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सिर्फ पुरी में निकलेगी महाप्रभु की रथयात्रा, अन्य जगहों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी रोक

  • कोरोना को लेकर सभी याचिकों को किया खारिज

  • मुख्य न्यायाधीश ने कहा- मैं भी पुरी जाना चाहता था, लेकिन पिछले डेढ़ साल में नहीं जा सका, यह सही समय नहीं है

भुवनेश्वर. इस साल भी सिर्फ पुरी में ही महाप्रभु श्री जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा निकाली जायेगी. देश के सर्वोच्च न्यायालय ने उन कई याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें इस साल पुरी में ही नहीं, अपितु ओडिशा में अन्य स्थानों पर रथयात्रा के आयोजन की अनुमति देने की मांग की गई थी.

केवल पुरी श्रीजगन्नाथ मंदिर को छोड़कर ओडिशा में भगवान श्री जगन्नाथ की रथयात्रा के राज्यव्यापी उत्सव की अनुमति देने से इनकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने मंगलवार को कहा कि हम भी वार्षिक अनुष्ठान का हिस्सा बनने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोविद-19 अभी भी कहर बरपा रहा है.

उल्लेखनीय है कि जून में ओडिशा सरकार ने कहा था कि शीर्ष अदालत द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए केवल पुरी में 12 जुलाई को रथयात्रा आयोजित की जाएगी. राज्य के अन्य जगहों पर रथयात्रा आयोजित करने की अनुमति नहीं होगी.

इसके बाद अन्य स्थानों पर रथयात्रा की मांग करने वाले एक याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि कोविद-19 की स्थिति अब अलग है, मामलों की संख्या में कमी आई है. इसलिए रथयात्रा की अनुमित प्रदान किया जाये. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि कोई नहीं जानता कि भविष्य में कोविद की स्थिति कैसी होगी. मुख्य न्यायाधीश ने पुरी के साथ अन्य स्थानों पर रथयात्रा की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं से कहा कि आप भगवान से प्रार्थना करना चाहते हैं. आप इसे घर से कर सकते हैं. मैं भी पुरी जाना चाहता था, लेकिन पिछले डेढ़ साल में नहीं जा सका. यह सही समय नहीं है.

याचिकाओं को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा कि पिछले साल कुछ लोगों की मौत हुई. इस साल भी कोरोना के कारण काफी लोगों की मौत हुई है. हमें उम्मीद है कि भगवान अगले साल हमें इन अनुष्ठानों की अनुमति देंगे.

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत मौजूदा महामारी की पृष्ठभूमि में ओडिशा सरकार के आदेश से सहमत है.

उल्लेखनीय है कि नवीन पटनायक की नेतृत्व वाली सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपना बयान दिया था कि यदि वार्षिक अनुष्ठान को आगे बढ़ाया जाता है तो राज्यभर के मंदिरों में हजारों भक्तों द्वारा सख्त कोविद प्रोटोकॉल का पालन करना उसके लिए असंभव होगा.

बेंच में शामिल जस्टिस एएस बोपन्ना और हृषिकेश रॉय ने बारिपदा, सासन और राज्य के अन्य शहरों में रथयात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया.

इधर, 23 जून को  राज्य के उच्च न्यायालय ने केंद्रापड़ा और बरगड़ जिलों में रथयात्रा के उत्सव को आयोजित करने की अनुमति मांगने वाली पांच याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

पिछले साल, शीर्ष अदालत ने इस शर्त पर रथयात्रा की अनुमति दी थी कि कोई भी सार्वजनिक उपस्थिति नहीं होगी और पुरी में सभी प्रवेश बिंदु सील रहेंगे.

अदालत ने आदेश दिया था कि तीन रथों में से प्रत्येक को 500 से अधिक लोगों द्वारा नहीं खींचा जाएगा. हालांकि ऐसे लोगों की कोरोना जांच की जायेगी और नकारात्मक पाये जाने वाले सेवायत को ही इसमें शामिल होने की अनुमति दी जायेगी.

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