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“धर्मांतरण और आरक्षण” पर दो दिवसीय परिचर्चा 4-5 मार्च को नोएडा में;

  • देश भर से जुटेंगे विधिवेता, शिक्षाविद, शोध छात्र एवमं स्वयंसेवी संगठन

नई दिल्ली। धर्मान्तरित अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए अथवा नहीं, इस विषय पर चर्चा-परिचर्चा हेतु दो दिवसीय विमर्श का आयोजन किया जा रहा है। इसकी जानकारी देते हुए कार्यक्रम के संयोजक व जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय में सहायक प्रोफेसर डॉ प्रवेश चौधरी ने बताया कि इस राष्ट्रीय बौद्धिक विमर्श में देश भर के विधिवेता, शिक्षाविद, शोध छात्र एवमं स्वयं सेवी संगठन भी शामिल हो रहे है। हम सब को विदित है की यह विषय सर्वोच्च न्यायालय के विचाराधीन है। इस पर समाज की राय जानने हेतु, सरकार ने पूर्व न्यायाधीश श्री के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन भी किया है। इसी पर विचार विमर्श हेतु आगामी 4 और 5 मार्च 2023 को ग्रेटर नॉएडा स्थित गौतम बुद्ध विश्वविधालय में देश भर के बौद्धिक जगत के नाम-चीन लोग जुटेंगे। विषय है- धर्मांतरण और आरक्षण: के जी बालाकृष्णन आयोग के विशेष सन्दर्भ में. इस दो दिवसीय परिचर्चा में हमारा प्रयास है कि धर्मांतरण और आरक्षण पर बिन्दुवार चर्चा हो। धर्मान्तरित इसाई एवं मुसलमानों को आरक्षण मिले अथवा न मिले इसको लेकर सच्चर कमिटी, रंगनाथ मिश्रा आयोग के गठन और उसकी अनुसंसा के बाद देश में अनुसूचित जाति के बंधुओ के मध्य एक उहा-पुह की स्थिति का निर्माण हुआ है। समाज में इस पर एक विस्तृत विमर्श भी हो रहा है।
कुछ लोगों का मानना है कि धर्मान्तरित इसाई एवमं मुसलमान हिन्दू धर्म से धर्मान्तरित होने के बावजूद भी अपने सामाजिक स्तर में कोई परिवर्तन नहीं पाते है। रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों पर, उसकी वैधता, अध्यन, अध्यन की पद्धति, समय अवधि को लेकर समाज में तमाम प्रश्न खड़े हुए है। वहीं देश का बहुसंख्यक समाज यह मानता है की अनुसूचित जाति जिनका धर्म हिन्दू है, ऐसे लोगों को ही तमाम संविधान प्रदत्त सुविधाएँ, प्रतिनिधित्व एवमं आरक्षण मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में भारत सरकार ने इन्हीं प्रश्नों के समाधन हेतु के. जी बालाकृष्णन आयोग का गठन किया है। ऐसे में समाज के बौद्धिक वर्ग को एक स्वतंत्र मंच देने के लिए ही यह विमर्श आयोजित किया जा रहा है। इस विमर्श की विशेषता यह है कि इसमें सम्पूर्ण भारत के प्रत्येक राज्य के विश्व-विद्यालयों में पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर, स्कूलों के डीन, विभाग अध्यक्ष, कुलपति, शोधार्थी एवमं गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे है। इसमें कई पूर्व न्यायाधीश एवमं वरिष्ठ अधिवक्ता भी सहभागी हो रहे है। विश्व संवाद केंद्र एवमं गौतम बुद्ध विश्वविधालय के संयुक्त प्रयास से आयोजित होने वाले इस विमर्श से निश्चित ही कुछ ऐसे बिन्दु निकलकर आयेंगे जो देश की अखंडता और सामाजिक समरसता के हितार्थ होंगे।
प्रेस वार्ता में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्व-विद्यालय के प्रोफेसर डॉ कौशल पँवार तथा विश्व संवाद केंद्र के श्री विजय शंकर तिवारी भी सामिल थे।

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