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108 एकड़ जमीन पर ब्लू प्रिंट तैयार
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विस्थापितों के पुनर्वास के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था
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गोपालजी मठ का भी कायाकल्प होगा
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आगामी 15 मार्च तक लोग अपनी राय दे सकेंगे
फोटो 18-1, ए, बी, सी, डी, ई, एफ
राजेश बिभार, संबलपुर
प्रदेश के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अपनी घोषणानुसार अंचल की अधिष्ठात्री देवी मां समलेश्वरी मंदिर के विकास हेतु दो सौ करोड़ की राशि को मंजूरी दे दी है। एक उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने समलेश्वरी मंदिर के कायाकल्प की ब्लू प्रिंट को देखा, जिसके बाद विकास कार्य को तत्काल आरंभ करने का दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। मुख्यमंत्री के इस घोषणा के बाद संबलपुर समेत प्रदेश के सभी समलेश्वरी भक्तों में खुशी का आलम है।
मिली जानकारी के अनुसार विकास कार्य के लिए मंदिर के आसपास स्थित 108 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। अधिग्रहण कार्य से विस्थापित हो रहे लोगों के पुनर्वास हेतु विशेष पैकेज की व्यवस्था किए जाने का प्रावधान रखा गया है। विस्थापित लोग अपनी समस्या एवं परामर्श आगामी 15 मार्च तक जिला प्रशासन के समक्ष रख सकेंगे।
गौरतलब है कि ओडिशा के प्रसिद्ध शक्ति पीठों में से एक समलेश्वरी पीठ ओडिशा समेत पूरे देश के श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र बना हुआ है। प्रदेश सरकार के इस पदक्षेप के बाद 16वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर को एक नया लूक प्राप्त होगा। यहांपर बतातें चलें कि करीब एक साल पहले मुख्यमंत्री नवीन पटनायक समलेश्वरी मंदिर का दर्शन करने संबलपुर आए थे। उस दौरान उन्होंने पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर एवं भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर के तर्ज पर समलेश्वरी मंदिर के विकास की बात कही थी। जिसके बार कई चरणों में मंदिर का सर्वेक्षण किया गया और विकास कार्य का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया और अंतत: इस योजना को साकार करने की विधिवत घोषणा कर दी गई।
दो सौ करोड़ के विनियोग पर मंदिर का सौंदर्य बढ़ाने, स्थानीय लोगों का आर्थिक विकास तथा श्रद्धालु एवं पर्यटकों के लिए विभिन्न प्रकार की सुविधाओं को आयाम दिया जाएगा। साथ ही भोग मंडप, पुजारियों के लिए विश्रामगार, मंदिर कार्यालय एवं इंटरप्रिटेसन सुविधाओं का विकास किया जाएगा। इसके अलावे मंदिर के किनारे स्थित महानदी में रोजना आरती की जाएगी। मंदिर के ऐतिहासिक कॉरीडोर, मंदिर से महानदी का सीधा संयोग, महानदी के तट का विकास एवं सड़कों के विकास को त्वरान्वित किया जाएगा।
मां समलेश्वरी मंदिर के मुख्य पुजारी अंबिका राय ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मंदिर के विकास हेतु दो सौ करोड़ की घोषणा पर्याप्त नहीं है। पुरातन काल से चली आ रही मां की पूजा जैसे बाधित न हो, इसपर सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। विकास कार्य के दौरान अपना आश्रय गंवाने वाले प्रत्येक पुजारी को दो डिसमिल स्थान एवं 20-20 लाख रूपया मुआवजा दिया जाए। प्रभावित हो रहे पुजारियों के परिवार को भी हरसंभव सहायता उपलब्ध कराया जाए, तथा मकान निर्माण न होने तक पुजारियों को मंदिर परिसर में ही रहने की अनुमति प्रदान की जाए।