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कीस डीम्ड विश्वलिद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह कल, राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल होंगे मानद सम्मान से सम्मानित

  • गिरीश चंद्र मुर्मू, स्वरूप रंजन मिश्र और विभु महापात्र भी होंगे मानद सम्मान से सम्मानित

  • डा अच्युत सामंत ने जताया सबके प्रति आभार

  • कहा-कुछ सालों पहले एक छोटा सा पौधा आज एक विशाल पेड़ बन गया

अशोक पांडेय, भुवनेश्वर

कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (कीस) डीम्ड विश्वलिद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह रविवार को आयोजित होगा. कीस डीम्ड विश्वविद्यालय का पहला दीक्षांत 27 जून को कोविद -19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर हाईब्रिड मोड, फिजिकल और वर्चुअल तरीके से आयोजित होगा. 143 छात्रों को अपने स्नातकोत्तर और एम. फिल पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए डिग्री प्रदान की जाएगी. समारोह में प्रतिभाशाली और सबसे होनहार स्नातकों को संस्थापक स्वर्ण पदक, चांसलर स्वर्ण और कुलपति के रजत पदक से सम्मानित किया जाएगा.

वर्चुअल समारोह में ओडिशा के महामहिम राज्यपाल, सबसे मिलनसार व्यक्ति प्रो. गणेशी लाल प्रमुख रूप से उपस्थित रहेंगे, जिन्हें कीस डीम्ड विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में मानद सम्मान से सम्मानित किया जाएगा.

अन्य मानद उपाधि प्राप्त करने वालों में श्री गिरीश चंद्र मुर्मू, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, स्वरूप रंजन मिश्र, केन्या के केसेस निर्वाचन क्षेत्र के सांसद और श्री विभु महापात्र, फैशन डिजाइनर और कॉस्ट्यूम डिजाइनर, न्यूयॉर्क शामिल हैं.

इस मौके पर कीट-कीस संस्थापक डाक्टर अच्युत सामंत ने कहा कि इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं कीट के सभी हितधारकों को उनके अथक समर्थन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं. मैं कीस के शुभचिंतकों को उनके प्यार, स्नेह और विश्वास के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. कीट और कीस के छात्रों और कर्मचारियों को उनके अथक प्रयास के लिए आभार जताना चाहता हूं.

डा अच्युत सामंत ने कहा कि मैं बहुत आभारी और खुशी महसूस करता हूं, जब मैं अतीत को याद करता हूं. कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (कीस) जो कुछ सालों पहले एक छोटा सा पौधा था, आज वह एक विशाल पेड़ बन गया है. वह सभी को अपनी छाया दे रहा है और अपनी जड़ों को गहरी बनाकर लाखों लोगों के लिए विशाल शामियाना बन गया है.

उन्होंने कहा कि यह एक सपने के सच होने की कहानी है. ऐसा सपना जिसने 1992-93 में 125 छात्रों को लेकर उड़ान भरी और फोनिक्स की तरह विकसित हुआ. यह परिवर्तन की एक ऐसा प्रेरक कहानी है, जो अब वास्तव में मेरी कल्पना से परे हो चुका है.

एक सामान्य व्यक्ति होने के नाते, जब मैंने कीस की स्थापना की, तब मैरे अंदर विश्वास था. लेकिन, मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि इसका विकास अत्यंत घातीय, प्रभावी और आदिवासी लड़के-लड़कियों की शिक्षा के पैटर्न में क्रांतिकारी बदलाव होगा. कीस ने कभी अपना मूल विश्वास कि शिक्षा सशक्त बनाती है को नहीं छोड़ा.

अपने तीन ई-फर्मूला, एनैबल, एजुकेट और एम्पॉवर पर ध्यान केंद्रित करने वाला कीस एक आवासीय शैक्षिक संस्थान है, जहां नि:शुल्क शिक्षा, आवास, सेवास्थ्य सेवा, व्यावसायिक, 60,000 स्वदेशी बच्चों को खेल और कला का प्रशिक्षण प्रदान करता है. इसने कई वैश्विक मान्यताएं और समर्थन को हासिल किया, जो संस्थान के लिए गर्व की बात है.

इस संस्थान के छात्र अपने ही क्षेत्र के 62 विभिन्न जनजातीय समुदायों से हैं, जिनमें से 13 तो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समुह से हैं. इनमें से 30,000 छात्र भुवनेश्वर स्थित मुख्य परिसर में पढ़ते हैं.

अब एक मील का पत्थर

इस संस्थान का मजबूत एलुम्नी आधार है, जिसमें 30,000 सशक्त लड़के-लड़कियां शामिल हैं और जल्द ही 10,000 से अधिक विद्यार्थी ओडिशा में कीस के 10 सैटेलाइट सेंटरों में शिक्षा लेंगे. कीस ने अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों जनजातीय बच्चों और युवाओं को प्रभावित किया है, जो जनजातीय बच्चों के इतिहास में यह अपने में एक मील का पत्थर है, उन बच्चों के लिए जिन्होंने अपने पुराने पिछड़ेपन से छुटकारा पाकर अब यहां हैं.

