कटक. कटक के जानेमाने रत्न तथा आभूषण व्यवसायी, वरिष्ठ समाजसेवी एवं स्वाध्याय प्रेमी तथा चंद्रकान्त जयंतीलाल ज्वेलर्स के सुधाकर जयंतीलाल दोशी जी का निधन 28 अप्रैल को हो गया. वह 79 साल के थे. उनके आकस्मिक निधन से न केवल गुजराती समाज अपितु मारवाड़ी समाज मे भी दुःख की लहर दौड़ गई है.
सुधाकर दोशी स्व. जयंतीलाल एवं स्व. तारालक्ष्मी दोशी के मझले पुत्र थे. उन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पूरी की थी. अपनी पढ़ाई के दौरान विश्वविद्यालय में वह अनेक कार्यों में अग्रणी थे.
1970-1990 के दशकों में प.पू.पांडुरंग शास्त्री आठवले (दादाजी) के मार्गदर्शन में उन्होंने पूरे ओडिशा में स्वाध्याय से जुड़े कार्यक्रमों का संचालन किया. उनके अथक प्रयासों से ओडिशा के गांवों में स्वाध्याय के माध्यम से बड़े परिवर्तन हुए. उन्होंने स्वध्याय की करीब 17 किताबों का ओड़िया में अनुवाद कर ओडिशा की प्रजा को लभान्वित किया.
कटक बालूबाजार गुजराती समाज की संस्था गुर्जर भारती के वे वरिष्ठ ट्रस्टियों में से एक थे एवं ट्रस्टी के रूप में समस्त कार्य पूरी सक्रियता के साथ करते थे. श्री गुर्जर विद्या निकेतन विद्यालय के सचिव के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान विद्यालय ने पढ़ाई के साथ-साथ हर क्षेत्र में प्रगति की थी. इसी दौरान पहली बार कुछ सालों के लिए कक्षा 8 एवं 9 चालू की गई थी. वे अखिल भारत गुजराती समाज की ओडिशा ईकाई के अध्यक्ष भी थे.
वर्ष 1999 में ओडिशा में आए भयंकर चक्रवात के बाद अपने बड़े भाई श्री चंद्रकान्तजी दोशी के साथ मिलकर तूफान प्रभावित इलाकों में लोगों के पुनर्वास के लिए उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया एवं इस प्राकृतिक विपदा की घड़ी में गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता की.
स्वास्थ्य के क्षेत्र में बीमारियों के सटिक निदान एवं ईलाज के लिए उचित मार्गदर्शन हेतु कटक सीडीए में जीवन रेखा हेल्थ केयर एंड रीसर्च सेन्टर की शुरुआत की. हंसा सुधाकर दोशी ट्रस्ट के माध्यम से पिछले कई सालों से ओडिशा एवं गुजरात की अनेक विद्यालय इत्यादि में वे अनुदान करते आ रहे हैं. हाल ही में पुरी एवं जटनी की गोशालाओं मे गोबर के सही उपयोग की मशीनों के लिए अपना योगदान किया था.
इसके अलावा अविरत 45 सालों तक उन्होंने इन्कम टेक्स डिपार्टमेन्ट मे जेम्स एंड ज्वैलरी वेल्यूअर के रूप में अपनी सेवाएं दी.
उनके व्यवसायिक प्रतिष्ठान चंद्रकान्त जयंतीलाल ज्वेलर्स में उन्होंने हमेशा ग्राहकों के संतोष को प्राथमिकता देकर ग्राहकों के दिल मे अपनी जगह बनाई और प्रतिष्ठान को इस मुकाम तक पहुंचाया. खासकर ग्रह नक्षत्रों के रत्नों की उन्हें अच्छी जानकारी थी और इसके लिए वे पूरे ओडिशा में प्रख्यात थे.
सुधाकर ने अपनी धर्मपत्नी हंसा दोशी के साथ अपने दोनों पुत्र रूपेश एवं कश्यप तथा पुत्री वंदना में बचपन से ही सुसंस्कारों का सींचन किया था. आज उनकी प्रेरणा से तीनों अच्छा जीवन यापन कर रहे हैं और इसी संस्कारों का सींचन वे अपनी पौत्रियों कृपा एवं कीर्तना में कर रहे थे.
ईश्वर सदगत की आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें एवं उनके परिवार को यह दुःख सहन करने की शक्ति दें ऐसी प्रभु से प्रार्थना है.