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वैश्विक संकेतों और विदेशी निवेशकों की बिकवाली से दबाव में आया शेयर बाजार

नई दिल्ली, भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को मची भगदड़ के लिए नकारात्मक वैश्विक संकेत और विदेशी निवेशकों की जोरदार बिकवाली को मुख्य वजह माना जा रहा है। भारतीय शेयर बाजार में आज 2.6 प्रतिशत से भी अधिक की गिरावट दर्ज की गई जिसकी वजह से देखते ही देखते निवेशकों के करीब 10 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए।

शेयर बाजार के जानकारों का मानना है कि अमेरिका में ब्याज दरों के बढ़ने के संकेत की वजह से अमेरिकी बाजार लगातार दबाव में हैं। शनिवार को भी अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद हुए थे। अमेरिकी बाजार की कमजोरी से दुनिया भर के शेयर बाजारों पर नकारात्मक असर पड़ा है। स्वाभाविक रूप से भारतीय शेयर बाजार भी इससे अछूते नहीं रहे हैं।

शेयर बाजार में आई जोरदार गिरावट के लिए विदेशी निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर बिकवाली करके अपना पैसा निकालने की हड़बड़ी को भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है। जानकारों का कहना है विदेशी निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में होने वाली बढ़ोतरी के पहले विदेशी बाजारों से अपना मुनाफा इकट्ठा कर लेना चाहते हैं। यही वजह है कि विदेशी निवेशक आक्रामक तरीके से शेयर बाजार में बिकवाली कर रहे हैं, जिसके कारण बाजार में नकारात्मक माहौल बन गया है।

इसके साथ ही रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ रहे तनाव ने भी ग्लोबल मार्केट में चिंताएं बढ़ा दी हैं। माना जा रहा है कि अगर ये तनाव और बढ़ा तो इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक असर पड़ सकता है। इस तनाव की वजह से भी निवेशक भारत समेत दुनिया भर के विभिन्न शेयर बाजारों से अपने पैसे को सुरक्षित निकालने में लग गए हैं।

धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी के मुताबिक अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व बैंक की बैठक कल से शुरू हो रही है। इस बैठक में ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला लिए जाने की उम्मीद है। इस फैसले का ऐलान 26 जनवरी को किया जाएगा, जिसका असर भारतीय शेयर बाजार पर 27 जनवरी को नजर आएगा।

हालांकि इस फैसले के आने के पहले से ही दुनिया के अन्य शेयर बाजारों की तरह ही भारतीय शेयर बाजार में भी आज भगदड़ की स्थिति बनी रही। जिसकी वजह से बाजार में लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में से 921 शेयर पर लोअर सर्किट लग गया। माना जा रहा कि अगर अभी तक मिल रहे संकेतों के मुताबिक ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक में ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला मंजूर कर लिया जाता है, तो भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का एक और दौर शुरू हो सकता है।
साभार-हिस

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