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भारत दुनिया में अंडा उत्पादन में तीसरे और मांस उत्पादन में 8वें स्थान पर : रूपाला

एएचडी किसानों के लिए 27.65 लाख से अधिक नए किसान क्रेडिट कार्ड स्वीकृत किए गए

इण्डो एशियन टाइम्स, नई दिल्ली।

भारत के पास पशुधन और मुर्गी पालन के विशाल संसाधन है, जो ग्रामीण जनता की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पशुधन आजीविका कमाने काएक महत्वपूर्ण रूप ग्रहण करता है, यह आय में वृद्धि करता है, रोजगार के अवसर प्रदान करता है। पशुपालन के माध्यम से कृषि में विविधताग्रामीण आय में वृद्धि के प्रमुख चालकों में से एक है।

केंद्रीय मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला ने  मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि पशुपालन और डेयरी विभाग ने प्रति पशु उत्पादकता में सुधार के लिए पिछले नौ वर्षों के दौरान अनेक महत्वपूर्ण पहल की हैं। उत्पादकता में वृद्धि से घरेलू बाजार और निर्यात बाजार के लिए अधिक दूध, मांस और पशुधन उत्पादों के उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। विभाग प्रमुख पशुधन रोगों के पूर्ण नियंत्रण, उन्मूलन और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अनेक कार्यक्रम लागू कर रहा है। विभाग पशुधन क्षेत्र के माध्यम से विशेष रूप से किसानों की आय बढ़ाने में मदद करने के सामान्य उद्देश्य से अन्य मंत्रालयों और हितधारकों के साथ मिलकर तालमेल करने के प्रयास कर रहा है।

पशुपालन और डेयरी विभाग सभी हितधारकों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और वह किसानों के दरवाजे पर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए अधिकतम सहायता प्रदान करेगा।

विभिन्न योजनाओंकार्यक्रमों के अंतर्गत पशुपालन और डेयरी विभाग की प्रमुख उपलब्धियाँ और पहल इस प्रकार हैं:

पशुधन क्षेत्र

पशुधन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्वपूर्ण उपक्षेत्र है। यह 2014-15 से 2020-21 के दौरान (स्थिर कीमतों पर) 7.93 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। कुल कृषि और संबद्ध क्षेत्र में पशुधन का योगदान सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) (स्थिर कीमतों पर) 24.38 प्रतिशत (2014-15) से बढ़कर 30.87 प्रतिशत (2020-21) हो गया है। पशुधन क्षेत्र का योगदान 2020-21 में कुल जीवीए का 6.2 प्रतिशत है।

पशुधन जनसंख्या

20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार देश में लगभग 303.76 मिलियन गोजातीय (मवेशी, भैंस, मिथुन और याक), 74.26 मिलियन भेड़, 148.88 मिलियन बकरियां, 9.06 मिलियन सूअर और लगभग 851.81 मिलियन मुर्गियां हैं।

डेयरी क्षेत्र

डेयरी सबसे बड़ी कृषि वस्तु है जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत योगदान देती है और 8 करोड़ से अधिक किसानों को सीधे रोजगार देती है। भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है, जो वैश्विक दूध उत्पादन में 23 प्रतिशत का योगदान देता है। पिछले 8 वर्षों में दूध उत्पादन में 51.05 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो 2014-15 के दौरान 146.3 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 के दौरान 221.06 मिलियन टन पर पहुंच गई। दूध उत्पादन पिछले 8 वर्षों में 6.1 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है जबकि विश्व दूध उत्पादन प्रति वर्ष केवल 1.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। 2021-22 में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 444 ग्राम प्रति दिन है, जबकि 2021 के दौरान विश्व औसत 394 ग्राम प्रति दिन है।

अंडा एवं मांस उत्पादन

फूड एंड एग्रीकल्‍चर ऑर्गनाइजेशन कॉरपोरेट स्टैटिस्टिकल डेटाबेस (एफएओएसटीएटी) उत्पादन डेटा (2020) के अनुसार, भारत दुनिया में अंडा उत्पादन में तीसरे और मांस उत्पादन में 8वें स्थान पर है। देश में अंडा उत्पादन 2014-15में 78.48बिलियन से बढ़कर2021-22 में 129.60बिलियन हो गया है। देश में अंडे का उत्पादन 7.4 प्रतिशतप्रति वर्ष की दर (सीएजीआर) पर बढ़ रहा है। 2021-22में अंडे की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 95अंडे प्रति वर्ष है। देश में मांस उत्पादन 2014-15में 6.69मिलियन टन से बढ़कर 2021-22में 9.29मिलियन टन हो गया।

