नई दिल्ली, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है। ब्रेंट क्रूड की कीमत प्रति बैरल 83 डॉलर के करीब पहुंच चुकी है। वहीं वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (डब्ल्यूटीआई क्रूड) भी 80 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर चुका है।
कच्चे तेल की कीमत में आई इस उछाल की वजह से तेल का आयात करने वाले भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत पर लगातार दबाव की स्थिति बनी हुई है। कच्चे तेल की कीमत की इस तेजी के कारण अक्टूबर महीने में अभी तक के 11 दिनों में भारतीय ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को 10 बार पेट्रोल और डीजल की कीमत में इजाफा करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
पिछले कारोबारी सत्र में ब्रेंट क्रूड की कीमत में प्रति बैरल 0.52 डॉलर की तेजी आई। जिसके कारण ब्रेंट क्रूड 82.91 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह डब्ल्यूटीआई क्रूड भी पिछले कारोबारी सत्र में लगातार तेजी दिखाते हुए 0.67 डॉलर प्रति बैरल की छलांग के साथ 80.02 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंचकर बंद हुआ। नवंबर 2014 के बाद पहली बार डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमत प्रति बैरल 80 डॉलर के स्तर के ऊपर गई है।
जानकारों के मुताबिक कच्चे तेल के उत्पादन में पिछले डेढ़ महीने के दौरान लगातार कमी बनी हुई है। मैक्सिको की खाड़ी से कच्चे तेल के उत्पादन में काफी गिरावट आई है। पहले मैक्सिको की खाड़ी में हुए हादसे के कारण और फिर बाद में चक्रवाती तूफान इडा की वजह से मैक्सिको की खाड़ी में कच्चे तेल के उत्पादन पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है। हादसे और चक्रवाती तूफान की वजह से यहां के 150 से ज्यादा क्रूड ऑयल प्लेटफार्म से अभी भी पर्याप्त मात्रा में कच्चे तेल का उत्पादन नहीं हो पा रहा है।
कच्चे तेल के उत्पादन में आई इस कमी के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग में भी इन दिनों काफी इजाफा हुआ है। कोरोना संक्रमण कम होने के बाद कारोबारी गतिविधियों के पटरी पर लौटने के कारण पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में वैश्विक स्तर पर बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही अमेरिकी तेल कंपनियों द्वारा अपने क्रूड ऑयल स्टॉक के लिए की जा रही जमकर खरीदारी की वजह से भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग पर दबाव बना हुआ है। इसकी वजह से कच्चा तेल लगातार नई ऊंचाई की ओर बढ़ता हुआ नजर आ रहा है।
जानकारों का कहना है कि अगर जल्दी ही मैक्सिको की खाड़ी के सभी क्रूड ऑयल प्लेटफार्म से होने वाला कच्चे तेल का उत्पादन सुचारू रूप से चालू नहीं हुआ, तो आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल तक भी जा सकती है। ऐसा होने से अपनी अधिकतम जरूरत के लिए तेल के आयात पर निर्भर करने वाले भारत जैसे देश को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा होने पर भारतीय उपभोक्ताओं को भी ऊंची कीमत पर पेट्रोल या डीजल खरीदने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।
साभार-हिस