वर. कोटिया सीमा मामले को लेकर आज ओडिशा को बड़ी राहत उस समय मिली जब सुप्रीम कोर्ट में में आंध्र प्रदेश को झटका लगा. कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही को खारिज करने के अनुरोध को अदालत ने ठुकरा दिया है. उल्लेखनीय है कि आंध्र प्रदेश ने ओडिशा के कोरापुट जिले के कोटिया समेत कई सीमावर्ती जिलों में अपना कब्जा दाखिल करने का प्रयास किया था. इसके खिलाफ ओडिशा सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी थी.
आंध्र प्रदेश सरकार ने इसके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही के निपटारे के लिए अनुरोध किया था. उसमें कहा था कि दोनों राज्य एक राजनीतिक समाधान की ओर बढ़ रहे हैं. हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज कर दी. ओडिशा सरकार के वकील निरंजन साहू ने मीडिया को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत की अवमानना की कार्यवाही लंबित रहेगी. यदि दोनों राज्यों के बीच कोई सौहार्दपूर्ण समाधान नहीं होता है, तो यह देखने के लिए आगे बढ़ेगा कि आंध्रप्रदेश ने अवमानना किया है या नहीं. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए जनवरी का पहला सप्ताह तय किया है. इससे पहले शुक्रवार को ओडिशा और आंध्र प्रदेश की सरकारों ने अपने-अपने पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा था. ओडिशा ने कहा कि मुख्यमंत्री स्तर की चर्चा पहले ही हो चुकी है और गतिरोध को समाप्त करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है और रिपोर्ट एकत्र की जा रही है. दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश ने कहा कि दोनों राज्य राजनीतिक स्तर पर समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं.
विशेष रूप से ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और उनके आंध्र प्रदेश के समकक्ष वाईएस जगन मोहन ने 9 नवंबर को भुवनेश्वर में एक बैठक की थी. बाद में दोनों सरकारों ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की एक उच्च स्तरीय समिति के गठन पर एक संयुक्त बयान जारी किया था.
इस निर्णय के अनुसार, ओडिशा सरकार ने 24 नवंबर को राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति का गठन किया. यह विवादास्पद कोटिया गांवों सहित सभी बकाया सीमा विवादों को समाप्त करने के तरीके खोजने के लिए आंध्र प्रदेश द्वारा नामित अधिकारियों के साथ चर्चा करेगी.
उल्लेखनीय है कि ओडिशा सरकार ने 10 फरवरी को कोटिया सीमा मुद्दे पर आंध्र प्रदेश सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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