Home / National / केन्‍द्रीय बजट- देशभर में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा

केन्‍द्रीय बजट- देशभर में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा

  • वर्ष 2021-22 के दौरान गेहूं और धान की खरीद पर 163 लाख किसानों को 2.37 लाख करोड़ रुपए एमएसपी मूल्य का सीधा भुगतान

  • किसानों को डिजिटल और हाइटेक सेवाएं प्रदान करने के लिए पीपीपी मोड में एक योजना शुरु की जाएगी

  • कृषि और ग्रामीण उद्यमों से संबंधित स्टार्ट-अप्स के वित्त पोषण के लिए कोष की शुरुआत की जाएगी

  • केन-बेतवा लिंक परियोजना से 9.08 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को लाभ पहुंचेगा

  • ‘किसान ड्रोन’ के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा

  • कदन्न उत्पादों के मूल्यवर्धन और ब्रांडिंग पर अत्यधिक ध्यान केन्द्रित किया जाएगा

  • तिलहनों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए व्यापक योजना लागू की जाएगी

नई दिल्ली. केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में केन्‍द्रीय बजट 2022-23 पेश करते हुए कहा कि रबी 2021-22 में गेहूं की खरीद व खरीफ 2021-22 में धान की अनुमानित खरीद में 163 लाख किसानों से 1208 लाख मीट्रिक टन गेहूं एवं धान शामिल होगा तथा एमएसपी मूल्य के 2.37 लाख करोड़ रुपए का भुगतान सीधा किसानों के खाते में किया जाएगा।

किसानों के लिए डिजिटल और हाइटेक सेवाएं

वित्त मंत्री ने कहा कि पीपीपी मोड में एक नई योजना शुरू की जाएगी जिसके तहत किसानों को डिजिटल और हाइटेक सेवाएं प्रदान की जाएंगी। इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसंधान और विस्तार संस्थाओं के साथ-साथ निजी कृषि प्रौद्योगिकी कंपनियां और कृषि मूल्य श्रृंखला के हितधारक शामिल होंगे।

कृषि और ग्रामीण उद्यम के लिए स्टार्ट-अप कोष

कृषि क्षेत्र में स्टार्ट-अप व्यवस्था पर जोर देते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि सह-निवेश मॉडल के अंतर्गत सृजित मिश्रित पूंजीयुक्त कोष के लिए नाबार्ड से सहायता प्रदान की जाएगी। इस कोष का उद्देश्य ‘कृषि उत्पाद मूल्य श्रृंखला के लिए उपयुक्त कृषि और ग्रामीण उद्यमों से संबंधित स्टार्ट-अप्स का वित्त पोषण करना’ होगा। इन स्टार्ट-अप्स के क्रियाकलापों में अन्य बातों के अलावा किसानों को फॉर्म स्तर पर किराये के आधार पर विकेन्द्रीकृत मशीनरी उपलब्ध कराना, एफपीओ के लिए आईटी आधारित सहायता उपलब्ध कराना जैसे कार्य शामिल होंगे।

केन बेतवा लिंक परियोजनाएं

वित्त मंत्री ने कहा, “44,605 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से केन-बेतवा लिंक परियोजना को लागू किया जाएगा।” इस योजना का उद्देश्य 9.08 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना है। यह परियोजना 62 लाख लोगों के लिए पेयजल की आपूर्ति करने के अलावा 103 मेगावाट हाइड्रो और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए संशोधित अनुमान 2021-22 में 4,300 करोड़ रुपए और 2022-23 में 1,400 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। उन्होंने कहा कि पांच रीवर लिंक्स तथा दमनगंगा-पिनजाल, पार-तापी-नर्मदा, गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार-कावेरी के ड्राफ्ट डीपीआर को अंतिम रूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे लाभान्वित होने वाले राज्यों के बीच इन पर सहमति कायम होते ही केन्द्र सरकार इनके क्रियान्वयन के लिए सहायता जारी कर देगी।

किसान ड्रोन

नई प्रौद्योगिकी के उपयोग को रेखांकित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि फसलों का आकलन करने, भूमि दस्तावेजों का डिजिटीकरण करने, कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव करने के लिए ‘किसान ड्रोन्स’ के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।

रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती

बजट में रसायनों का उपयोग न करके प्राकृतिक खेती पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया है। “देशभर में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा जिसके प्रथम चरण में गंगा नदी से सटे पांच किमी चौड़े गलियारों (कोरिडोर्स) के अंतर्गत आने वाली किसानों की जमीनों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।”

कदन्न उत्पादों के लिए सहायता

बजट में फसल के उपरान्त मूल्य संवर्धन, घरेलू खपत को बढ़ाने तथा कदन्न उत्पादों की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांड्रिंग करने के लिए प्रावधान किया गया है।

तिलहनों के उत्पादन के लिए योजना

वित्त मंत्री ने घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए समग्र योजना के कार्यान्वयन की घोषणा की है। उन्होंने कहा, “तिलहनों के आयात पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए तिलहनों के घरेलू उत्पादन को बढाने के उद्देश्य से एक तर्कसंगत और व्यापक योजना लागू की जाएगी।”

खाद्य प्रसंस्करण

वित्त मंत्री ने घोषणा की कि “फलों और सब्जियों की उपयुक्त किस्मों को अपनाने” तथा “उत्पादन और फसल कटाई की यथोचित तकनीक का प्रयोग करने” के लिए किसानों की सहायता करने हेतु केन्द्र सरकार, राज्यों सरकारों की भागीदारी से एक व्यापक पैकेज प्रदान करेगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों को अपने कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में संशोधन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि वे प्राकृतिक, जीरो-बजट और ऑर्गेनिक कृषि, आधुनिक कृषि, मूल्य संवर्धन एवं प्रबंधन की जरूरतों को पूरा कर सके।

Share this news

About desk

Check Also

MODI

पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश बनाना चाहती हैं ममता : नरेंद्र मोदी

उत्तर प्रदेश को भी पश्चिम बंगाल बनाना चाहते हैं अखिलेश यादव पुरानी बुआ ने किया …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *