जनता के सवाल, रमन के जवाब
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सोनिया ने मनमोहन को काम करने से रोका था, रमन ने विजय के नेतृत्व में समाजसेवा की
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मतदाता सूची की हार्ड कॉपी सही है, सॉफ्ट कॉपी भेजने में हुई होगी गड़बड़ी
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सवाल खड़े करने के लिए आम सभाओं में क्यों नहीं आते हैं अंगुली उठाने वाले सदस्य
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वित्तीय लेखा-जोखा कार्यकारिणी करती है पारित, आम सभा में किया गया था पेश
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संगीता करनानी को चुनाव समिति पर अगर थी आपत्ति तो आम सभा में क्यों नहीं उठाया सवाल?
हेमंत कुमार तिवारी, कटक
कटक मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ती जा रही है। तरह-तरह के आरोप-प्रत्यारोप के दिलभेदी बाण चल रहे हैं। इस दौरान कई सवाल कटक मारवाड़ी समाज के सदस्यों, स्थानीय जनता तथा कटक मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदारों के प्रत्याशियों के समर्थकों ने बातचीत के दौरान हमारे समक्ष रखे, जिसको लेकर आज हमने कटक मारवाड़ी समाज के कार्यकारी महासचिव रमन बगड़िया से जवाब ढूँढने की कोशिश की, क्योंकि अधिकांश सवालों के घेरे में रमन बगड़िया ही आ रहे थे। पेश हैं जनता के सवाल और रमन बगड़िया के जवाब :-
1. सवाल- कटक मारवाड़ी समाज के स्थायी कार्यालय का मुद्दा बार-बार उठ रहा है, क्या यह संस्था बिना स्थायी पते की पंजीकृत हुई है?
जवाब- कटक मारवाड़ी समाज का पंजीकरण मारवाड़ी क्लब के पते पर हुआ है, क्योंकि शुरू से ही कटक मारवाड़ी समाज का कार्यालय यहीं पर था। यह स्थान मारवाड़ी क्लब संचालन समिति के संरक्षण में आता है। वर्ष 2015 में जब विजय खंडेलवाल अध्यक्ष पद के रूप में चुने गए, तब इस कार्यालय को नई टीम को स्थानांतरित नहीं किया गया। वहां समाज के कार्यालय के तहत आठ कंप्यूटर भी थे, उसे भी नई टीम को नहीं दिया गया। यहां तक कि नई टीम को बैठने की अनुमति भी नहीं दी गई। तब तत्काल सीडीए में सुमित अग्रवाल के घर पर कटक मारवाड़ी समाज का अस्थाई कार्यालय बनाया गया, जहां एक डिस्पेंसरी भी चल रही है।
2. सवाल- मतदाता सूची में गड़बड़ी कैसे हुई?
जवाब- कटक मारवाड़ी समाज के चुनाव से पूर्व महासचिव होने के नाते यह सूची हमने तैयार करवाई थी और अंतिम सूची जो तैयार हुई थी, उसकी हार्ड कॉपी हस्ताक्षर और कटक मारवाड़ी समाज के मोहर के साथ हमने चुनाव समिति को सौंप दी थी। हार्ड कॉपी में कहीं से भी कोई गड़बड़ी नहीं है। यह गड़बड़ी सॉफ्ट कॉपी देने में हुई है। कुछ नामों का अंतर है। यह अंतर भी तभी पता चला है जब सॉफ्ट कॉपी को हार्ड कॉपी से मिलान किया गया है। इसका मतलब है कि हार्ड कॉपी सही है। लगता है कि ई-मेल करते समय पुरानी सूची चली गई थी, क्योंकि जब चुनाव जून में होने थे तो एक एक्सल फाइल में मार्च तक के पंजीकृत मतदाताओं की सूची फाइनल हुई थी, लेकिन चुनाव दिसंबर तक टल कर आया, तो एक अपडेटेड सूची मई तक पंजीकृत मतदाताओं की तैयार की गई। जो हार्ड कॉपी दी गई थी वह अंतिम सूची थी। लेकिन बाद में प्रत्याशियों ने सॉफ्ट कॉपी मांगी तो लगता है कि जल्दीबाजी में ईमेल करते समय पुरानी सूची चली गई। यह तकनीकी गड़बड़ी अटैच करते समय हुई होगी। सूची को भेजने में किसी भी कार्यकारी सदस्य या पदाधिकारी का हाथ नहीं था, यह काम समिति का है और समिति ने प्रत्याशियों की सुविधा के लिए ही सॉफ्ट कॉपी उपलब्ध कराई। अगर इस दौरान कुछ तकनीकी गड़बड़ी हुई तो बात का बखेड़ा नहीं बनाना चाहिए था, क्योंकि सभी प्रत्याशियों की बैठक में यह स्पष्ट कर दिया गया था कि हार्ड कॉपी ही फाइनल और अंतिम मतदाता सूची है, जिसके तहत मतदान कराया जाएगा। जो गड़बड़ी पकड़ी गई वह हार्ड कॉपी से ही मिलान के बाद पकड़ी गई है। ऐसी स्थिति में चुनाव समिति पर आरोप लगाना उचित नहीं है।
3. सवाल-सूची में हेराफेरी के आरोप लग रहे हैं?