सशक्तिकरण का साधन

शिक्षा व्यवस्था में जहां पढ़ाई छोड़ने की समस्या एक संकट बना हुआ है, वहीं कीस अपने 30 से अधिक सालों के अस्तित्व के दौरान पढ़ाई छोड़ने, बाल विवाह, लिंग उत्पीड़न, वामपंथी उग्रवाद, धर्मांतरण, अनदेखी और अंधविश्वास को अपनी शिक्षा और सशक्तिकरण के माध्यम से बड़े पैमाने पर दूर करने का प्रयास किया है.

संस्थान ने शिक्षा के महत्व, लड़की के सशक्तिकरण, कुशल बनाने और व्यावसायिक सशक्तिकरण, उद्यमशीलता पर जागरूकता बढ़ाया. साथ ही जनजातीय समुदायों के सहयोग से कीस ने उन्हें पारिस्थितिकी तंत्र, प्रकृति का असल रखवाला बनाया.

नई वैश्विक ऊंचाइयों को छूना

अपने अप्राप्य रिकार्ड के लिए, 2017 में कीस प्रथम अनन्य आदिवासी डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी बना जो कि तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से प्रदान किया गया.

अपने विकास के साथ, मैं हमेशा से कीस की संस्थान के रूप में विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए इसे विश्वविद्यालय की मान्यता के प्रति आकांक्षी रहा और आदिवासी विद्वानों द्वारा आदिवासी अध्ययन के लिए शौध के प्रति प्रतिबद्ध हूं.

2015 में कीस को एक नई ऊंचाई मिली, जब संस्थान को अंतरराष्ट्रीय मान्यता और समर्थन मिला. 2015 से संस्थान को यूएन-ईसीओएसओसी द्वारा विशेष सलाहकार का दर्जा प्राप्त है.

इसके बाद रिकार्ड विकास के साथ संस्थान ने खुद को शीर्ष संस्थानों के बीच पाया. संस्थान ने कई यूएन एजेंसियां और निकायों जैसे UNFPA, UNEP, UNDP, UNICEF, UN Women, US Consulate और विभिन्न क्षमता-निर्माण परियोजनाओं और इसके कार्यान्वयन के सहयोग से काम किया है.

ज्ञान का गंतव्य

कीस का दौरा करने वाले नोबल पुरस्कार विजेता, कानूनी दिग्गज, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं, स्टेट्समैन, लेखक और मशहूर हस्तियों के सामने संस्थान ने अपनी उपलब्धियां खुद ही बयां की और प्रशंसा बटौरी है. साथ ही कीस ने भी मानव सेवा के लिए पुरुषों और महिलाओं को पुरस्कृत करने के लिए कीस Humanitarian Award की शुरुआत की है.

कीस जल्द ही गंतव्य बन जाएगा और यह नई ऊंचाइयों में नजर आएगा. कीस अपनी उपलब्धियों के साथ आकर्षण का केंद्र बना और कीस डीम्ड विश्वविद्यालय में बहु प्रतिष्ठित पैनल जुड़ गया.

श्री सत्य एस त्रिपाठी कुलाधिपति के रूप में शामिल हुए हैं. वह संयुक्त राष्ट्र के पूर्व सहायक महासचिव और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के न्यूयॉर्क कार्यालय के प्रमुख थे.

पैनल में अन्य विशिष्ट सदस्य हैं – प्रो-चांसलर के रूप में डॉ उपेंद्र त्रिपाठी, आईएएस (सेवानिवृत्त), कुलपति के रूप में डॉ दीपक बेहरा, प्रो-वाइस चांसलर डॉ पीतबास साहू, महानिदेशक डॉ कान्हू चरण माहाली. उनके कार्यकाल के दौरान, कीस डीम्ड विश्वविद्यालय निश्चित रूप से छात्र उपलब्धियों, शोध, सहयोग और अकादमिक उत्कृष्टता के मामले में नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकेगा.

एक अंतहीन क्रांति

कीस जो एक विचार के रूप में शुरू हुआ और एक क्रांति में तब्दील हो गया, हमेशा से वैश्विक समस्या का स्थानीय समाधान निकाला है. हम कीस डीम्ड विश्वविद्यालय को जनजातीय संबंधी समस्याओं को महत्व देने, अकादमिक बहस, विचार-विमर्श और आदिवासी नीतियों, कानूनों, संस्कृति और महत्व को प्राथमिकता देने के लायक बना रहे हैं.

और जैसा कि अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने कहा है, ‘अपने साथियों से श्रेष्ठ होने में कोई महानता नहीं है; सही बड़प्पन स्वयं को बेहतर बनाने में है.’ कीस डीम्ड विश्वविद्यालय हमेशा आगे बढ़ता रहेगा और उत्कृष्टता की दिशा में अपने प्रयास में सब विनम्रता के साथ बेहतर बनता रहेगा.

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