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राष्ट्रपति भवन का सांस्कृतिक केंद्र भारतीय सेना और खेल की एकता का प्रतीक बना
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र से 134वें इंडियन ऑयल डूरंड कप की तीन प्रतिष्ठित ट्रॉफियों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह एशिया का सबसे पुराना और देश का सबसे प्रतिष्ठित फुटबॉल टूर्नामेंट है, जिसकी औपचारिक शुरुआत देश की खेल परंपरा और सैन्य सेवा भावना का प्रतीक बनी।
यह लगातार दूसरा वर्ष है, जब राष्ट्रपति ने इस प्रतीकात्मक कार्य को अंजाम दिया। राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने संबोधन में कहा, “फुटबॉल केवल एक खेल नहीं, यह करोड़ों लोगों का जुनून है। यह रणनीति, सहनशक्ति और सामूहिक लक्ष्य की भावना को दर्शाता है। डूरंड कप जैसे आयोजन न केवल खेल भावना को बढ़ावा देते हैं, बल्कि युवा खिलाड़ियों को मंच भी प्रदान करते हैं।” उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा इस परंपरा को बनाए रखने और बढ़ावा देने की सराहना की।
डूरंड कप, प्रेसिडेंट्स कप और शिमला ट्रॉफी की यात्रा अब पांच मेज़बान राज्यों पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, मेघालय और मणिपुर में निकाली जाएगी। यह ट्रॉफी यात्रा 23 जुलाई को शुरू हो रहे टूर्नामेंट से पहले जनता में उत्साह और जुड़ाव पैदा करने का उद्देश्य रखती है। फाइनल मुकाबला 23 अगस्त को होगा। इस अवसर पर प्रमुख सैन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे, जिनमें थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायुसेनाध्यक्ष एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह थे।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा, “डूरंड कप बहादुरी, अनुशासन और एकता की विरासत है, जो हमारी सेनाओं और राष्ट्र की महान परंपराओं को दर्शाता है।”
पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी ने कहा, “यह केवल एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि भारत की विविधता में एकता, चरित्र निर्माण और अनुशासन की भावना का उत्सव है।”
र्जुन पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध फुटबॉलर संदेश झिंगन ने कहा, “हम केवल ट्रॉफी का अनावरण नहीं कर रहे, बल्कि उस विरासत को सम्मानित कर रहे हैं जिसने भारतीय फुटबॉल को आकार दिया है। डूरंड कप हमारे देश के खिलाड़ियों के सपनों का पहला पड़ाव है।”
दिल्ली क्षेत्र के जीओसी और डूरंड फुटबॉल टूर्नामेंट सोसाइटी के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल भव्यनिश कुमार ने सभी प्रतिभागी टीमों को शुभकामनाएं दीं।
साभार – हिस