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सरकार ने और सात भ्रष्ट अधिकारियों को जबरन भेजा घर

  •  ओडिशा में अब तक 104 लोग हो चुके हैं जबरन सेवानिवृत्त

साभार – शेषनाथ राय, भुवनेश्वर
भ्रष्ट एवं लापरवाह अधिकारियों को हटाने का मानों संकल्प ले चुकी ओडिशा सरकार ने आज फिर 7 भ्रष्ट अधिकारियों को पुन: जबरन सेवानिवृत्ति का पत्र थमा दिया है. इन्हें मिलाकर सरकार अब तक 104 लोग जबरन सेवानिवृत्त हो चुके हैं. आज जिन 7 लोगों को जबरन सेवानिवृत्त किया गया है, उसमें एक जेल डीआईजी, एक कमांडेंट, एक डीएसपी, एक डिप्टी कमांडेंट तथा दो खदान अधिकारी एवं एक सीडीपीओ शामिल हैं. लापरवाह एवं भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है. पिछले एक साल में 104 लापरवाह एवं भ्रष्ट अधिकारियों को नवीन सरकार ने सरकारी नौकरी से विदा किया है. 30 दिसम्बर को राज्य सरकार ने 6 भ्रष्ट अधिकारियों जबरन सेवानिवृत्त कर दिया था.
जबरन सेवानिवृत्ति पाने वाले अधिकारियों में जेल विभाग के डीआईजी गोपबन्धु मलिक, डीएसपी गौतम मलिक, ओडिशा सशस्त्र पुलिस सेवा कमांडेंट एकांत प्रिय नायक, जूनियर खदान अधिकारी सत्यव्रत राउत, ओडिशा सशस्त्र पुलिस सेवा के डिप्टी कमांडेंट देवेन्द्र नाथ बेहरा, जूनियर खदान अधिकारी रमेश चन्द्र पंडा एवं कोरापुट नंदपुर के सीडीपीओ स्निग्धाराणी मिश्र शामिल हैं.
डीआईजी गोपबन्धु मलिक जेल वार्ड के चयन के लिए बनी कमेटी के मुख्य के तौर पर काम करते हुए अपने पद का दुरूपयोग कर चयन प्रक्रिया में पक्षपात किया था. जेल विभाग में उनका कार्यकलाप संतोषजनक नहीं था एवं उनकी इमानदारी पर भी संदेह था.
स्निग्धाराणी कोरापुट नंदपुर के सीडीपीओ के तौर पर कार्य करते समय उनके नाम पर दो विजिलेंस मामला था. 2016 में 80 लाख रुपये आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में मुकदमा दायर किया गया था. अक्टूबर 2020 छत्तु के बिल के लिए स्वयं सहायक समुह के एक सदस्य से 1 लाख 75 हजार रुपये घुस लेते पकड़े गए थे और उन्हें नौकरी से निलंबित कर दिया गया था.
ओडिशा सशस्त्र पुलिस सेवा में कार्यरत एकांत प्रिय नायक पर अपने नीचे कार्य करने वाले कर्मचारी के साथ मारपीट करने का आरोप है. ऐसे में उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है एवं उन्हें नौकरी से निलंबित किया गया है. एक शराबी तथा अयोग्य अधिकारी के तौर पर उनके ऊपर कई आरोप हैं.
डीएसपी गौतम मलिक के खिलाफ दो फौजदारी मामला है और उन्हें नौकरी से निलंबित कर दिया गया है. उनकी इमानदारी पर संदेह था.
ओडिशा सशस्त्र पुलिस सेवा के डिप्टी कमांडेंट के तौर पर कार्य करने वाले देवेन्द्र नाथ बेहेरा के नाम पर जंगल से लकड़ी चोरी करने के आरोप में फौजदारी मामला दर्ज है. सरकारी गाड़ी में अपने निचले कर्मचारियों से जबरन लकड़ी चालान करवाने के खिलाफ कार्रवाई की गई है.
जूनियर खदान अधिकारी सत्यव्रत राउत के खिलाफ 5 विजिलेंस मामला है. उनकी इमानदारी पर संदेह था. दायित्व में लापरवाही, दुर्व्यवहार आदि गम्भीर आरोप में उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई पहले से की गई है. वर्तमान में ये निलंबित हैं.
जूनियर खदान अधिकारी रमेश चन्द्र पंडा के खिलाफ 3 विजिलेंस मामला है. उनकी इमानदारी पर संदेह होने के साथ ही दायित्व में उपेक्षा एवं दुर्व्यवहार जैसे गम्भीर मामले हैं. यह भी वर्तमान समय में निलंबित चल रहे हैं.

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