कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे हिंद महासागर में पनडुब्बियों के बढ़ते प्रयोग से चिंतित हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की व्यापक समीक्षा की बात कही है।
श्रीलंका के गाले प्रांत के दक्षिणी जिले में नौसेना अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि समीक्षा में कई कारक, आर्थिक रुझान और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव शामिल होंगे। समकालीन सुरक्षा नीतियां तैयार कर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को रिपोर्ट करने के लिए एक सेवानिवृत्त मेजर जनरल के नेतृत्व में टीम गठित की गयी है। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिदृश्य हिंद महासागर क्षेत्र में वैश्विक शक्ति संघर्षों के अतिक्रमण का गवाह है। एक मोर्चे पर प्रशांत महासागर के पार अमेरिका और चीन के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। दूसरे मोर्चे पर यूक्रेन के संदर्भ में पश्चिमी देशों और रूस के बीच एक शक्ति संघर्ष उभरा है। यह प्रतिस्पर्धा अफ्रीका में नाइजर जैसे दूरदराज के इलाकों तक फैल गई है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा कि हिंद महासागर में पनडुब्बियों का इस्तेमाल बढ़ा है। इसलिए, द्वीप राष्ट्र की समुद्री सुरक्षा रणनीति को पनडुब्बी निगरानी और नियंत्रण के अनुरूप एक मजबूत कार्यक्रम के विकास की दिशा में निर्देशित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समीक्षा रिपोर्ट के संकलन के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की आधुनिक सुरक्षा नीतियों के लिए एक खाका अपनाया जाएगा।
विक्रमसिंघे ने कहा कि श्रीलंका को हिंद महासागर क्षेत्र में तटस्थता बनाए रखनी चाहिए। निस्संदेह, हिंद महासागर दुनिया के महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों की मेजबानी करता है, जिससे श्रीलंका इस स्तर पर एक अभिन्न खिलाड़ी बन जाता है। श्रीलंका इन जल क्षेत्रों में नौपरिवहन का संचालन करता है, ऐसे में यह जरूरी है कि श्रीलंका एक निष्पक्ष रुख बनाए रखते हुए इन अंतरराष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वियों के बीच उलझनों से मुक्त एक रास्ता तैयार करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि श्रीलंका की सबसे बड़ी चिंता इस क्षेत्र में अपनी सुरक्षा होनी चाहिए।
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