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अनुगूल  की 72 साल पुरानी कहानी सुन लोग हुए भावुक

  • ट्वीटर पर डीआईजी अनुगूल का इतिहास किया बयां

  • केन्द्रमंत्री नितिन गडकरी भी कई बार कर चुके हैं नेपाली बाबा का जिक्र

अमित मोदी, अनुगूल

डीआईजी जेएन पंकज ने ट्वीटर पर अनुगूल के 72 साल पुराने एक काले सच का बयां किया है। सरकारी दस्तावेजों के हवाले से बयां किए गए इस इतिहास को पढ़कर कई लोग भावुक हो गये तथा अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कई लोगों ने ताज्जुब होते हुए प्रतिक्रियाएं दी हैं। पंकज द्वारा लिखे गए इतिहास के बारे में इससे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी कई बार अपने भाषणों में ज़िक्र कर चुके हैं। पंकज के ट्वीट अनुसार साल 1950 के दिसंबर में सड़कों ओर रेलवे स्टेशन पर करीब 5000 शव बिखरे पड़े थे। कहा जाता है कि इसके अलावा वन क्षेत्रों में भी बिखरे शवों की गिनती नहीं की गयी थी। यह घटना उस समय की सबसे बड़ी त्रासदी मानी गयी है। बताया जाता है कि साल 1950 के सितंबर महीने में अज्ञात बीमारी लोगों की मौत शुरू होने लगी है। इसके बाद दिसंबर तक काफी संख्या में लोग मारे गये। इन चार महीनों की अवधि के दौरान लोगों को खबर मिली कि अनुगूल शहर से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रन्तलेई गांव के नेपाल साहू (नेपाली बाबा) नामक एक लड़के को कुछ दिव्य जड़ी-बूटियों की जानकारी है, जबकि वास्तव में उस समय यह गाय-बकरियों को चलाता था। लोगों को सूचना मिली थी कि वह इसके उपयोग करके किसी भी बीमारी को ठीक कर सकता है। इससे अन्य पड़ोसी राज्यों से लोगों का आना शुरू हो गया। भुवनेश्वर से मेरामंडली के लिए विशेष ट्रेनें चलाई गईं। लोगों ने विशेष बसों और टैक्सी सेवाओं का इस्तेमाल किया। अमीर और बुद्धिजीवी लोग हवाई मार्ग से भुवनेश्वर आए और फिर कार से नेपाली बाबा से मिलने पहुंच रहे थे।

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए चौकी खोलने समेत पुलिस के विशेष इंतजाम किए गए थे। देखते ही देखते हजारों लोग एक छोटे से इलाके में जमा हो गये। इस दौरान अपरिहार्य परिणाम एक विषाणुजनित महामारी से स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह चरमरा गई। हजारों लोग मारे गए। कौवे, गिदड़, गिद्ध शवों पर दावत करते देखे गए। स्थानीय पुलिस, ओएमपी की गोरखा प्लाटून और पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय, अनुगूल के सभी प्रशिक्षुओं को शवों को हटाने के लिए बुलाया गया था। सरकार ने जादुई दवा के वितरण पर रोक लगाते हुए धारा 144 लगाई।

बाद में दिल्ली की एक प्रयोगशाला में “दिव्य औषधि” का परीक्षण किया गया, जिसमें बताया गया कि यह एक साधारण जड़ी है, जिसमें कोई औषधीय गुण नहीं है। हजारों की संख्या में लोगों की मौत का पूरा मंजर एक बेहद महंगा और भयानक सबक था।

अब पंकज द्वारा किए गए इस ट्वीट को अब तक सेंकडो लोग लाइक करने के साथ प्रतिक्रिया दे रहे हैं। अनुगूल के इतिहास जानने पर लोगो में काफी उत्सुकता भी देखने को मिली है।

नेपाली साहू के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि नेपाली साहू गाय बकरी को चराने का काम करता था। एक दिन स्थानीय मन्दरगिरी जंगल के बीच बुखार के कारण नेपाली  एक पेड़ के नीचे विश्राम कर रहा था। इस दौरान एक तपस्वी बाबा उनके पास पहुंचे। नेपाली बाबा को बुखार में तपता हुआ देख तपस्वी बाबा ने कई जड़ी-बुटियों और मन्त्र ज्ञान देते हुए कहा कि इनके प्रयोग से हर इलाज संभव है। नेपाली बाबा ने गांव लौट कर लोगों को जड़ीबूटी देते हुए इसका प्रयोग शुरू कर दिया। यह बात धीरे-धीरे आसपास के इलाके में फैलने के साथ कई राज्य तक फैल गयी। उनके इलाज के करिश्मे को मानते हुए लोग नेपाली बाबा के पास आने लगे। उस वक्त इतनी भारी मात्रा में लोगों के आगमन के कारण पेयजल तथा खानेपीने की कमी हो गयी थी। लोग पैदल, बैलगाड़ी आदि में आते थे। रास्ते में जहां तालाब दिखता वहीं नहाने और सौच करने के साथ उसी पानी को पीने के लिए मजबूर हो गए। इन्ही कारणों की वजह से हैजा ओर कई बीमारियां फैलने लगीं। भूख,प्यास,बीमारी आदि सारे संकट से जूझते हुए लोगों की जाने चली गयीं।

 

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