पशुपालन और डेयरी योजनाएँ

राष्ट्रीय गोकुल मिशन: स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए

राष्ट्रीय गोकुल मिशन की प्रमुख उपलब्धियाँ/कार्य

  • राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम – किसानों के दरवाजे पर कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं देना:अब तक इसमें 5.71करोड़ पशुओं को शामिल किया गया है, 7.10करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए जा चुके हैं और इस कार्यक्रम के अंतर्गत 3.74करोड़ किसानों को लाभ हुआ है।
  • देश में आईवीएफ प्रौद्योगिकी को बढ़ावा: कार्यक्रम के तहत अब तक 19248 जीवनक्षम भ्रूण पैदा किए गए8661 जीवनक्षम भ्रूण स्थानांतरित किए गए और 1343 बछड़ों का जन्म हुआ।
  • सेक्स सॉर्टेड सीमेन या लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार करना: देश में 90 प्रतिशत तक सटीकता के साथ केवल मादा बछिया के जन्‍म के लिए सेक्स सॉर्टेड सीमेन या लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार करना शुरू किया गया है। कार्यक्रम के अंतर्गत, सुनिश्चित गर्भावस्था पर किसानों के लिए 750 रुपये या सॉर्टेड सीमेन की लागत का 50 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध है।
  • डीएनए आधारित जीनोमिक चयन: राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने स्वदेशी नस्लों के विशिष्ट जानवरों के चयन के लिए इंडसचिप विकसित किया है और रेफरल आबादी तैयार करने के लिए चिप का उपयोग करके 25000 जानवरों का जीनोटाइप किया है। दुनिया में पहली बार, भैंसों केजीनोमिक चयन के लिए बफचिप विकसित किया गया है और अब तक, रेफरल आबादी बनाने के लिए 8000 भैंसों का जीनोटाइप किया गया है।
  • पशु की पहचान और पता लगाने की क्षमता: 53.5 करोड़ जानवरों (मवेशीभैंसभेड़बकरी और सूअर) की पहचान और पंजीकरण 12 अंकों के यूआईडी नंबर के साथ पॉलीयुरेथेन टैग का उपयोग करके की जा रही है।
  • संतानपरीक्षणऔरनस्‍लचयन:गिरशैवाल देशी नस्ल के मवेशियों और मुर्रामेहसाणा देशी नस्ल की भैंसों के लिए संतान परीक्षण कार्यक्रम लागू किया गया है।
  • राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन: भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग ने एनडीडीबी के साथ एक डिजिटल मिशन, “राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन (एनडीएलएम) शुरू किया है। इससेपशुओंकीउर्वरतामेंसुधारकरने, पशुओं और मनुष्यों दोनों को प्रभावित करने वाली बीमारियों को नियंत्रित करने, गुणवत्तापूर्ण पशुधन और घरेलू और निर्यात बाजार दोनों के लिए पशुधन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
  • नस्ल वृद्धिफार्म:इस योजना के तहत नस्ल वृद्धि फार्म की स्थापना के लिए निजी उद्यमियों को पूंजीगत लागत (भूमि लागत को छोड़कर) पर 50 प्रतिशत (प्रति फार्म 2 करोड़ रुपये तक) की सब्सिडी प्रदान की जाती है। अब तकडीएएचडी ने76 आवेदन स्वीकृत किए हैं और एनडीडीबी को सब्सिडी के रूप में 14.22 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम:किसानों को उपभोक्ता से जोड़ने वाले शीत श्रृंखला बुनियादी ढांचे सहित गुणवत्तापूर्ण दूध के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना और उसे मजबूत करना। वर्ष 2014-15 से 2022-23(20.06.2023) तक 28राज्यों और 2केन्‍द्र शासित प्रदेशों में 3015.35करोड़ रुपये (केन्‍द्रीय हिस्सेदारी 2297.25करोड़ रुपये) की कुल लागत के साथ 185परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। योजना के तहत 20.06.2023 तक मंजूर नई परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए कुल 1769.29करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। मंजूर परियोजनाओं के अंतर्गत 1314.42 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग किया गया है।

डेयरी कार्यों में लगी डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों का सहयोग करना:गंभीर प्रतिकूल बाजार स्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण संकट से निपटने के लिए डेयरी कार्यों में लगी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को आसान कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करके सहायता करना।वर्ष 2020-21 से 30.04.2023 तक, एनडीडीबी ने देश भर में 60दुग्ध संघों के लिए 2 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से 37,008.89 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी ऋण राशि के विरुद्ध 513.62करोड़ रुपये की रियायती ब्याज सहायता राशि की मंजूरी दे दी और 373.30करोड़ रुपये (नियमित रियायती ब्याज दर के रूप में 201.45करोड़ रुपये और अतिरिक्त ब्याज अनुदान राशि के रूप में 171.85करोड़ रुपये)जारी किए।

