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डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता का संकल्प पुरानी स्थितियों को बदलने का सशक्त मार्ग – मोदी

जम्मू. सैनिकों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि इस समय देश अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहा है. आजादी का अमृत महोत्‍सव गुलामी के लंबे कालखंड में असंख्य बलिदान देकर हमने ये आजादी हासिल की है. इस आज़ादी की रक्षा करने का दायित्व हम सभी हिन्‍दुस्‍तानियों के सर पे है, हम सबकी जिम्‍मेवारी है. आज़ादी के अमृतकाल में हमारे सामने नए लक्ष्य हैं, नए संकल्प हैं, नई चुनौतियाँ भी हैं. ऐसे महत्‍वपूर्ण कालखंड में आज का भारत अपनी शक्‍तियों को लेकर भी सजग है और अपने संसाधनों को लेकर भी. दुर्भाग्य से, पहले हमारे देश में सेना से जुड़े संसाधनों के लिए ये मान लिया गया था कि हमें जो कुछ भी मिलेगा विदेशों से ही मिलेगा! हमें तकनीकी के मामले में झुकना पड़ता था, ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते थे. नए हथियार, नए उपकरण खरीदने होते थे तो प्रक्रिया सालों-साल चलती रहती थी. यानी एक अफसर फाईल शुरू करे, वो अवकाश हो जाए, तब तक भी वो चीज नहीं पहुंचती थी, ऐसा ही कालखंड था. नतीजा ये कि जरूरत के समय हथियार आपाधापी में ख़रीदे जाते थे. यहाँ तक कि कल-पुर्जे के लिए भी हम दूसरे देशों पर निर्भर रहते थे.

मोदी ने कहा कि डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता का संकल्प उन पुरानी स्थितियों को बदलने का एक सशक्त मार्ग है. देश के रक्षा खर्च के लिए जो बजट होता है, अब उसका करीब 65 प्रतिशत देश के भीतर ही खरीद पर खर्च हो रहा है. हमारे देश ये सब कर सकता है, करके दिखाया है. एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए अब भारत ने ये भी तय किया है कि 200 से ज्यादा साजो-सामान और उपकरण अब देश के भीतर ही खरीदे जाएंगे. आत्‍मनिर्भर भारत का यही तो संकल्‍प है. अगले कुछ महीनों में इसमें और सामान जुड़ने वाले हैं, देश को आत्मनिर्भर बनाने वाली ये पॉजिटिव लिस्ट और लंबी हो जाएगी. इससे देश का डिफेंस सेक्टर मजबूत होगा, नए नए हथियारों, उपकरणों के निर्माण के लिए निवेश बढ़ेगा.

मोदी ने कहा कि आज हमारे देश के भीतर अर्जुन टैंक बन रहे हैं, तेजस जैसे अत्याधुनिक लाइट कॉम्बैट एयर-क्राफ़्ट बन रहे हैं. अभी विजयदशमी के दिन 7 नई डिफेंस कंपनियों को भी राष्ट्र को समर्पित किया गया है. हमारी जो ऑर्डिनेन्स फ़ैक्ट्रीज़ थीं, वो अब विशेषज्ञ सेक्टर में आधुनिक रक्षा उपकरण बनाएँगी. आज हमारा प्राइवेट सेक्टर भी राष्ट्र रक्षा के इस संकल्प का सारथी बन रहा है. हमारे कई नए डिफेन्स स्टार्ट-अप आज अपना परचम लहरा रहें हैं. हमारे नौजवान 20, 22, 25 साल के नौजवान क्‍या-क्‍या चीजें लेकर के आ रहे हैं जी, गर्व होता है.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में बन रहे डिफेंस कॉरिडोर इस स्पीड को और तेज करने वाले हैं. ये सारे कदम जो आज हम उठा रहे हैं, वो भारत के सामर्थ्य के साथ-साथ डिफेंस एक्सपोर्टर के रूप में हमारी पहचान को भी सशक्त करने वाले हैं.

उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है-

को अतिभारः समर्थानाम.

यानि जो समर्थ होता है, उसके लिए अतिभार मायने नहीं रखता, वो सहज ही अपने संकल्पों को सिद्ध करता है. इसलिए आज हमें बदलती दुनिया, युद्ध के बदलते स्वरूप के अनुसार ही अपनी सैन्यशक्ति को बढ़ाना है. उनको नए ताकत के साथ ढालना भी है. हमें अपनी तैयारियों को दुनिया में हो रहे इस तेज़ परिवर्तन के अनुकूल ही ढालना ही होगा. हमें मालूम है किसी समय हाथी-घोड़े पर लड़ाईयां होती थी, अब कोई सोच नहीं सकता हाथी-घोड़े की लड़ाई, रूप बदल गया. पहले शायद युद्ध के रूप बदलने में दशकों लग जाते होंगे, शताब्‍दियां लग जाती होंगी. आज तो सुबह एक तरीका होगा तो शाम को दूसरा तरीका होगा लड़ाई का, इतनी तेजी से तकनीकी अपनी जगह बना रही है. आज की युद्धकला सिर्फ ऑपरेशन्स के तौर-तरीकों तक ही सीमित नहीं है. आज अलग-अलग पहलुओं में बेहतर तालमेल, तकनीकी और हाईब्रिड टैक्टिस का उपयोग बहुत बड़ा फर्क डाल सकता है. संगठित नेतृत्व, एक्शन में बेहतर समन्वय आज बहुत ज़रूरी है. इसलिए बीते समय से हर स्तर पर लगातार रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं. सीडीएस की नियुक्ति हो या डीएमए का गठन, ये हमारी सैन्यशक्ति को बदलते समय के साथ कदमताल करने में अहम रोल निभा रहे हैं.

आधुनिक बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर भी हमारी सैन्य ताकत को और मजबूत करने वाला है. सीमावर्ती इलाकों की कनेक्टिविटी को लेकर पहले कैसे काम होता था, ये आज देश के लोग, आप सभी भली-भांति जानते हैं. अब आज लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक, जैसलमेर से लेकर अंडमान निकोबार द्वीप तक, हमारे बॉर्डर एरियाज़ में जहां सामान्य कनेक्टिविटी भी नहीं होती थी, आज वहां आधुनिक रोड, बड़ी-बड़ी सुरंगें, पुल और ऑप्टिकल फाइबर जैसे नेटवर्क बिछाए जा रहे हैं. इससे हमारी डिप्लॉयमेंट कैबेबिलिटी में तो अभूतपूर्व सुधार हुआ ही है, सैनिकों को भी अब बहुत अधिक सुविधा हो रही है.

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