यूँ तो इस धरा पर जितने भी दिन है सब माता-पिता से शुरू होकर, माता-पिता पर ही समाप्त होते है, लेकिन आज का दिन पिता को समर्पित है। इसलिए इस धरा पर जितने भी पिता हैं उन सभी को पितृ दिवस की हार्दिक शभुकामनाएं।
अपनी ख्वाईशों छोड़ कर जब तू घर भर का हो जाएगा
यकीन मान इस जगत में तू, पिता सा हो जाएगा।
दुनिया कहती है आसमां से बड़ा कुछ हो नहीं सकता
मेरी मानो पिता की छाया से बड़ा कुछ हो नहीं सकता।
भले ही सृष्टि तेरे विपरीत हो बिल्कुल न घबराना तुम
गर पिता हैं साथ खड़े तेरा बाल भी बांका हो नहीं सकता।
धरती से अंबर तक सब शक्तियाँ है अपनी जगह
लेकिन पिता सा हिम्मत कोई और हो नहीं सकता।
सच है माँ धारण करती है गर्भ में नौ माह अपने बच्चों को
पूरा घर जो धारण करे वो पिता से अलग कुछ हो नहीं सकता।
हाँ यह सत्य है माँ की ममता अतुल्यनीय है, इस धरा पर
लेकिन पिता का महत्व कण मात्र भी कम हो नहीं सकता।
संस्कार, अनुशासन और जिम्मेदारी का एक जीवित प्रमाण है पिता
ऊपर-ऊपर कठोर, अंदर-अंदर मुलायम पिता सा कोई हो नहीं सकता।
बोझ कितना भी हो, कैसा भी हो कभी ऊफ तक नहीं करते
कंधा पिता सा मजबूत इस दुनिया में और कुछ हो नहीं सकता।
यह दुनिया सिंकदर को सबसे बड़ा योद्धा मानती है, माना करे
लेकिन पिता से बड़ा योद्धा इस सृष्टि में कोई और हो नहीं सकता।
यूँ तो इस जगत के कण – कण में देवता बसते हैं, सब जानतें हैं
लेकिन इस धरा पर पिता से बड़ा देवता कोई और हो नहीं सकता।
यूँ तो जिंदगी में हर मोड़ पर बहुतों ने सिखाया मुझे
लेकिन पिता से बड़ा गुरु और कोई हो नहीं सकता।
क्योंकि पालक है, पोषक है, संरक्षक है पिता
इसलिए ब्रह्मा है, विष्णु है, महेश है पिता।
इसलिए ब्रह्मा, विष्णु, महेश……………….।
कवि-विक्रमादित्य सिंह, भुवनेश्वर