पणजी, बिहार की महिला रग्बी टीम को अगर सही मार्गदर्शन मिले तो वो कमाल कर सकती हैं। यह कहना है बिहार रग्बी टीम के श्रीलंकाई कोच दुलांजना विजयसिंघे का, जो अपनी टीम लेकर गोवा में चल रहे 37वें राष्ट्रीय खेलों में आए हुए हैं।
बिहार रग्बी महिला टीम ने गोवा में जारी 37वें राष्ट्रीय खेलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बनाई। फाइनल में टीम को एक करीबी मुकाबले में ओडिशा के हाथों 7-12 से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा। जहां तक पुरुष टीम की बात है तो उसे पांचवें और छठे स्थान के लिए हुए प्लेऑफ में हार मिली। बिहार की पुरुष रग्बी टीम ने पहली बार नेशनल गेम्स के लिए क्वालीफाई किया था।
दुलांजना ने बताया कि वह पहली बार भारत में किसी स्टेट टीम के कोच बने हैं और वह इससे काफी प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, ”पहली बार मैं भारत में किसी स्टेट टीम को कोचिंग दे रहा हूं। मैंने श्रीलंका में 14 क्लब सीजन खेले हैं और एशियाई सीरीज में भी अपने देश का प्रतिनिधित्व किया है। मैं बिहार सरकार का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि उन्होंने मेरे ऊपर विश्वास किया। मैं उनका शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे लड़के और लड़कियों के कोचिंग की जिम्मेदारी सौंपी। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि बिहार की लड़कियों को अगर मौका मिले तो वो बहुत कुछ कर सकती हैं।”
बिहार ने इससे पहले, अपनी रग्बी टीमों के लिए दो साउथ अफ्रीकी कोचों को नियुक्त किया था, जिनके नाम जोंड्रे नाउदे और कियानो है। बिहार की सरकार ने रग्बी में कोचिंग के लिए कैसे एप्रोच किया? इस पर श्रीलंकाई कोच ने कहा, ”मैं भारत में 3-4 सालों के लिए ऑल रग्बी टूर्नामेंट का हिस्सा रहा हूं। बिहार रग्बी फेडरेशन ने मुझे बिहार रग्बी टीम को कोचिंग देने का न्यौता भेजा और अब मैं बिहार की टीम को कोचिंग दे रहा हूं। मुझे बिहार सरकार की तरफ से कुछ टारगेट्स मिले हैं और मैं उनपर काम कर रहा हूं।”
कोच ने कहा, ”बीते दिनों पांच बच्चियों ने नेशनल ट्रायल दिया। लड़के पहली बार राष्ट्रीय खेलों के रग्बी में बिहार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। लड़कों के लिए अबतक कोई टारगेट नहीं है। मैं खुश हूं कि लड़के अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन बिहार सरकार भी लड़कियों के परफॉरमेंस को लेकर संजीदा है।”
यह पूछे जाने पर कि आप टीम से कब जुड़े और कब तक टीम में रहना है? इस पर श्रीलंकाई कोच ने कहा, ”मैं टीम से 8 अक्टूबर को जुड़ा। मुझे सिर्फ राष्ट्रीय खेलों तक ही टीम से जुड़ने को कहा गया है, यानी मैं अभी 20 दिनों से कोचिंग दे रहा हूं। अगर बिहार सरकार आगे कोचिंग के लिए कहती है तो देखता हूं क्या हो सकता है।”
खिलाड़ियों के साथ कम्युनिकेशन गैप को कैसे मैनेज करते हैं, इस पर कोच ने कहा, ”गेम का अपना एक लैंग्वेज होता है और वो हर खिलाड़ी समझता है। बाकी टीम में कुछ ऐसे लड़के और लड़कियां हैं जो अच्छी अंग्रेजी समझते हैं और जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती उन्हें वो समझाने में मदद करते हैं।”
साभार -हिस