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मोबाइल उपभोक्ताओं पर जबरन थोप रही हैं गेम्स कंटेंट
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आपरेटिंग सिस्टम साफ्टवेयर के जरिए विज्ञापनों का हो रहा प्रसारण
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ना चाहते हुए भी बीचोबीच जबरन आ रहे हैं कई एप्स
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर
भारत सरकार ने भले ही चीन पर दबाव बनाने के लिए सैकड़ों चीनी एप्स को प्रतिबंधित कर दिया, लेकिन इससे नुकसान की भरपाई के लिए चीनी मोबाइल कंपनियों ने कमाई का नया तरीका ढूंढ लिया है. यह कमाई उपभोक्ताओं पर जबरन विज्ञापन थोपकर की जा रही है. ना चाहते हुए विज्ञापन और गेम्स के आईकन मोबाइल एप्स एरिया में आ रहे हैं. दरअसर, कंपनियों ने इन विज्ञापनों को आपरेटिंग सिस्टम से जोड़ रखा रहा है. इससे इनको हटाया भी नहीं जा सकता है. विज्ञापन और गेम्स के लिंक उपभोक्ताओं के लिए सिरदर्द बन गये हैं. परेशानी तो उस समय बढ़ रही है, जब जरूरतमंद के डाउनलोड किये गये एप्स के बीच यह विज्ञापन आने लग रहे हैं.
बच्चों को आकर्षित कर रहे हैं गेम्स के लिंक
मोबाइल में स्वतः गेम्स के लिंक आने के कारण इसे खेलने के लिए बच्चे परेशान कर रहे हैं, क्योंकि अधिकांश चीनी कंपनियों के गेम्स एप्स उपलब्ध नहीं हो रहे हैं.
डाटा चोरी होने का खतरा
मोबाइल उपभोक्ताओं को डाटा चोरी होने का खतरा महसूस हो रहा है, क्योंकि अधिकांश मोबाइल में आनलाइन पेमेंट एप्स भी होते हैं. एप्स समूह के मध्य विज्ञापनों के लिंक आने से ना चाहते हुए भी उन पर क्लिक हो जाता है, जिससे उनका ब्राउजर खुल जाता है.
गुगल एड सेंस की तर्ज पर होती होगी कमाई
विज्ञापनों की एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे देखने पर कहा कि इस मोबाइल कंपनी को गुगल एड सेंस की तर्ज पर कमाई होती होगी. गुगल एड सेंस विज्ञापनों के लिंक पर होने वाली क्लिकिंग के हिसाब पेमेंट करता है. इसलिए मोबाइल कंपनियां अपने मुख्य साफ्टवेयर से विज्ञापनों को जोड़कर इसे प्रसारित कर रही हैं, क्योंकि इसका लोकेशन नहीं होने के कारण मोबाइल उपभोक्ता इसे डिलीट भी नहीं कर सकते हैं.
गेम्स एप्स पर प्रतिबंध से नुकसान की भरपाई का प्रयास
विज्ञापन के एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि गेम्स के एप्स पर लगे प्रतिबंध से मोबाइल कंपनियों का काफी नुकसान हुआ है. गेम्स एप्स उपलब्ध कराने वाली कंपनियों से मोबाइल कंपनियों को कमाई होती थी. किसी भी एप्स के साथ करार होने के बाद उसके माध्यम से विज्ञापनों आदि से कमाई का हिस्सा मिलता था. लगता है कि इसकी भरपाई के लिए मोबाइल कंपनियों ने यह नया तरीका अपनाया है.
केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग
टेक्नो स्पार्क मोबाइल फोन प्रयोग करने वाले एक उपभोक्ता ने कहा कि जबसे मोदी सरकार ने चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है, तबसे यह समस्या देखने को मिल रही है. ना चाहते हुए भी हम इन्हें झेलने को मजबूर हैं. इसे हम हटा भी नहीं सकते हैं, क्योंकि ये आपरेटिंग साफ्टवेयर से जुड़ा है. जबसे मैंने मोबाइल का साफ्टवेयर अपडेट किया है, तबसे यह समस्या हो रही है. टेक्नो कंपनी एक अपने इंस्टेंट एप्स के जरिये यह सब कर रही है. इस एप्स को हटाने के बाद मोबाइल चलाने में परेशानी होती है और यह पुनः अपडेट लेना शुरू कर देता है. इसलिए केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से हस्तक्षेप करते हुए प्रतिबंध लगाना चाहिए.