हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर
इस जमाने में एक से बढ़कर एक दिलदार के किस्से आपने सुने होंगे, लेकिन यह कोई कहानी नहीं है. यह बिल्कुल सच बात है. अपना सपना जब पूरा न कर सका तो यह शख्स दूसरों को सपनों को साकार करने में जुट गया है. यह दिलदार हैं ओडिशा के जिंदगी फाउंडेशन के संस्थापक अजय बहादुर सिंह. किसी जमाने में पैसों के आभाव के कारण अजय बहादुर सिंह की मेडिकल की कोचिंग छूट गई थी और डॉक्टर बनने का सपना टूट गया था.
अमीर खानदान में जनमे अजय ने गरीबी का दंश भी झेला है, लेकिन बुलंद हौसलों से आज इस मुकाम पर पहुंच गये हैं कि वे अपने जैसे गरीबी के दंश झेल रहे बच्चों को उनके सपनों को साकार कर रहे हैं. जिंदगी फाउंडेशन के 19 बच्चों ने नीट-20 पास किया है और डाक्टर बनने की राह पर चल पड़े हैं. इससे पहले भी दर्जनों छात्र नीट पासकर डाक्टर की पढ़ाई पढ़ रहे हैं. अजय बहादुर ने इस शानदार सफलता पर ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि मैं डॉक्टर नहीं बन पाया, लेकिन इन बच्चों को डॉक्टर बनते देख कर लगता जैसे मेरा सपना पूरा हो रहा है.
मैं नहीं चाहता कोई होनहार बच्चा मेरी तरह सिर्फ पैसों के अभाव में अपने डॉक्टर बनने का सपना पूरा न कर पाए. मेरा यह प्रयास जारी रहेगा ताकि कोई भी बच्चा संसाधनो के आभाव में पीछे न छूट जाये. इस साल का नीट कई चुनौतियों और अनिश्चितताओं से भरा हुआ था. कोरोना के कारण परीक्षा की तारीख तय नहीं हो पा रही थी. गरीबी से जूझ रहे बच्चे को कोरोना और लॉकडाउन के कारण दो वक्त का भोजन भी मिलना मुश्किल हो गया था. न जाने कितनी रात भूखे सोना पड़ा, लेकिन डॉक्टर बनने की भूख को कम नहीं होने दिया और अंततः नीट में चयनित होकर अपना सपना पूरा किया.