जवाब- यह आरोप निराधार है, क्योंकि अगर हेराफेरी करनी होती तो सॉफ्ट कॉपी नहीं दी जाती। आखिर मिलान में हार्ड कॉपी ही सही निकली है, जो हमने चुनाव समिति को सौंपी थी। यह आरोप चुनाव के दौरान मतदाताओं को भ्रमित करने का प्रयास मात्र है।
4. सवाल- आजकल यह सवाल उठ रहा कि पिछले 4 साल का कार्यकाल सोनिया और मनमोहन की तरह रिमोट कंट्रोल से संचालित हो रहा था?
जवाब – यह तो हास्यास्पद सवाल है, क्योंकि सोनिया, राहुल और मनमोहन को लेकर बनाया सवाल नकारात्मक कार्यों के लिए है कि मनमोहन सिंह कार्य करना चाहते थे और सोनिया तथा राहुल गांधी उनको कार्य करने से या तो रोक रहे थे या दूसरे कार्यों की तरफ प्रेरित कर रहे थे। इस सवाल को दो भाग में करके हम जवाब देंगे। पहला यह कि विजय खंडेलवाल कभी मनमोहन सिंह नहीं बन सकते हैं, क्योंकि मनमोहन सिंह चुप रहते थे और विजय खंडेलवाल डंके की चोट पर बोलने वाला और काम करने वाला चेहरा है। अक्सर लोग कहते हैं कि विजय खंडेलवाल टाइगर है। हम भी मानते हैं कि विजय खंडेलवाल टाइगर था, टाइगर है और टाइगर रहेगा। विजय खंडेलवाल की दहाड़ की तुलना मनमोहन सिंह की चुप्पी से नहीं की जा सकती। दूसरी बात रही रिमोट कंट्रोल संचालित शासन की, तो हम सभी कार्यकर्ताओं के बीच एक टीम वर्क का संस्कार रहा। जो भी कार्य होते थे उसको लेकर पहले प्रारूप तैयार होता था और प्रक्रिया के तहत कटक मारवाड़ी समाज की कार्यकारिणी की बैठक में, अध्यक्ष की मौजूदगी में इसको पारित किया जाता था। सबकी अनुमति के बाद कार्यक्रमों का आयोजन होता था। इसमें कहीं से किसी भी प्रकार से रिमोट की बात नहीं आती है। पिछले 4 साल के दौरान पूरी टीम ने एक साथ मिलकर समाज सेवा से जुड़े कार्यों को संपन्न किया और लगभग दो करोड़ से ऊपर की राशि इस दौरान आयोजनों पर खर्च हुई, जिसका विस्तृत लेखा-जोखा बीते आमसभा के दौरान विस्तार रूप से दिया गया था। ऐसी स्थिति में सिर्फ वाहवाही बटोरने के लिए इस तरह के सवालों को खड़ा करना उचित नहीं है।
5. सवाल- लोग कह रहे हैं कि रमन बगड़िया ने विजय खंडेलवाल का प्रयोग किया है?
जवाब- हमने कभी भी अध्यक्ष विजय खंडेलवाल का या उनकी छवि का प्रयोग किसी भी काम के लिए नहीं किया है। जो भी काम किया जाता था, उसे लेकर सबकी मंजूरी मिलती थी, उसके बाद उसे क्रियान्वित किया जाता था। अगर ऐसा किया गया होता तो अंतिम आमसभा में मंच से कभी भी ऐसा संदेश विजय खंडेलवाल ने भी नहीं दिया। उन्होंने अपने अंतिम भाषण में पूरी टीम को धन्यवाद दिया था कि सबके प्रयास से समाज की सेवा करने का अवसर मिला। सबके सहयोग की प्रशंसा की थी। विजय के कार्यकाल के दौरान ही “सबका साथ-समाज का विकास” का नारा दिया गया। अगर किसी को इस तरह की बात मन में थी तो आम सभाओं में वह उठा सकता था। बीते 4 सालों के कार्यकाल के दौरान 16 बार कार्यकारिणी की बैठकें हुई और आम सभा भी आयोजित हुई। आम सभा का आयोजन आम कार्यकर्ताओं के लिए होता है, जिसमें उनके सारे सवालों के जवाब दिए जाते हैं और सदस्यों की दुविधाओं दूर किया जाता है। लेकिन चिंता की बात यह है कि जितने सवाल आज-कल चुनाव के दौरान सोशल मीडिया के तहत उठाए जा रहे हैं, ये सभी सदस्य आम सभाओं में क्यों नहीं आते?
6. सवाल- बीते तीन बार से चुनाव समिति में अधिकांश चेहरे पुराने ही क्यों हैं?
जवाब- चुनाव समिति का गठन पूरे सदस्यों और पदाधिकारियों की मौजूदगी में आयोजित आम सभा में प्रस्ताव पारित कर किया जाता है। बीते दो बार के सफल आयोजन को देखते हुए इस बार भी इनके नामों पर सभा ने मोहर लगाई थी। सिर्फ एक सदस्य ने समय ना दे पाने की बात कही थी, जिससे उसको बदला गया। यदि इस समिति पर किसी को आपत्ति थी तो आम सभा में ही उसको ऐतराज जताना था, क्योंकि चुनाव समिति के प्रत्येक सदस्य के नाम का जिक्र उस सभा में किया गया और सबने हामी भरी और प्रस्ताव को मंजूरी दी। तब जाकर इस समिति के गठन की प्रक्रिया पूरी हुई। मेरा सभी सदस्यों को यह सुझाव होगा कि किसी भी कार्यकाल के दौरान इस तरह की समितियों के गठन को लेकर आपत्ति जतानी है, तो वे आम सभाओं में शामिल हों और अपनी बात को सबके समक्ष रखें, ताकि उसका निवारण उसी वक्त किया जा सके। एक बार प्रस्ताव पारित होने के बाद इसको भंग करना आसान नहीं होता, क्योंकि आम सभा के बाद कानूनन चुनाव की तिथि घोषित होते ही वर्तमान कार्यसमिति के अधिकार चयनित चुनाव समिति के पास चले जाते हैं।
7. सवाल- इस बार के चुनाव में रमन बगड़िया का नाम जोरों पर उछल रहा है, क्यों?
जवाब- रमन बगड़िया कल भी कटक मारवाड़ी समाज का एक सदस्य था और आज भी एक सदस्य है। एक टीम के साथ हमारी कार्य करने की शैली रही है और आज भी है और यही शैली हमारी आगे भी जारी रहेगी। अध्यक्ष के साथ-साथ 7 लोगों की मंत्री परिषद थी, जिसमें रमन बगड़िया एक महासचिव के पद पर कार्यरत था। इस दौरान अध्यक्ष और पूरी टीम जो प्रस्ताव पारित कर हमें देती थी, उसका क्रियान्वयन हम अपने साथियों के साथ मिलकर सफलता तक ले जाते थे। इसका मतलब यह नहीं है कि यह सारा कार्य सिर्फ रमन करता था। रमन उस टीम का एक हिस्सा था, जिसका विश्वास “सबका साथ-समाज का विकास” पर था।
8. सवाल- बड़े आयोजनों (कुमार विश्वास नाइट्स जैैैसे) के खर्च का ब्यौरा तथा ऑडिट लेखा-जोखा क्यों नहीं दिया जाता है?
