Home / Odisha / ओडिशा का मलेरिया निवारण मॉडल सबसे बेस्ट, डब्ल्यूएचओ ने दी मान्यता, औद्योगिक घरानों की जिम्मेदारियां बढ़ीं

ओडिशा का मलेरिया निवारण मॉडल सबसे बेस्ट, डब्ल्यूएचओ ने दी मान्यता, औद्योगिक घरानों की जिम्मेदारियां बढ़ीं

भुवनेश्वर. आपदा प्रबंधन के बाद वैश्विक मंच ने ओडिशा के मलेरिया निवारण मॉडल को सबसे बेस्ट करार दिया है. सकारात्मकता दर में आयी तेजी से कमी के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2020 की विश्व मलेरिया रिपोर्ट में ओडिशा मॉडल को बेस्ट प्रैक्टिस के रूप में दर्ज किया है.

उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि दुर्गम आंचलों में मलेरिया निराकरण (डीएएमएएन) नाम के राज्य के नेतृत्व वाले कार्यक्रम ने ओडिशा को यह सफलता दिलाई है. 2018-2020 के बीच राज्य के विभिन्न हिस्सों में कुल 16,088 मलेरिया उन्मूलन शिविर आयोजित किए गए.

ओडिशा ने मलेरिया बीमारी को लेकर बहुत बढ़िया काम किया है. राज्य 2016 से पिछले तीन वर्षों में सकारात्मक मामलों की संख्या में 90 प्रतिशत की कमी के साथ मलेरिया उन्मूलन की दिशा में बहुत आगे है. 2018 और 2019 के बीच ओडिशा में मलेरिया संक्रमण की कमी दर 40 प्रतिशत थी, जबकि इसी अवधि के दौरान राष्ट्रीय औसत 17 प्रतिशत रहा है.

यह बातें राज्य के मुख्य सचिव सुरेश चंद्र महापात्र की अध्यक्षता में डिजिटल मोड पर आयोजित वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम पर अंतर-विभागीय समन्वय बैठक के दौरान सामने आई. इस बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पीके महापात्र ने चर्चा के लिए मुद्दों को रेखांकित किया.

इस दौरान पिछले वर्षों में प्रगति की समीक्षा करते हुए महापात्र ने विभागों को चालू वर्ष के दौरान बीमारी के किसी भी संभावित प्रकोप की जांच के लिए सभी निवारक कदम उठाने का निर्देश दिया.

औद्योगिक घरानों को स्वास्थ्य इकाइयों को विकसित करने की सलाह

स्वास्थ्य व्यवस्था को उन्नत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पीके महापात्र ने औद्योगिक और खनन क्षेत्रों में सक्रिय रूप से निवारक कदम सुनिश्चित करने के निर्देश दिया है. औद्योगिक घरानों को सलाह दी गई कि वे अपनी समर्पित सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को परीक्षण और निगरानी सुविधाओं के साथ विकसित करें.

मच्छरों के प्रजनन-चक्र को तोड़ने का निर्देश

मच्छरों से जनित बीमारियों पर नियंत्रण पाने के लिए आवास एवं शहरी विकास विभाग को शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों के सभी सूक्ष्म और लघु स्थिर जल निकायों में मच्छरों के प्रजनन-चक्र को तोड़ने के लिए कीटाणुनाशक तरल पदार्थ का छिड़काव करने को कहा गया है. साथ यह भी निर्देश दिया गया है कि मछलियों वाले जलाशयों को ऐसे कदम उठाते समय ध्यान रखने की जरूरत है.

जागरूकता फैलाने में कलाकारों को जोड़ने का फैसला

राज्य के प्रमुख सचिव सूचना और जनसंपर्क विष्णुपद सेठी ने बताया कि लगभग 10,000 कलाकार संगठन (कलाकार संघ) और विभिन्न लोक कलाओं (लोक कलाओं) के लगभग 500 दल हैं. यह सामुदायिक स्तर पर लोगों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद कर सकते हैं. इसलिए जिला एवं प्रखंडस्तरीय कलाकर संगठनों को शामिल कर गहन जागरूकता निर्माण कार्य करने का निर्णय लिया गया.

वन क्षेत्रों में सुदूर गांवों पर फोकस करने का निर्देश

राज्य के मुख्य सचिव ने पहाड़ी इलाकों और वन क्षेत्रों में सुदूर गांवों पर फोकस करने के निर्देश दिया है. पंचायती राज एवं पेयजल, वन एवं पर्यावरण विभाग तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभागों को पंचायत एवं ग्राम स्तर पर नियमित समन्वय बैठकें करने को कहा गया, ताकि जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई की जा सके. उन्होंने कहा कि यह अनुमान लगाया गया था कि कुल 374 सीएचसी क्षेत्रों में से मलेरिया उन्मुख क्षेत्र को 31 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) क्षेत्रों में कम कर दिया गया है. मुख्य सचिव ने सक्रिय निगरानी और निवारक गतिविधियों के माध्यम से इन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिया है.

मलेरिया से 2020 में सिर्फ नौ मौत

मलेरिया पर अपडेट पेश करते हुए जन स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ निरंजन मिश्र ने कहा कि 2016 में लगभग 4.44 लाख मलेरिया पॉजिटिव केस और 77 मौतें दर्ज हुईं थी. साल 2019 में घटकर 39, 556 पॉजिटिव केस और 09 मौतें हो गईं. इसी तरह साल 2020 में सिर्फ नौ मौतों के साथ पॉजिटिविटी रेट में कमी आई है. 2016 में 08 जिलों में वार्षिक परजीवी सूचकांक (एपीआई) एक से कम था. इस स्थिति में सुधार हुई है तथा एपीआई सूचकांक 23 जिलों में एक से भी कम हो गया.

केंद्र से मिली राशि का पूरा उपयोग हुआ

जन स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ निरंजन मिश्र ने कहा कि केंद्रीय मंत्रालय से प्राप्त 1.57 करोड़ रुपये से लंबे समय तक चलने वाले कीटनाशक मच्छरदानी (एलएलआईएन) के वितरण से लगभग 2.8 करोड़ आबादी को बचाया गया.

लगभग 48,455 आशा को प्रशिक्षित किया गया और मलेरिया के मामलों के निदान और प्रबंधन में लगाया गया. चार ओएमबीएडीसी जिलों, मयूरभंज, केंदुझर, सुंदरगढ़ और जाजपुर में विशेष उन्मूलन परियोजनाएं चलाई गईं. महापात्र ने इस तरह की गतिविधियों को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के निर्देश दिए.

इस बैठक में विकास आयुक्त प्रदीप कुमार जेना, प्रमुख सचिव उद्योग हेमंत कुमार शर्मा, प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं परिवहन मधुसूदन पाढ़ी, प्रमुख सचिव पंचायती राज एवं पेयजल डीके सिंह, प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी विकास जी मथिवथनन, निदेशक एनएचएम शालिनी पंडित एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

Share this news

About desk

Check Also

भद्रक में मछली पकड़ने के जाल में मिली मानव खोपड़ी

जांच के दौरान एक बोरी में अन्य मानव हड्डियां और कंकाल के अवशेष भी मिले …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *