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बकाये राशि या ब्याज में बैंक नहीं करते हैं एडजेस्ट
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रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया और वित्त मंत्रालय से कदम उठाने की मांग
मुंबई। हाल ही में रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया द्वारा लोन पर पेनाल्टी को लेकर जारी दिशा-निर्देश के बाद अब क्रेडिट कार्ड के न्यूनतम पेमेंट को लेकर उपभोक्ताओं ने मांग उठानी शुरू कर दी है। क्रेडिट कार्ड उपभोक्ताओं का दावा है कि न्यूनतम पेमेंट के जरिए क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक ग्राहकों का खून चूस रहे हैं। कहा जाता है कि न्यूनतम पेमेंट की राशि को बैंक न तो मूल बकाये में एडजस्ट करते हैं और ना ही ब्याज दर में। उदाहरण के लिए आप मान लीजिए कि आपके क्रेडिट कार्ड का कुल बकाया राशि एक लाख रुपये है। महीने के अंत में बिल बनाते समय बैंक एक न्यूनतम राशि का विकल्प देते हैं। उन्होंने पता होता है कि 99 फीसदी लोग पूरी राशि चुकाने में विफल होंगे। ऐसी स्थिति में ज्यादातर ग्राहक न्यूनतम पेमेंट का विकल्प चुनते हैं। अब मान लीजिए कि एक लाख रुपये बकाये पर बैंक ने 10 हजार रुपये न्यूनतम भुगतान राशि तय की है। ऐसी स्थिति में क्रेडिट कार्ड उपभोक्ता 10 रुपये का भुगतान करता है, लेकिन यह राशि न तो उसके मूल बकाए राशि में एडजस्ट होती और ना ही ब्याज दर में। 10 महीने में बैंक ग्राहक से न्यूनतम राशि के रूप में एक लाख रुपये वसूल लेता है, लेकिन क्रेडिट का बकाया ज्यों का त्यों बना रहा है। सबसे गौर करने वाली बात यह है कि बैंक की तरफ किसी भी ग्राहक को यह नहीं बताया जाता है कि यह न्यूनतम राशि कभी बकाए रकम में एडजस्ट नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि देशभर में करोड़ों की संख्या में क्रेडिट कार्ड उपभोक्ता हैं। ऐसी स्थिति में देशभर के इन उपभोक्ता को न्यूनतम बकाए के जरिए बैंक अरबों की कमाई कर रहे हैं और उपभोक्ता अपने बकाये को लेकर परेशान रहते हैं। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं ने भारतीय रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया और वित्त मंत्रालय से हस्तक्षेप की मांग की गई है और शुरू से लेकर अब तक वसूली गई न्यूनतम राशि को बकाए राशि में एडजस्ट कराने को कहा है।
ईएमआई में 25 से 30 फीदस ब्याजदर की पेशकश
क्रेडिट कार्ड उपभोक्ताओं ने बताया कि यदि क्रेडिट कार्ड का बिल किसी कारण वश से अधिक हो जाता है तो बैंक ईएमआई का विकल्प बहुत कम ही देते हैं। ऐसी स्थिति में ईएमआई पर 25 से 30 फीसदी वार्षिक ब्याजदर लगाते हैं।
रोज नए नंबर से आते हैं कॉल
उपभोक्ताओं का कहना है कि यदि किसी कारण वश ईएमआई जमा करने में हम विफल होते हैं, तो रोज नए नंबरों से फोन आने लगते हैं। फोन करने वाले लोग कहते हैं कि हम बैंक की तरफ से बात कर रहे हैं, लेकिन यह समझ में नहीं आता है कि यह सही में बैंक के प्रतिनिधि हैं या कोई फ्राड काल कर रहा है।
कभी बैंक के नंबर नहीं आता है कॉल
क्रेडिट कार्ड उपभोक्ताओं का दावा है कि कभी भी फोन भी बैंक के समर्पित फोन नंबर से काल नहीं आता है। बात करने वाले लोगों की टोन काफी खराब होती है।