जवाब- पहली बात तो यह है कि कोई भी खर्च किसी व्यक्ति विशेष के चाहने पर या इच्छा के मुताबिक नहीं होता है। किसी भी सामाजिक संस्था के कार्य के आयोजन सामान्य कार्यक्रमों की तरह नहीं होते। कार्यक्रमों के आयोजन के लिए पहले इसके प्रारूप को प्रस्ताव के रूप में कार्य समिति के समक्ष पेश किया जाता है, जिस पर अध्यक्ष के साथ-साथ कार्यकारिणी के सभी सदस्य मुहर लगाते हैं, तब जाकर उसका क्रियान्वयन शुरू होता है। इस प्रस्ताव में इस आयोजन पर होने वाले खर्च और इससे होने वाली बचत का भी जिक्र होता है। इसलिए कोई व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि किसी भी आयोजन का खर्च का ब्यौरा नहीं रखा जाता है। चुनावी प्रक्रिया से पूर्व आयोजित आमसभा में कोषाध्यक्ष ने विस्तृत रूप से आय-व्यय का ब्यौरा पेश किया था और कुछ सदस्यों ने इससे संबंधित अपनी शंकाओं को सवालों के रूप में रखा जिसका जवाब दिया गया। इसलिए हम एक बार फिर सभी सदस्यों से यह आग्रह करते हैं कि वे आम सभाओं में जरूर उपस्थित रहें और अपने सवालों को मंच के समक्ष रखें, ताकि आपके सवालों का विस्तृत जवाब संबंधित पदाधिकारी दे सकें। आम सभाओं में सभी पदाधिकारी एक साथ दस्तावेजों के साथ उपस्थित रहते हैं। इसलिए आप जरूर आम सभाओं में उपस्थित रहें।
9. सवाल- किसी एक प्रत्याशी के कार्यक्रम चुनाव समिति के सदस्य देखे जा रहे हैं, आपका क्या कहना है?
जवाब- हमने सुना है कि चुनाव समिति ने पर्यवेक्षक नियुक्त की है। उनका बयान भी आया है कि एक पर्यवेक्षक के तौर पर कार्यक्रमों में जा रहे हैं, तो यह अच्छी बात है। पर्यवेक्षकों की नियुक्ति एक निष्पक्ष चुनाव आयोजन का संकेत है, जिसका सभी को स्वागत करना चाहिए कि समिति यह चाहती है कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के तहत चुनाव संपन्न कराए जाएँ।
10. सवाल-संगीता करनानी के आरोप पर आपका क्या कहना है?
जवाब- संगीता करनानी ने जो आरोप मंगल चंद चोपड़ा जी पर लगाए हैं, वे बिल्कुल निराधार है, निंदनीय है। पिछले 4 साल के कार्यकाल के दौरान 16 कार्यकारिणी की बैठक आयोजित हुई, जिसमें एक बार भी उन्होंने इस मुद्दे को नहीं उठाया। अगर ऐसी बात थी तो संगीता करनानी को आम सभा में इस पर आपत्ति जतानी थी, लेकिन वह नहीं आईं। उनको आम सभा में आकर इस समिति के गठन पर रोक लगाने के लिए प्रयास करने चाहिए थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। आम सभा की सूचना मीडिया के जरिए सबको दी गई थी। अगर उनको लगता था कि इस समिति के अंदर कुछ बुराइयां हैं, तो उनको आकर आपत्ति दर्ज करानी थी, क्योंकि इस समिति का गठन आम सभा में प्रस्ताव को पारित कर किया गया है।
11. सवाल- मातृशक्ति की आपने अनदेखी की है या आपने सहयोग नहीं दिया, यह सवाल उठ रहे हैं।
जवाब- मातृशक्ति का गठन कटक मारवाड़ी समाज के सदस्यों के परिवारों से महिलाओं को जोड़ने के लिए किया गया है, लेकिन अब तो यह लग रहा है कि सिर्फ एक दर्जन सक्रिय महिला सदस्य इस पर अपना प्रभुत्व कायम करने की कोशिश कर रही हैं। मातृशक्ति के संबोधन से ना सिर्फ 20 से 30 महिलाओं के संगठन को देखा जाना चाहिए, बल्कि मातृशक्ति के संबोधन से कटक मारवाड़ी समाज के परिवार से जुड़ी समस्त महिलाओं को देखा जाना चाहिए। हमने कभी भी मातृशक्ति की अनदेखी नहीं की है। अगर ऐसा किया होता तो हाल ही में किशन कुमार मोदी के लिए आयोजित जनसभा में लगभग 180 की संख्या में महिला सदस्यों की भागीदारी नहीं होती, जिसे मातृशक्ति की सक्रिय सदस्यों ने यह कह कर दरकिनार कर दिया कि ये महिलाएं मातृशक्ति की सदस्य नहीं हैं। इस बयान से क्या ऐसा संदेश नहीं जाता है कि मातृशक्ति संगठन चंद महिलाओं का संगठन बन गया है। किसी भी बैठक में इस संगठन की सदस्यों की उपस्थिति नगण्य रही है। मातृशक्ति का मतलब होता है कटक मारवाड़ी समाज से जुड़े परिवारों की महिलाओं का संगठन और हम सभी मातृशक्ति का सम्मान करते हैं।
12. सवाल- गणेश पूजा के दौरान आपने महिलाओं का रैंप कराया था और इसकी वीडियो क्लिप भी जारी हुई है। इस आरोप पर आप कहेंगे?
