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प्रत्येक रथ को खींचने के लिए केवल 500 सेवायतों को अनुमति
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पुरी श्रीमंदिर के अलावा राज्यभर के अन्य मंदिरों के परिसर में होगा आयोजन
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रथयात्रा का होगा सीधा प्रसारण, एसआरसी ने जारी की गाइडलाइन
हेमन्त कुमार तिवारी, पुरी
इस साल भी पुरी में महाप्रभु श्री जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा भक्तविहीन निकलेगी. प्रत्येक रथ को खींचने के लिए केवल 500 सेवायतों को अनुमति दी जायेगी तथा पुरी श्रीमंदिर के अलावा राज्यभर के अन्य मंदिरों में रथयात्रा निकालने पर प्रतिबंध लागू होगा. रथयात्रा का सीधा प्रसारण प्रसारण किया जायेगा. रथयात्रा को लेकर आज एसआरसी ने गाइडलाइन जारी कर दी है.
ओडिशा एसआरसी और विकास आयुक्त प्रदीप जेना ने आज बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि इस साल 12 जुलाई से शुरू होने वाली नौ दिवसीय रथयात्रा सुप्रीम कोर्ट और ओडिशा द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने के साथ पुरी में निकाली जायेगी. 2020 में सदियों लंबे इतिहास में पहली बार भक्तों के बिना रथयात्रा निकाली गयी थी.
जेना ने कहा कि ओडिशा सरकार ने हमेशा जनता की सुरक्षा और भलाई को सर्वोच्च महत्व दिया है. कोविद महामारी की दूसरी लहर की धीमी गति से उबरने और संभावित तीसरी लहर के खतरे को लेकर यह निर्णय लिया गया है. इस भव्य उत्सव में दुनिया भर से लाखों भक्त शामिल होने आते हैं. इसलिए कोरोना संक्रमण के खतरे को रोकने के लिए अंकुश लगाने की आवश्यकता है. एसआरसी ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि पुरी के अलावा यह ओडिशा में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. यह एक सामूहिक त्योहार है, इसलिए उत्सव में सार्वजनिक भागीदारी पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है.
उन्होंने कहा कि कोरोना की कहर से बचाने के लिए पुरी में रथयात्रा के दौरान जनभागीदारी की अनुमति नहीं होगी. सेवायतों को आरटीपीसीआर जांच की कोविद नकारात्मक रिपोर्ट या पूरी तरह से टीकाकरण वाले लोगों को अनुष्ठान में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार उत्सव के दौरान प्रत्येक रथ को खींचने के लिए केवल 500 सेवकों को अनुमति दी जाएगी. रथयात्रा को लेकर पुरी में कर्फ्यू लगाया जाएगा और केवल आवश्यक और आपातकालीन सेवाओं को ही अनुमति दी जाएगी. रथयात्रा के दौरान पुरी से आने-जाने वाले वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी. रथयात्रा का सीधा प्रसारण ओडिशा सरकार के आई एंड पीआर विभाग द्वारा इच्छुक मीडिया आउटलेट और प्रसारकों को सुविधा प्रदान की जाएगी. ओडिशा के अन्य सभी भगवान श्री जगन्नाथ के मंदिरों में केवल मंदिरों के परिसर के भीतर अनुष्ठान किए जाएंगे और जनता को भाग लेने की अनुमति नहीं होगी.
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