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ओडिशा में निवेश के लिए स्वीकृत क्षेत्रों की सूची 32 हुई
भुवनेश्वर। ओडिशा का खनिज राजस्व 38,075 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसे क्षेत्र में ओडिशा का उल्लेखनीय योगदान है। यह जानकारी यहां बुधवार को विधानसभा में पेश की आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में दी गयी है।
बताया गया है कि भारतीय खान ब्यूरो के अनुसार, राज्य ने 2022-23 के दौरान देश में कुल खनिज उत्पादन (ईंधन तेल और परमाणु खनिजों को छोड़कर) में 41.9 प्रतिशत का योगदान दिया।
ओडिशा का खनिज राजस्व 2022-23 में 38,075 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जिससे राज्य को विकासात्मक खर्च के लिए पर्याप्त सहायता मिलेगी।
विनिर्माण उद्योगों के विविधीकरण में निरंतर जोर और अवसर मौजूद हैं। ओडिशा में निवेश के लिए स्वीकृत क्षेत्रों की सूची 2015-16 में 13 से बढ़कर 2023-24 में 32 हो गई है, जिसमें एयरोस्पेस और विमान, हरित ऊर्जा और उपकरण, विशेष रसायन, ईएसडीएम, हरित हाइड्रोजन और डेरिवेटिव, डेटा सेंटर, तकनीकी वस्त्र आदि जैसे नए युग के निवेश क्षेत्र शामिल हैं। औद्योगीकरण के वर्तमान स्वरूप में पूंजी तीव्रता अनुपात बहुत अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप रोजगार कम है।
सेवा क्षेत्र दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता
आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 में ओडिशा के कुल कार्यबल में सेवा क्षेत्र का योगदान 26 प्रतिशत था, जो कृषि और संबद्ध क्षेत्र (48 प्रतिशत) के बाद दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता था। ओडिशा में वित्तीय सेवाओं का हिस्सा 2023-24 (एई) में राज्य के जीएसवीए का 2.9 प्रतिशत है, जो प्रमुख राज्यों में सबसे कम है। एसएलबीसी रिपोर्ट (मार्च 2023) के अनुसार 4,373 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जिनके पास एक भी शाखा नहीं है।
सड़क नेटवर्क में ओडिशा पांचवें पायदान पर
आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार के बढ़ते व्यय और समर्थन के साथ, ओडिशा के पास देश का 5वां सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। राज्य के दुर्गम क्षेत्रों तक सड़क सम्पर्क बढ़ाने के साथ-साथ बेहतर गुणवत्ता वाली सड़कें बनाने की भी आवश्यकता है। 2022-23 के अंत तक राज्य में 2,992 किलोमीटर रेलवे मार्ग होगा, जिसमें से 2940 किलोमीटर (98.3 प्रतिशत) का विद्युतीकरण हो चुका है।
पूंजीगत व्यय का स्तर बढ़ने की संभावना
राज्य ने 2023-24 (बीई) में पूंजीगत परिव्यय के लिए लगभग 51,683 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो जीएसडीपी का 6.2 प्रतिशत है। हालांकि, राज्य में व्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी को देखते हुए आगामी वर्षों में राज्य के पूंजीगत व्यय का स्तर बढ़ने की संभावना है।
ओडिशा अपने प्रमुख राजकोषीय संकेतकों को एफआरबीएम सीमा के भीतर रखने में सक्षम रहा है। ओडिशा का राजकोषीय घाटा जीएसडीपी अनुपात 2019-20 में 3.5 प्रतिशत से घटकर 2023-24 बजट अनुमान में 3.1 प्रतिशत हो गया।
2022-23 (संशोधित अनुमान) और 2023-24 (बजट अनुमान) में ऋण अनुपात क्रमशः 12.9 प्रतिशत और 13.6 प्रतिशत रहा, जो पंद्रहवें वित्त आयोग और ओडिशा एफआरबीएम अधिनियम, 2005 द्वारा निर्धारित 25 प्रतिशत की सीमा से कम है।