भुवनेश्वर। ओडिशा में प्याज अब लोगों की रूलाने लगी है। प्याज की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से जेब ढीली हो रही है। बाजार में यह 80 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है। एक महीने के भीतर रसोई में इस्तेमाल होने वाली चीजों की कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं।
देश में प्याज के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता नासिक में आपूर्ति बाधित होने के कारण कीमत 20-25 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 50-60 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। भुवनेश्वर में कुछ सब्जी विक्रेता तो 80 रुपये प्रति किलो तक प्याज बेच रहे हैं।
सब्जी विक्रेताओं ने नासिक में फसल के नुकसान और कीमतों में बढ़ोतरी को कीमत वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया है। ऐसा पता चला है कि नवंबर महीने में ताजा प्याज बाजार में आने तक उपभोक्ताओं को कीमतों में बढ़ोतरी का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। महंगाई का असर अब घरों और होटलों पर भी दिखने लगा है।
ओडिशा व्यावसायी महासंघ के महासचिव सुधाकर पंडा ने कहा कि हर साल अक्टूबर-नवंबर महीने के दौरान प्याज की कीमत में वृद्धि आम बात है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस मौसम के दौरान अनियमित वर्षा पैटर्न के कारण रबी की फसल अक्सर प्रभावित होती है। इससे कीमत में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु और आंध्र प्रदेश से जल्द ही नई प्याज बाजार में आनी शुरू हो जाएगी। ओडिशा में बारिश की गतिविधियों के कारण इसमें देरी हो रही है। जैसे ही 15 नवंबर तक नई फसल आएगी कीमत तुरंत कम हो जाएगी।
पंडा ने प्याज की जमाखोरी करने और कमी के दौरान इसे ऊंची कीमतों पर बेचने के लिए व्यावसायिक घरानों की भी आलोचना की। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि सरकार के प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर कॉर्पोरेट घरानों को सहायता दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि हालांकि किसानों और सब्जी विक्रेताओं को कीमतों में वृद्धि के लिए दोषी ठहराया जाता है, लेकिन सरकार उन लोगों पर चुप है जो वास्तव में कीमतों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि हर कोई एक-दूसरे के साथ है।