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कश्मीर में अल्पसंख्यकों की हत्या के मामले में एनआईए ने चार को किया गिरफ्तार

श्रीनगर, कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदायों के नागरिकों की हत्या के कुछ दिनों बाद ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को श्रीनगर जिले के विभिन्न क्षेत्रों से अलग-अलग आतंकवादी संगठनों के चार ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) को गिरफ्तार किया है।

एनआईए के एक प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि आरोपित वसीम अहमद सोफी निवासी छत्ताबल श्रीनगर, तारिक अहमद डार शेरगढ़ी श्रीनगर, बिलाल अहमद मीर उर्फ बिलाल फूफू, परिमपोरा श्रीनगर और तारिक अहमद बफांडा रजौरी कदल श्रीनगर को मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर, पुलवामा और शोपियां जिलों में 16 विभिन्न स्थानों पर छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया। उन्होंने आगे बताया कि 10 अक्टूबर को दर्ज किए गए मामले जिसमें सिख और हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के दो शिक्षकों की स्कूल परिसर के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इससे पहले कश्मीरी पंडित केमिस्ट माखन लाल बिंदू और बिहार के एक गैर-स्थानीय विक्रेता वीरेंद्र पासवान की भी श्रीनगर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जबकि बांड़ीपोरा जिले के शाहगुंड हाजिन इलाके में नायदखाई में स्थानीय कैब चालक संघ के अध्यक्ष मोहम्मद शफी लोन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इन्हीं मामलों को लेकर यह छापेमारी की जा रही है।

उन्होंने बताया कि विभिन्न आतंकी संगठनों, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद के कैडरों, हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, अल बद्र, द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ ) आदि से संबंधित आतंकी तथा उनके सहयोगी (ओजीडब्ल्यू) पड़ोसी देश में स्थित अपने आकाओं और कमांडरों के साथ मिलकर साजिश रच रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक देकर स्थानीय युवाओं को भर्ती करने और प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से उन्हें कट्टरपंथी बनाने के लिए आतंकी संगठनों में शामिल किया जा रहा है। इन आतंकवादी संगठनों और इनसे संबंधित कैडर ने कई निर्दाेष नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों की हत्या सहित कई आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया और कश्मीर की घाटी में आतंक फैलाया है।
प्रवक्ता के अनुसार कल की गई तलाशी के दौरान कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जिहादी दस्तावेज, संदिग्ध वित्तीय लेनदेन के रिकॉर्ड जब्त किए गए हैं।

प्रारंभिक जांच से पता चला है कि गिरफ्तार किए गए आरोपित और अन्य व्यक्ति विभिन्न प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के आतंकवादी सहयोगी ( ओजीडब्ल्यू) हैं और आतंकवादियों को उनके नापाक मंसूबों में साजो-सामान और भौतिक सहायता प्रदान कर रहे हैं। मामले में आगे की जांच जारी है।
साभार-हिस

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