जवाब- यह आरोप निराधार है। गणेश पूजा के दौरान ऐसे आयोजनों को लेकर जो सवाल उठाया जा रहे हैं, वह अपने आपमें हास्यास्पद हैं। जहां तक सवाल वीडियो क्लिप की है, वह जरूर किसी अन्यत्र की होगी।
13. सवाल- चुनाव की तिथि ऐसे समय में तय करने के लिए सवाल उठ रहे हैं, जब एक बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होने वाला था। आरोप है कि यह सब आप के इशारे पर हुआ है
जवाब- वैसे तो चुनाव जून में होने थे, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण इसे स्थगित करना पड़ा और 24 नवंबर को आम सभा में कार्यकारिणी को भंग किया गया तथा नई चुनाव समिति की घोषणा हुई। इसके बाद चुनाव की तिथि की घोषणा करने की जिम्मेदारी चुनाव समिति को सौंपी गई थी कि वह अपनी तैयारियों को देखते हुए तिथि घोषित करे। चुनाव समिति ने अपनी तैयारियों को देखते हुए चुनाव आयोजित कराने की तिथि तय की और इसकी सार्वजनिक घोषणा की गई। इसमें किसी भी प्रकार से किसी भी पदाधिकारी का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। समिति अपने संगठन के चुनाव को लेकर तिथियां तय करती हैं। किसी दूसरे संगठन के कार्य से उसका कोई लेना-देना नहीं होता। इसलिए यदि कोई व्यक्ति दो संगठनों से जुड़ा हुआ है, तो यह तय करना उसकी जिम्मेदारी होती है कि उसकी प्राथमिकताएं क्या हैं और कैसे व्यवस्थाओं को सुप्रबंधित करना है। इसमें किसी भी प्रकार का दोषारोपण दूसरे पर नहीं करना चाहिए। हम समझ रहे हैं कि यह सवाल जय किशोरी जी के भजन कार्यक्रम को लेकर है, जिसकी तिथि भी चुनाव होने की घोषणा के बाद तय की गई थी।
14. सवाल- आप इण्डो-एशियन टाइम्स के पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब- इण्डो-एशियन टाइम्स के माध्यम से सभी पाठकों और कटक मारवाड़ी समाज के सभी सदस्यों को इतना जरूर कहेंगे कि अगर आप किसी संगठन से जुड़े हुए हैं, तो आप आम सभाओं में जरूर शामिल होइए और अपने सवालों को उठाएं, क्योंकि आम सभा आम सदस्यों के लिए होती है, जहां आपके सारे सवालों के जवाब मिल सकते हैं। कोई संगठन या समाज व्यक्ति विशेष आधारित नहीं होता है और इसके नेतृत्व की जिम्मेदारी एक मंत्रिपरिषद की होती है, जो आम सभाओं में उपस्थित होते हैं और वह संबंधित विभागों से संबंधित सवालों के जवाब देते हैं। जहां तक चुनावी माहौल की बात है यह सीमित प्रक्रिया होती है और हमें आरोप-प्रत्यारोप को छोड़कर भाईचारे को ध्यान में रखते हुए अपनी बातों को, अपने मुद्दों को मतदाताओं के समक्ष रखें और जीतने की कोशिश करें। आप अपनी खूबियों को खूब बताइए, ना कि दूसरे की बुराइयों को। हमने भी हाल में किशन कुमार मोदी के समस्त गुणों का बखान किया था, जिस पर कुछ प्रत्याशियों ने अंगुली उठाई थी। ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि आप अपनी खूबियों को दूसरे के समक्ष ना रखें। हां, इतना जरूर होना चाहिए कि दूसरे की बुराइयों को आप ना रखें।