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हर घर तिरंगा अभियान से 500 करोड़ रुपये का हुआ कारोबार, बढ़ा रोजगार

  •  कैट ने प्रधानमंत्री से 15 अगस्त से स्वराज वर्ष घोषित करने का किया आग्रह

नई दिल्ली, देशभर में भारतीय तिरंगा फहराने के लिए पूरा देश कल नए जोश के साथ एक और स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शुरू किए गए हर घर तिरंगा अभियान ने लोकल पर वोकल और आत्मनिर्भर भारत की पहल को बढ़ावा दिया है। तिरंगा को लेकर जताए गए अनुमान से कहीं ज्यादा हर घर तिरंगा अभियान से देशभर में इस बार 30 करोड़ से ज्यादा राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री हुई है, जिससे करीब 500 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का कहना है कि राष्ट्रभक्ति और स्व-रोजगार से जुड़े इस अभियान ने पूरे देश में लोगों के बीच देशभक्ति की एक अद्भुत भावना और कोऑपरेटिव व्यापार की बड़ी संभावनाएं खोल दी हैं। तिरंगा के प्रति लोगों के समर्पण और उत्साह को देखते हुए कैट ने प्रधानमंत्री मोदी से 15 अगस्त, 2022 से 15 अगस्त 2023 तक की अवधि को भारत की स्वतंत्रता के समाप्त होने पर स्वराज वर्ष के रूप में घोषित करने की अपील की है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने रविवार को कहा कि पिछले 15 दिनों के दौरान, पूरे देश में कैट के झंडे तले बड़ी संख्यां में व्यापारी संगठनों ने 3 हजार से अधिक तिरंगा कार्यक्रम आयोजित किए, जिनमें बड़ी संख्या में लोगों ने ऊर्जा और स्वेच्छा से भाग लिया। व्यापारियों सहित अन्य विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने आगे बढ़-चढ़ कर आजादी के उत्साह से हर कार्यक्रम में शामिल होकर तिरंगे की शान को बरक़रार रखा। कारोबारी नेता ने आगे कहा कि हर घर तिरंगा आंदोलन ने भारतीय उद्यमियों की क्षमता को भी दर्शाया है, जिन्होंने देश के लोगों की तिरंगे की अभूतपूर्व मांग को पूरा करने के लिए लगभग 20 दिनों के रिकॉर्ड समय में 30 करोड़ से ज्यादा राष्ट्र ध्वज तिरंगे का निर्माण किया।

कैट के आह्वान पर देशभर में व्यापारी संगठनों ने सभी राज्यों में रैलियां, मार्च, मशाल जुलूस, तिरंगा गौरव यात्रा, सार्वजनिक सभाओं और सम्मेलनों सहित बड़े तिरंगा कार्यक्रम आयोजित कर देशभक्ति का भावना का प्रवाह किया। खंडेलवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के फ्लैग कोड में पॉलिएस्टर और मशीनों से झंडे बनाने की अनुमति में किए गए बदलाव ने भी देश में झंडों की आसान उपलब्धता में बहुत योगदान दिया है। इससे पहले भारतीय तिरंगे को केवल खादी या कपड़े में बनाने की अनुमति थी। ध्वज संहिता में इस संशोधन ने देश में 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया, जिन्होंने अपने घर में या छोटे स्थानों पर स्थानीय दर्जी की सहायता से बड़े पैमाने पर तिरंगा झंडा बनाया।

मध्यम एवं लघु आकार वाले उद्यमों (एसएमई) विनिर्माण और व्यापार क्षेत्र ने सबसे अधिक संगठित तरीके से बड़ी संख्या में भारतीय ध्वज तैयार करने में दिन-रात काम किया। आम तौर पर बनाए गए ध्वज के विभिन्न आकारों में 6800×4200 मिमी, 3600x 2400 मिमी, 1800×1200 मिमी, 1350×900 मिमी, 900×600 मिमी, 450×300 मिमी, 225×150 मिमी और 150×100 मिमी शामिल हैं। पिछले वर्षों में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारतीय तिरंगे की सालाना बिक्री लगभग 150-200 करोड़ रुपये तक सीमित थी, जबकि हर घर तिरंगा आंदोलन ने बिक्री को कई गुना बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी से 15 अगस्त से स्वराज वर्ष घोषित करने का आग्रह करते हुए खंडेलवाल ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘लोकल पर वोकल’ के दृष्टिकोण को और मजबूत किया जाने तथा देश के व्यापार और मध्यम उद्योग को उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री जो वैश्विक परिदृश्य पर भारत को एक विशिष्ट राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगी को बनने को प्रोत्साहित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा कि देशभर में पिछले 20 दिनों में तिरंगा अभियान के प्रति लोगों के उत्साह और देशभक्ति को देखते हुए सरकार को विभिन्न क्षेत्रों के संगठनों के साथ पीपीपी मॉडल में भारत की मूल कला एवं व्यापारिक दक्षताओं को जगाने के लिए अभियान चलाना चाहिए, जिसका मूल उद्देश्य राष्ट्र सर्वोपरि हो।

देश के युवाओं को स्वतंत्रता प्राप्त करने में लोगों द्वारा किए गए बलिदानों को बताने और स्वराज वर्ष में एक साल की लंबी श्रृंखला देश की स्वतंत्रता के बारे में भावना और आत्मविश्वास को आत्मसात करना जरूरी है। कारोबारी नेता ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि पिछले 75 वर्षों में पूरी दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई देश अपने राष्ट्रीय ध्वज के नीचे एक साथ खड़ा है। इससे पूरी दुनिया में भारत का बड़ा मजबूत संदेश गया है। वर्तमान समय में जब कुछ लोग देश को अस्थिर करना चाहते हैं, स्वराज वर्ष देश के ताने-बाने को देशभक्ति के धागे से बांधने में बहुत अच्छा काम करेगा।
साभार -हिस

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