संबलपुर। हीराकुद बांध में केज कल्चर आरंभ किए जाने की बात सामने आते ही बांध में मछली पकड़कर अपनी जीविका चला रहे मछूआरों में संशय का भाव उत्पन्न हो गया है। रोजगार छिने जाने का भय उन्हें सताने लगा है। शनिवार की दोपहर ओडिशा सांस्कृतिक समाज भवन में बुलाए गए प्रेस कांफ्रेंस में हीराकुद डूबान अंचल संग्राम समिति ने इस मुद्दे को उठाया और प्रदेश सरकार ने इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है। समिति के सदस्यों ने पत्रकारों को बताया कि हीराकुद बांध निर्माण के दौरान विस्थापित हुए 26 हजार 501 परिवारों में से 11 हजार परिवार ने बांध के आसपास अपना आशियाना बनाया और रहने लगे। उस दौरान उनके पास कोई रोजगार नहीं था, मसलन उन्होंने बांध में मछली मारना आरंभ किया और अपने तथा अपने परिवार का पालन पोषण आरंभ किया। विडंबना का विषय यह है कि पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने बांध में मछली उत्पादन हेतु केज कल्चर आरंभ किए जाने की घोषणा कर दिया। प्रदेश सरकार की इस घोषणा से मछूवारों के मन में अपनी जीविका खोने का डर सताने लगा है। संग्राम समिति सरकार से मांग करती है कि पहले वे उन 11 हजार मछुआरा परिवार के पुनर्वास की व्यवस्था करे, इसके बाद केज कल्चर पर अपने काम आगे बढ़ाए। इस दौरान समिति के सदस्यों ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो आनेवाले दिनों में डीएम कार्यालय के समक्ष जोरदार आंदोलन किया जाएगा। उस दौरान यदि कानून-व्यवस्था भंग होगी तो इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन को उठानी पड़ेगी। प्रेस कांफ्रेंस में समिति के महासचिव गोपीनाथ माझी, सचिव मित्रभानू पौढ़ एवंद्वारिका प्रसाद शाह समेत अन्य सदस्य उपस्थित थे।
Check Also
ओडिशा में अब हर महीने मिलेगा राशन चावल
ओडिशा के खाद्य मंत्री ने की घोषणा नए साल शुरू होगा वितरण भुवनेश्वर। नए साल …