डेयरी प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचा विकास निधि (डीआईडीएफ): दूध प्रसंस्करण, शीतलन और मूल्य वर्धित उत्पाद सुविधाओं आदि घटकों के लिए दूध प्रसंस्करण, शीतलन और मूल्य संवर्धन बुनियादी ढांचे का निर्माण/आधुनिकीकरण करना।डीआईडीएफ के तहत 31.05.2023 तक6776.86करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 37परियोजनाएं स्वीकृत की गईं और 4575.73करोड़ रुपये के ऋण के मुकाबले 2353.20करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया है। रियायती ब्‍याज दर के रूप में नाबार्ड को 88.11 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

राष्ट्रीय पशुधन मिशन:योजना में मुख्‍य रूप से रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास; प्रति पशु उर्वरता में वृद्धि और इस प्रकार मांस, बकरी के दूध, अंडे और ऊन के उत्पादन में वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत, पहली बार, केन्‍द्र सरकार व्यक्तियों, एसएचजी, जेएलजी, एफपीओ, सेक्शन 8कंपनियों, एफसीओ को हैचरी और ब्रूडर मदर इकाइयों के साथ पोल्ट्री फार्म स्थापित करने, भेड़ने और बकरी की नस्‍लों की वृद्धि, फार्म, सूअर पालन फार्म और चारा एवं चारा इकाइयों के लिए सीधे 50 प्रतिशतसब्सिडी प्रदान कर रही है। अब तक, डीएएचडी ने 661 आवेदन स्वीकृत किए हैं और 236लाभार्थियों को सब्सिडी के रूप में 50.96करोड़ रुपये जारी किए हैं।

पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास निधि:व्यक्तिगत उद्यमियों, निजी कंपनियों, एमएसएमई, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और सेक्‍शन 8कंपनियों द्वारा (i) डेयरी प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन बुनियादी ढांचे, (ii) मांस प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन बुनियादी ढांचे और (iii) पशु चारा संयंत्र (iv) मवेशी/भैंस/भेड़/बकरी/सुअर के लिए नस्ल सुधार टेक्‍नोलॉजी और नस्ल वृद्धि फार्म स्थापित करने और तकनीकी रूप से सहायता प्राप्त पोल्ट्री फार्म के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए।अब तक, बैंकों द्वारा 309परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिनकी कुल परियोजना लागत 7867.65करोड़ रुपये है और कुल परियोजना लागत में से5137.09करोड़ रुपये सावधि ऋण है। रियायती ब्याज सहायता के रूप में 58.55 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम:टीकाकरण द्वारा आर्थिक और ज़ूनोटिक महत्व के पशु रोगों की रोकथाम, नियंत्रण और रोकथाम के लिए।अब तक इयर टैग किए गए पशुओं की कुल संख्या लगभग25.04 करोड़ है। एफएमडी के दूसरे दौर में अब तक24.18करोड़ पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है।

एफएमडी टीकाकरण का तीसरा दौर चल रहा है और अब तक 4.66 करोड़ जानवरों को टीका लगाया जा चुका है। अब तक2.।9करोड़ जानवरों को ब्रुसेला का टीका लगाया जा चुका है। 16 राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में 1960मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) को हरी झंडी दिखाई गई है। 10 राज्‍यों में 1181एमवीयू कार्यरत हैं।

पशुधन जनगणना और एकीकृत नमूना सर्वेक्षण योजना:

एकीकृत नमूना सर्वेक्षण: दूध, अंडा, मांस और ऊन जैसे प्रमुख पशुधन उत्पादों (एमएलपी) का अनुमान सामने लाना।विभाग के बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी (बीएएचएस) के वार्षिक प्रकाशन में अनुमान प्रकाशित किए जाते हैं।हाल ही में, 2021-22 की अवधि के लिए बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी (बीएएचएस)-2022 प्रकाशित किया गया है।

पशुधन जनगणना:ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में परिवारों के स्तर तक उम्र, लिंग-संरचना आदि के साथ प्रजाति-वार और नस्ल-वार, पशुधन की आबादी के बारे में जानकारी प्रदान करना। हाल ही में, सभी राज्यों/केन्‍द्रशासित प्रदेशों के पशुपालन विभाग की भागीदारी के साथ वर्ष 2019 में 20वीं पशुधन जनगणना पूरी हो गई है। “20वीं पशुधन जनगणना-2019” नामकअखिल भारतीय रिपोर्ट में शामिल पशुधन की प्रजाति-वार और राज्य-वार आबादी प्रकाशित हो चुकी है। उपरोक्त के अलावा, विभाग ने पशुधन और कुक्कुट पर नस्ल-वार रिपोर्ट (20वीं पशुधन जनगणना के आधार पर) भी प्रकाशित की है।

दुग्ध सहकारी समितियों और दुग्ध उत्पादक कंपनियों के डेयरी किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी):अब तक, एएचडी किसानों के लिए 27.65लाख से अधिक नए केसीसी स्वीकृत किए गए हैं।

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