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22 फीसदी छात्रों ने बेड पर बैठे-बैठे ऑनलाइन क्‍लासेज किये

  • 14 फीसदी ने फर्श पर बैठकर की ऑनलाइन पढ़ाई

  • गलत पॉश्‍चर बच्‍चों के दीर्घकालिक शारीरिक और मानसिक विकास में चिंता का विषय

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर

गोदरेज ग्रुप की प्रतिष्ठित कंपनी गोदरेज एंड बॉयस के बिजनेस गोदरेज इंटेरियो ने हाल ही में कराये गये अपने एक सर्वेक्षण में पाया है कि घर से पढ़ाई करने वाले बच्‍चों को खराब पॉश्‍चर के चलते दीर्घकालिक मानसिक एवं शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है.

गोदरेज इंटेरियो की वर्कप्‍लेस एंड अर्गोनॉमिक्‍स रिसर्च सेल के ‘घर से पढ़ाई कर रहे बच्‍चों की देखभाल’ (टेकिंग केयर ऑफ चिल्‍ड्रेन ऐज दे लर्न फ्रॉम होम) विषयक अध्‍ययन में देश भर के 3-15 वर्ष के आयु वर्ग वाले 350 स्‍कूली बच्‍चों के घर से स्‍कूल की पढ़ाई करने संबंधी व्‍यवहार का अध्‍ययन किया गया. इस अध्‍ययन में शामिल अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्‍चों ने दिनभर में कम-से-कम 4-6 घंटों तक गैजेट्स का इस्‍तेमाल किया, जो कि लॉकडाउन के चलते स्‍कूल बंद होने से पहले उनके द्वारा गैजेट्स का उपयोग किये जाने के समय की तुलना में 2-3 घंटे अधिक है. इस बढ़े हुए स्‍क्रीन टाइम के चलते बच्‍चों में शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का खतरा बढ़ सकता है. अध्‍ययन में इस बात का भी खुलासा हुआ कि 52 प्रतिशत बच्‍चों की ऑनलाइन कक्षाएं रोजाना थीं, जबकि 36 प्रतिशत बच्‍चों की ऑनलाइन कक्षाएं हफ्ते में चार बार थीं, और परिणामस्‍वरूप, 41 प्रतिशत बच्‍चों ने आंख से जुड़ी समस्‍याओं (आई स्‍ट्रेन) की शिकायत की.

प्रतिक्रिया स्‍वरूप, गोदरेज इंटेरियो ने ‘हेल्पिंग चिल्‍ड्रेन एडेप्‍ट टू लर्निंग फ्रॉम होम’  विषयक वेबिनार आयोजित किया. इस वेबिनार के जरिए अभिभावकों और केयर गिवर्स को घर से पढ़ाई के दौरान बच्‍चों के संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आवश्‍यक वातावरण तैयार करने के सर्वोत्‍तम तरीकों के बारे में जानकारी दी गयी, चूंकि महामारी के रोकथाम के लिए राज्‍य सरकारों द्वारा माइक्रो-लॉकडाउन्‍स लगाये रखने हेतु निर्देशित किया गया है. वेबिनार में अर्गोनॉमिक लर्निंग स्‍पेसेज के महत्‍व, सेंसरी डाइट्स और शारीरिक गतिविधि की आवश्‍यकता को भी रेखांकित किया गया, जिससे कि बच्‍चों की पढ़ाई के लिए सेहतमंद परिवेश का निर्माण किया जा सके.

सत्र में 1700 से अधिक पंजीकृत प्रतिभागियों ने हिस्‍सा लिया. वेबिनार में अग्रणी शिक्षाविदों और स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों ने प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित किया और प्रशंसनीय समाधान सुझाये ताकि अभिभावकों को उनके प्रयास में मदद मिल सके.

वेबिनार का संचालन ले. कर्नल ए शेखर, सीडीओ, जागरण एजुकेशन फाउंडेशन ने किया. सिद्धार्थ राजगढ़िया,  निदेशक, डीपीएस नासिक, वाराणसी और लावा नागपुर, लीना अशार, सह-संस्‍थापक, कोर्रोबोरी, चांदनी भगत, चाइल्‍ड साइकोलॉजिस्‍ट, फातेमा अगरकर, अगरकर सेंटर ऑफ एक्‍सेलेंस एवं डॉ. रीना वालेचा, प्रिंसिपल अर्गोनॉमिस्‍ट, वर्कप्‍लेस एंड अर्गोनॉमिक्‍स रिसर्च सेल, गोदरेज इंटेरियो इस वेबिनार के पैनल में प्रमुख रूप से शामिल रहे. एक घंटे तक चले इस विचारपूर्ण वेबिनार में, पैनलिस्‍टों ने कई प्रमुख विषयों जैसे होम-स्‍कूलिंग बिहैवियर, बच्‍चों के बैठने की सही मुद्रा (पॉश्‍चर), खुली जगहों से अध्‍ययन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में अपने विचार व्‍यक्‍त किये. उन्‍होंने सेंसरी ब्रेक्‍स और अच्‍छी-पुरानी पेंसिल एवं कागज के उपयोग के साथ-साथ लर्निंग के फीजिकल-वर्चुअल हाइब्रिड मॉडल के महत्‍व के बारे में भी अपने विचार रखे, चूंकि ऑनलाइन लर्निंग हमारे अनुमान विपरीत संभवत जिले में अधिक समय तक टिका रह सकता है. डॉ. रीना वालेचा ने कुछ आसान तरीके भी साझा किये जिनसे अभिभावक और केयर गिवर्स बच्‍चों की पढ़ाई के लिए सेहतमंद शिक्षण परिवेश सुनिश्चित कर सकते हैं. साथ ही, उन्‍होंने गलत पॉश्‍चर में पढ़ाई करने के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में भी बताया और कहा कि इसके चलते मस्‍क्‍यूस्‍केलेटल डिसऑर्डर्स हो सकते हैं.

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