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कश्मीर में अल्पसंख्यकों की हत्याओं में शामिल सभी आतंकी मॉड्यूल निष्प्रभावी: एडीजीपी कश्मीर

  • आतंकवाद के डर को जीवित रखने की कोशिश में जुटी है आईएसआई: डीजीपी दिलबाग सिंह

गांदरबल, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) कश्मीर विजय कुमार ने कहा कि पिछले तीन वर्ष में कश्मीर में अल्पसंख्यक नागरिक हत्याओं में शामिल आतंकवादियों के सभी मॉड्यूल को निष्प्रभावी कर दिया गया है। अब केवल एक बचा आतंकी बचा है, उसे भी जल्द ही निष्प्रभावी कर दिया जाएगा।
एडीजीपी कश्मीर विजय कुमार यहां गांदरबल में पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शोपियां के दक्षिणी जिले के मुंझ मार्ग इलाके में मुठभेड़ में मारे गए तीन आतंकियों में लश्कर-ए-तैयबा का एक वांछित सदस्य शामिल है। मारे गए आतंकियों में से एक पुराने शहर बारामूला का एक नया रंगरूट था।
एडीजीपी कश्मीर ने कहा कि मारे गए तीन आतंकियों में से दो स्थानीय आतंकी हैं, जिनकी पहचान शोपियां निवासी लतीफ लोन और अनंतनाग निवासी उमेर नजीर के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि लतीफ चौधरीगुंड में कश्मीरी पंडित पुरन कृष्ण भट की हत्या में शामिल था। उमर नजीर बॉन डायलगाम अनंतनाग में नेपाली मजदूर तिल बहादुर थापा की हत्या में शामिल था। उन्होंने कहा कि मुठभेड़ स्थल से एक एके 47 राइफल और दो पिस्तौल बरामद किए गए हैं।
एडीजीपी कुमार ने बताया कि मारा गया तीसरा आतंकी पुराने शहर बारामुला का था, आतंकियों के ग्रुप में नया भर्ती हुआ था। उन्होंने कहा कि कश्मीर में अल्पसंख्यकों की हत्या में शामिल सभी आतंकियों को मार गिराया गया है और केवल एक ही बचा है, जिसका नाम आदिल वानी है और उसका पता लगाया जा रहा है।

इस मौके पर मौजूद डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि कश्मीर घाटी में अगले चार महीनों में स्थिति में और सुधार होगा, क्योंकि सुरक्षा बलों ने मंगलवार को शोपियां में एक मुठभेड़ में एक रंगरूट सहित तीन आतंकियों को मार गिराया है। उन्होंने कहा कि इस समय कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति सबसे शांतिपूर्ण है। डल झील और अधिक सुंदर दिख रही है और तापमान में गिरावट के बावजूद पर्यटक आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ आतंकी मॉड्यूल आतंकवाद को बनाए रखने के लिए सक्रिय हैं, जबकि संगठनों का कुल मिलाकर सफाया हो गया है।

डीजीपी ने कहा कि हर गुजरते दिन के साथ सुरक्षा की स्थिति में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगले तीन से चार महीनों में स्थिति और शांतिपूर्ण होगी। टीआरएफ की धमकियों के सवाल पर डीजीपी ने कहा कि यह आतंकवाद के डर को जीवित रखने की रणनीति है और यह सब आईएसआई द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये लोग गैर-स्थानीय लोगों, अल्पसंख्यकों और मासूमों को निशाना बना रहे हैं। पाकिस्तान यह तय नहीं कर सकता कि कश्मीर में कौन रहेगा। यह जम्मू-कश्मीर सरकार है, जो यह तय करेगी कि यहां काम करने के लिए किसे कश्मीर में रहना है।
डीजीपी ने कहा कि स्थानीय और विदेशियों की तुलना में आतंकियों के आंकड़े दो अंकों में हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद विरोधी अभियान हर हफ्ते चल रहे हैं। आतंकवाद के शेष तत्वों को बहुत जल्द साफ कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना है कि तापमान में गिरावट को देखते हुए छिपे हुए कुछ बचे हुए आतंकी अपना आधार बदल सकते हैं और रिहायशी इलाकों में जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम बगीचों के साथ-साथ जंगलों में भी आतंकियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।
साभार-हिस

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