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अर्थ वार्षिकी : उतार चढ़ाव के बावजूद शेयर बाजार ने निवेशकों को कराया मुनाफा, लगातार 9वें साल मिला पॉजिटिव रिटर्न

  • 2024 में शेयर बाजार ने 65 बार बनाया ऑल टाइम हाई का नया रिकॉर्ड

नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार साल 2024 के कारोबार के दौरान लगातार उतार-चढ़ाव का सामना करता रहा। इस साल के कारोबार में अब सिर्फ आने वाले 2 दिन सोमवार और मंगलवार यानी 30 और 31 दिसंबर का कारोबार होना बाकी है। इन दो दिनों के अलावा अभी तक हुए कारोबार के दौरान घरेलू बाजार ने कई बार ऑल टाइम हाई का नया रिकॉर्ड बनाया‌। हालांकि, शेयर बाजार को बीच-बीच में बड़े नुकसान का भी सामना करना पड़ा। अगर पूरे साल के कारोबार की बात करें, तो ओवरऑल घरेलू शेयर बाजार ने अपने निवेशकों को 2024 के दौरान पॉजिटिव रिटर्न दिया। इस तरह लगातार नौवें साल घरेलू शेयर बाजार के निवेशक वार्षिक आधार पर मुनाफे में रहे।
साल 2024 के दौरान शेयर बाजार ने 65 दिनों के कारोबार में ऑल टाइम हाई का नया रिकॉर्ड बना। इसमें आखिरी बार 27 सितंबर को सेंसेक्स 85,978.25 अंक के सर्वोच्च स्तर तक पहुंचा, जबकि निफ्टी 26,277.35 अंक के सर्वोच्च स्तर तक पहुंचने में सफल रहा। इसके पहले 2023 के आखिरी कारोबारी दिन सेंसेक्स 72,240.26 अंक के स्तर पर बंद हुआ था। इसी तरह निफ्टी ने 21,731.40 अंक के स्तर पर पिछले साल के कारोबार का अंत किया था।
इस तरह साल 2024 में 27 सितंबर तक सेंसेक्स में 13,737.99 यानी 19.02 प्रतिशत की तेजी आ गई थी। इसी तरह निफ्टी 27 सितंबर तक 4,545.95 अंक यानी 20.92 प्रतिशत उछल चुका था। हालांकि अक्टूबर और नवंबर में वैश्विक दबाव और विदेशी निवेशकों की चौतरफा बिकवाली के कारण सेंसेक्स और निफ्टी दोनों सूचकांक अपने रिकॉर्ड हाई से नीचे आ गए। 27 सितंबर के बाद से लेकर अभी तक के कारोबार में सेंसेक्स 7,279.18 अंक यानी 8.46 प्रतिशत और निफ्टी 2,463.95 अंक यानी 9.37 प्रतिशत टूट चुके हैं।
अगर 1 जनवरी से 27 दिसंबर तक के कारोबार की बात की जाए तो साल 2024 के दौरान शेयर बाजार में सेंसेक्स ओवरऑल 6,458.81 अंक यानी 8.94 प्रतिशत मजबूत हो चुका है। इसी तरह निफ्टी में इस साल अभी तक ओवरऑल 2,082 अंक यानी 9.58 प्रतिशत की तेजी आ चुकी है। घरेलू शेयर बाजार पर असर डालने वाले कारकों में इस साल इजरायल-ईरान संघर्ष और रूस और यूक्रेन के बीच पहले से ही जारी जंग का मुख्य रूप से उल्लेख किया जा सकता है। इन दोनों जगहों के जियो-पॉलिटिकल टेंशन का भारतीय शेयर बाजार पर काफी असर पड़ा। इसके साथ ही अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शेयर बाजारों पर अपना असर दिखाया।
इसके अलावा नवंबर के महीने में चीन द्वारा आर्थिक पैकेज का ऐलान करने से भी दुनिया भर के स्टॉक मार्केट पर असर पड़ा। चीन के आर्थिक पैकेज की वजह से बड़े विदेशी निवेशकों ने दुनिया के तमाम स्टॉक मार्केट में बिकवाली करके बड़े पैमाने पर अपने पैसे की निकासी की और उन्हें चीन के शेयर बाजार में इन्वेस्ट किया। इसकी वजह से जहां चीनी स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 14 प्रतिशत तक उछल गया, वहीं दुनिया के ज्यादातर स्टॉक मार्केट दबाव में कारोबार करते नजर आए। स्वाभाविक रूप से इसका असर भारतीय स्टॉक मार्केट पर भी पड़ा।
घरेलू शेयर बाजार में इस साल मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों का प्रदर्शन बड़ी कंपनियों की तुलना में ज्यादा बेहतर रहा। इसी वजह से मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने निवेशकों को लार्ज कैप की तुलना में ज्यादा बढ़िया रिटर्न दिया। हालांकि दूसरी तिमाही में ज्यादातर कंपनियों के कमजोर नतीजों के कारण मिड और स्मॉलकैप कंपनियों के एवरेज रिटर्न में भी कमी दर्ज की गई।
साभार – हिस

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