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जिलाधीश ने किया कन्यादान तो मुख्यमंत्री ने दिया आशीर्वचन
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कन्या एवं वर पक्ष में बंट गए थे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी
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पूरे प्रदेश में हो रही है इस अनूठी शादी की चर्चा
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर/ब्रह्मपुर
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से लगभग 167 किमी. दूर गंजाम जिले के गोपालपुर में आज एक ऐसी अनूठी शादी हुई है, जिसकी चर्चा कुछ ही क्षण बाद गंजाम, ब्रह्मपुर के साथ ही पूरे प्रदेश में होने लगी है। हो भी क्यों न, क्योंकि एक तो जहां एचआईवी पाजिटिव वर एवं कन्या एक दुजे के हुए हैं तो वहीं दुसरी तरफ जिले के जिलाधीश विजय अमृता कुलांगे ने कन्यादान किया और खुद प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए शादी समारोह में भाग लेकर वर एवं कन्या को आशीर्वचन प्रदान किया और उन्हें नवीन निवास आने का निमंत्रण दिया।
जानकारी के मुताबिक, गोपालपुर स्थित श्रद्धा संजीवनी परिसर में यह नियारा शादी अनुष्ठित हुई है। अन्य अनाथ बच्चों की ही ये दोनों वर-कन्या भी इसी अनुष्ठान में पले बढ़े थे। यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद जीविका अर्जन के लिए दोनों हैदराबाद चले गए और वहां पर एक निजी संस्था में नौकरी करने लगे। एक दुसरे के बारे में दोनों अच्छी तरह से परिचित थे ऐसे में विवाह बंधन में बंधने का दोनों ने निर्णय लिया। इसके बाद इसकी जानकारी वे अनुष्ठान को दी। अनुष्ठान से जिला प्रशासन को जब यह बात पता चली तब जिला प्रशासन ने इस पर तत्परता दिखाया और आज जिलाधीश एवं कई प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में हिन्दू रीति नीति के अनुसार दोनों की शादी संपन्न करा दी गई। जिलाधीश ने कन्यादान करने के साथ ही दोनों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए सरकार की योजना के अनुसार वर एवं कन्या को आर्थिक राशि (50 हजार रुपया) उपहार के तौर पर प्रदान की।
इस शादी समारोह में स्वयंसेवी संगठन अरूणा के मुख्य लोकनाथ मिश्र वर के पिता बने तो जिला शिशु सुरक्षा अधिकारी सुबोध षडंगी कन्या के पिता का दायित्व निभाया। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक विडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए शादी समारोह में भाग लेते हुए वर-कन्या को आशीर्वचन प्रदान करते हुए भुवनेश्वर आकर मुलाकात करने उन्हें निमंत्रण दिया। इसे लेकर वर एवं कन्या दोनों में खुशी का ठिकाना नहीं है।
गंजाम के जिलाधीश कुलांगे ने कहा है कि इस शादी ने एक उदाहरण सृष्टि किया है। समाज में सभी को बराबर का दर्जा मिलना चाहिए। इससे उनके अन्दर जो क्षमता है उसे न्याय मिलेगी। ये लोग भी हमारे मुख्य धारा के हिस्सा बनेंगे और जिला तथा प्रदेश के विकास में अपना योगदान देंगे।
गौरतलब है कि वर्ष 2007 में जिले के तत्कालीन जिलाधीश वी.कार्तिकेयन पांडियन के द्वारा श्रद्धा संजीवनी नामक इस अनुष्ठान को स्थापित किया गया था। एचआईवी का शिकार होने वाले माता-पिता के अनाथ बच्चों को यहां पर लालन पोषण किया जाता है। अनुष्ठान के प्रोजेक्ट निदेशक तथा प्रतिष्ठाता सदस्य लोकनाथ मिश्र ने कहा कि इस अनुष्ठान में अब तक 98 शिशुओं ने पंजीकृत किया है। वर्तमान समय में 50 बच्चे यहां पर हैं। 18 साल के बाद बाहर रहने वाले 44 बच्चों में से एक लड़की अमेरिका दत्तक रूप में रहती है तो अन्य कुछ अपने सगे संबन्धी व रिश्तेदार के यहां रहते हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जो सरकार के द्वारा दिए जा रहे प्रशिक्षण का लाभ लेकर विभिन्न कर्म संस्थान में नौकरी कर रहे हैं। पहले अनुष्ठान में रहने वाले ये दोनों बच्चे यहां आकर शादी किए हैं, इससे पूरे परिसर में आनंद का माहौल बन गया है। विवाह वेदी को सुन्दर ढंग से सजाया गया था तथा भात-भोज की भी व्यवस्था की गई थी। समारोह में शामिल अधिकारी कोई वर की तरफ से भाग लिया था तो कोई कन्या की तरफ से भाग लेकर शादी समारोह को यादगार बना दिए हैं। विवाह जैसा एक सुन्दर उदाहरण इस अनुष्ठान के जरिए शुरू किया गया है, जिसका प्रभाव निश्चित रूप से अन्य लोगों पर पड़ेगा। सरकार की विभिन्न योजना के कारण अब गंजाम जिले में एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या में काफी हद तक कमी देखी जा रही है।