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कहा- धर्म की रक्षा हेतु बच्चों में संस्कृति और संस्कार डालें

कटक- धर्म को भगवान ने श्रीमद्भागवत में रखा है। इसके अध्यन मात्र से धर्म स्वतः आपके दिमाग में प्रवेश कर जाता है और धर्म के पथिक हो जाते हैं। उक्त बातें माहेश्वरी समाज द्वारा आयोजित आज कथा के अंतिम दिन पं श्री मोहनलाल जी व्यास ने कहीं। उन्होंने आज सुदामा चरित्र, दत्तात्रेय जी के 24 गुरुओं का प्रसंग, भगवान श्री कृष्ण का गोलोक गमन एवं राजा परीक्षित के मोक्ष प्राप्ति की कथा का श्रवण कराया। व्यास जी ने मित्रता की महिमा और गुरू शिष्य के संबधों पर अपनी सम्मोहित कर देने वाली शैली से समाज बंधुओं को संबोधित किया। आज कथा के अंतिम दिन श्रोताओं की उपस्थिति शानदार रही। इस अवसर पर मंच से व्यासपीठ पर विराजित पं. मोहनलाल जी, सहयोगी पंडित मंडली, गीत-संगीत देनेवाले सहयोगियों एवं कथा में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से सेवा देनेवाले सभी कार्यकर्ताओं को समाज की ओर से धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कल कथा की पूर्णाहुति का हवन सुबह नौ बजे से होगा।
इससे पूर्व रविवार को कथा वाचक पंडित श्री मोहनलालजी व्यास ने कहा की कथा और प्रसाद बेचे नहीं जाते, बाँटे जाते हैं। आप बच्चों में धर्म की रक्षा हेतु बच्चों में संस्कृति और संस्कार डालें। महाराज जी ने उपस्थित समुदाय को उद्धव चरित्र की व्याख्या करते हुए बताया कि जब भक्ति और ज्ञान का मिलाप हुआ, तो ज्ञान हार गया और भक्ति जीत गई। अपनी 670वीं कथा पर व्यासजी ने भगवान कृष्ण को माँ के ऋण से मुक्ति, उद्धव-गोपी संवाद, जरासंध से युद्ध में हार कर रणछोड़ कहलवाना, मुचकुंद राजा को भगवान के दर्शन, भगवान का द्वारका गमन, रुक्मणी विवाह, 16108 पटरानियों से विवाह एवं बलरामजी के चरित्र पर अत्यंत सटीक दृष्टांत और सरलतम भाषा में कथा वाचन कर सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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