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आईएलएस निदेशक ने कहा – घबराने की जरूरत नहीं
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लोगों को वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सतर्क रहना चाहिए
भुवनेश्वर. ओडिशा में कोरोना के नये संस्करण डेल्टा प्लस का मरीज स्वस्थ हो चुका है. वह अप्रैल में कोरोना से पाजिटिव हुआ था और जांच की रिपोर्ट में अब उसमें डेल्टा प्लस के संस्करण होने की पुष्टि हुई है. इस बात की जानकारी देते हुए इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (आईएलएस) के निदेशक डॉ अजय परिडा ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है. परिडा ने बताया कि जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए डेल्टा प्लस वेरिएंट का पता लगाया जा सकता है. आईएलएस ने इस साल जनवरी से अब तक लगभग 46000 कोविद-19 पॉजिटिव नमूनों का जीनोम अनुक्रमण किया है, जिनमें से लगभग 1100 नमूने ओडिशा के विभिन्न जिलों से हैं.
ओडिशा में ‘डेल्टा प्लस’ संस्करण के बारे में उन्होंने बताया कि इससे संक्रमित पाया गया व्यक्ति अप्रैल के महीने में कोरोना पाजिटिव पाया गया था तथा उसका नमूना मई के पहले सप्ताह में आईएलएस तक पहुंच गया था.
मई के दूसरे सप्ताह में किए गए जीनोम सीक्वेंसिंग से पता चला कि वह वेरिएंट से संक्रमित था, लेकिन जून तक ऐसा नहीं था कि ‘डेल्टा प्लस’ को ‘चिंता के प्रकार’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था.
परिडा ने कहा कि व्यक्ति संक्रमण से उबर चुका है और अप्रैल माह से अब तक जीनोम अनुक्रमण के माध्यम से डेल्टा प्लस संस्करण का कोई अन्य मामला सामने नहीं आया है.
ओडिशा के अलावा बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड से भी सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आईएलएस भेजे जा रहे हैं. चार जिलों के लगभग 3500 नमूनों में से केवल एक मामले की पहचान ओडिशा में हुई है.
यदि यह गंभीर होता, तो यह अप्रैल से फैल जाता. चूंकि पिछले दो महीनों में वेरिएंट का कोई अन्य मामला सामने नहीं आया है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है. हालांकि, लोगों को वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सतर्क रहना चाहिए.
उन्होंने कहा कि वायरस का उत्परिवर्तन हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन कोविद नियमों का उपयुक्त व्यवहार और टीकाकरण हमारे हाथ में है. हमें इस पर ध्यान देना चाहिए.