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मार्च तक 4 और पीएसयू के विनिवेश की योजना

नई दिल्ली, मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियों को विनिवेश कार्यक्रम के जरिए निजी क्षेत्र के हवाले कर सकती है। इसके पहले इस साल केंद्र सरकार एयर इंडिया और सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीआईएल) की रणनीतिक रूप से बिक्री के मामले को निपटा चुकी है।

एयर इंडिया और सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की रणनीतिक तौर पर बिक्री की कई महीने तक चली कवायद के बाद अब केंद्र सरकार का विनिवेश विभाग चार और सरकारी कंपनियों के विनिवेश कार्यक्रम को पूरा करने की कोशिश में जुट गया है। बताया जा रहा है इन चार कंपनियों में शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, पवन हंस और नीलांचल इस्पात जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं।
केंद्र सरकार भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की रणनीतिक बिक्री भी इस वित्त वर्ष के अंत तक निपटा लेने की कोशिश कर रही है, लेकिन माना जा रहा है कि इस कंपनी का विनिवेश कार्यक्रम अगले वित्त वर्ष तक के लिए भी टाला जा सकता है। इसके साथ ही केंद्र सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के साथ ही एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का भी विनिवेश कार्यक्रम के जरिये निजीकरण करने की योजना पर काम कर रही है।
केंद्र सरकार के विनिवेश विभाग के मुताबिक हेलीकॉप्टर सर्विस प्रोवाइडर कंपनी पवन हंस की रणनीतिक बिक्री के लिए केंद्र सरकार ने 2020 के दिसंबर में बोली मंगाई थी। इसके पहले भी पवन हंस की बिक्री के लिए दो बार की कोशिश विफल हो चुकी है। पवन हंस में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है। केंद्र सरकार द्वारा अपनी हिस्सेदारी को विनिवेश कार्यक्रम के जरिए निजी क्षेत्र को बेचने का फैसला लेने के बाद ओएनजीसी ने भी अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया था।
इसी तरह शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की रणनीतिक बिक्री के लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में बोलियां आमंत्रित की थी। शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में केंद्र सरकार की 63.75 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, जिसकी कीमत मौजूदा बाजार मूल्य के आधार पर करीब 2,500 करोड़ रुपये है। माना जा रहा है कि इस कंपनी में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेच कर करीब तीन हजार करोड़ रुपये हासिल करना चाहती है।
साभार-हिस

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