भुवनेश्वर. मार्ग कठिन हो, तब भी दृढ-संकल्प लोग इतिहास रच डालते हैं. गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोविद महामारी ने सभी जोन के रेलकर्मियों का उत्साह ठंडा कर दिया था. कोविद-19 लॉकडाउन के कारण शुरूआत के अप्रैल, मई व जून के महीने में ट्रेनों का परिचालन बंद हो गया, इससे जुलाई के अंत तक माल लदान का आंकड़ा गत वर्ष की तुलना में काफी कम हो कर -14 प्रतिशत तक चला गया. पर आशा की एक किरण बाकी थी. पूर्व तट रेलवे के कार्यबल के साहस, दृढ़ संकल्प, विश्वास व कड़ी मेहनत ने न सिर्फ इसे उच्चतम माल लदान करने वाला जोन बनाया, बल्कि भारतीय रेल के अब तक के सभी रिकॉर्ड पार कर लिया.वित्तीय वर्ष 2020-21 में 205 मिलियन टन माल का लदान कर पूर्व तट रेलवे लगातार दो साल तक 200 मिलियन टन माल का लदान करने वाला भारतीय रेल का पहला जोन बन गया. इसने अविभाजित दक्षिण पूर्व रेलवे के द्वारा वर्ष 2002-03 में 202.56 मिलयन टन के सर्वोच्च माल लदान के रिकॉर्ड को भी तोड़ डाला.47.71 प्रतिशत के परिचालन अनुपात के साथ पूर्व तट रेलवे देश का सबसे लाभकारी जोन बन गया है. परिचालन अनुपात का अर्थ है कि पूर्व तट रेलवे ने 100 पैसे कमाने के लिए केवल 47.71 पैसे का खर्च किया.वित्तीय वर्ष 2020-21 में पूर्व तट रेलवे ने 112.46 मिलियन टन कोयला, 29.49 मिलियन टन लौह अयस्क, 18.23 मिलियन टन लौह एवं इस्पात, 7.62 मिलियन टन इस्पात कारखानों के लिए कच्चा माल, 6.18 मिलियन टन उर्वरक, 3.14 मिलियन टन कंटेनर, 2.76 मिलियन टन अनाज, 2.91 मिलियन टन पेट्रोलियम उत्पाद एवं 22.09 मिलियन टन भार के अन्य माल की ढुलाई की.इस अवधि के दौरान पूर्व तट रेलवे ने अपने क्षेत्राधिकार में तालचेर क्षेत्र से प्रतिदिन 42.9 रेक, पारादीप क्षेत्र प्रतिदिन से 21.1 रेक, धामरा क्षेत्र से प्रतिदिन 14.1 रेक, केके लाइन से प्रतिदिन 11.7 रेक, स्टील कारखानों से प्रतिदिन 16.5 रेक व एल्युमिनियन कारखानों से प्रतिदिन सात रेक का लदान किया.कुल लदान का 55 प्रतिशत कोयला एवं 14 प्रतिशत अंश लौह अयस्क का रहा. माल लदान में खुर्दा रोड मण्डल को भारतीय रेल के सभी जोनों में चौथा एवं वाल्टियर मण्डल को छठा स्थान हासिल हुआ. इस अवधि के दौरान गत वर्ष की तुलना में मालवाही ट्रेनों की गति में भी 117 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
पूर्व तट रेलवे की इस उपलब्धि का पूरा श्रेय महाप्रबंधक विद्या भूषण के दिशा-निर्देशन व प्रेरणा से काम करने वाले परिश्रमी रेलकर्मियों के निःस्वार्थ कर्तव्य निर्वहन और समर्पण को जाता है. इस उपलब्धि को हासिल करने में पूर्व तट रेलवे के सभी विभागों ने यथासंभव योगदान दिया है. इस लक्ष्य को प्राप्त के बाद पूर्व तट रेलवे और नयी बुलंदियों को हासिल करने का प्रयास करेगा.
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