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जिंदगियां संभालना भी होता है मैनेजमेंट का मतलब – मोदी

  •  उज्ज्वला योजना की सफलता को उदाहरण के रूप में दिखाया

संबलपुर. आईआईएम संबलपुर, ओडिशा के स्थायी परिसर के शिलान्यास समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे यहां एक परंपरा बन गई थी कि समस्या समाधान के लिए शॉर्ट टर्म अप्रोच अपनाई जाए. देश अब उस सोच से बाहर निकल गया है. अब हमारा जोर तात्कालिक जरूरतों से भी आगे बढ़कर लॉंग टर्म सोल्यूशन पर है और इसमें मैनेजमेंट का भी एक बहुत अच्छा सबक सीखने को मिलता है. हमारे बीच में अरुंधति जी मौजूद हैं. देश में गरीबों के लिए जनधन खातों के लिए किस तरह की प्लानिंग हुई, किस तरह क्रियान्वयन हुआ, इसका मैनेजमेंट किया गया, इस पूरे प्रोसेस की तो वो भी गवाह रही हैं, क्यों कि उस समय वो बैंक सम्भाअलती थीं. जो गरीब, कभी बैंक के दरवाजे तक नहीं जाता हो, ऐसे 40 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक अकाउंट खोलना, इतना भी आसान नहीं है. और ये बातें मैं आपको इसलिए बता रहा हूं क्योंकि मैनेजमेंट का मतलब बड़ी-बड़ी कंपनियां संभालना ही नहीं होता. सच्चेे अर्थ में तो भारत जैसे देश के लिए मैनेजमेंट का मतलब जिंदगियां संभालना भी होता है. मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं और ये इसलिए अहम है, क्योंकि ओडिशा के ही संतान भाई धर्मेंद्र प्रधान जी की इसमें बड़ी भूमिका रही है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में रसोई गैस, आजादी के करीब-करीब 10 साल बाद आ ही गई थी, लेकिन बाद के दशकों में रसोई गैस एक लक्जरी बन गई. रहीसी लोगों की प्रतिष्ठाी बन गई. लोगों को एक गैस कनेक्शन के लिए इतने चक्कर लगाने पड़ते थे, इतने पापड़ बेलने पड़ते थे और फिर भी उन्हें गैस नहीं मिलती थी. हालत ये थी कि साल 2014 तक, आज से 6 साल पहले, 2014 तक देश में रसोई गैस की कवरेज सिर्फ 55 परसेंट थी. जब अप्रोच में परमानेंट सॉल्यूशन का भाव न हो तो यही होता है. 60 साल में रसोई गैस की कवरेज सिर्फ 55 परसेंट. अगर देश इसी रफ्तार से चलता तो सबको गैस पहुंचने में ये शताब्दी भी आधी और बीत जाती. 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद हमने तय किया कि इसका परमानेंट सॉल्यूशन करना ही होगा. आप जानते हैं आज देश में गैस करवेज कितनी है? 98 प्रतिशत से भी ज्यादा. और यहां मैनेजमेंट से जुड़े आप सभी लोग जानते हैं कि शुरुआत करके थोड़ा बहुत आगे बढ़ना आसान होता है. असली चैलेंज होता है कवरेज को 100 परसेंट बनाने में. फिर सवाल ये है कि हमने ये कैसे प्राप्ति किया, कैसे अचीव किया? ये आप मैनेजमेंट के साथियों के लिए बहुत अच्छी केस स्टडी है. हमने एक तरफ प्रॉबलम को रखा, एक तरफ परमानेंट सॉल्यूशन को रखा. चुनौती थी नए डिस्ट्रिब्यूटर्स की. हमने 10 हजार नए गैस डिस्ट्रिब्यूटर कमीशन किए. चुनौती थी बॉटलिंग प्लांट कपैसिटी की. हमने देशभर में नए बॉटलिंग प्लांट लगाए, देश की क्षमता को बढ़ाया. चुनौती थी इम्पोर्ट टर्मिनल कैपिसिटी की. हमने इसे भी सुधारा. चुनौती थी पाइप लाइन कैपीसिटी की. हमने इस पर भी हजारों करोड़ रुपये खर्च किए और आज भी कर रहे हैं. चुनौती थी गरीब लाभार्थियों के चयन की. हमने ये काम भी पूरी पारदर्शिता से किया, विशेष तौर पर उज्जवला योजना शुरू की. परमानेंट सॉल्यूशन देने की इसी नीयत का नतीजा है कि आज देश में 28 करोड़ से ज्यादा गैस कनेक्शन हैं. 2014 से पहले देश में 14 करोड़ गैस कनेक्शन थे. उन्होंने कहा कि सोचिए, 60 साल में 14 करोड़ गैस कनेक्शन. हमने पिछले 6 वर्षों में देश में 14 करोड़ से ज्यादा गैस कनेक्शन दिए हैं. अब लोगों को रसोई गैस के लिए भागना नहीं पड़ता, चक्कर नहीं लगाना पड़ता. यहां ओडिशा में भी उज्ज्वला योजना की वजह से करीब-करीब 50 लाख गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन मिला है. इस पूरे अभियान के दौरान देश ने जो कपैसिटी बिल्डिंग की, उसी का नतीजा है कि ओडिशा के 19 जिलों में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क तैयार हो रहा है. ये उदाहरण मैंने आपको इसलिए भी समझाया क्योंकि जितना आप देश की जरूरतों से जुड़ेंगे, देश की चुनौतियों को समझेंगे, उतने ही अच्छे मैनेजर्स भी बन पाएंगे और उतने ही अच्छेो उत्तम सौल्यूयशंस भी दे पाएंगे.

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