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बाय-लॉ को लेकर सांसद अपराजिता राज्य सरकार पर बरसिंह

  •  कहा- मसौदेको लेकर भ्रमित न करे नवीन सरकार

  •  देश के धरोहरों की रखरखाव के लिए संसद का है एक्ट

  •  आरोप-प्रत्यारोप से कोई लाभ नहीं, मिलकर काम करने पर होगा समस्या का समाधान

भुवनेश्वर. राजधानी स्थित अनंत बासुदेव व ब्रह्मेश्वर मंदिर से ड्राफ्ट बाय-लॉ वापस लेने की मांग के बीच भाजपा सांसद और पार्टी की प्रवक्ता अपराजिता षाड़ंगी ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है. साथ ही उन्होंने नवीन सरकार पर लोगों के बीच भ्रम फैलाने का आरोप भी लगाया है.सांसद ने कहा कि बाय-लॉ को लेकर मंत्रालय से बातचीत हुई है. राज्य सरकार एएसआई के साथ बैठकर बात करे. आरोप-प्रत्यारोप में कोई लाभ नहीं होगा. सभी के साथ मिलकर काम करने पर समस्या का समाधान हो सकेगा.भुवनेश्वर की सांसद तथा भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता अपराजिता षाड़ंगी ने पार्टी कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं.उन्होंने कहा कि पूरे देश में कुल 3693 धरोहर हैं तथा ये एएसआई द्वारा प्रोटेक्टेड हैं. इसमें से ओडिशा के 80 धरोहर हैं. 1958 एक्ट व एमेंडमेंट एक्ट के तहत पुरातन धरोहर के 100 मीटर की परिधि में निर्माण नहीं हो सकता व अतिरिक्त 2 सौ मीटर में विभागीय अधिकारी से अनुमति लेकर निर्माण कार्य किया जा सकेगा. 1958 के एक्ट के सेक्शन 20 ई की तहत समस्त पुराने धरोहरों की सुरक्षा के लिए बाय-लॉ तैयार करने की जिम्मेदारी विभागीय अधिकारी की है. ओडिशा में संस्कृति विभाग के निदेशक के पास यह जानकारी है.
इसे लेकर षाड़ंगी ने राज्य सरकार से कुछ सवाल भी पूछा. उन्होंने कहा कि पुराने धरोहर से भरतपुर इलाकों में अतिक्रमण हटाने के समय एएसआई को क्यों शामिल नहीं किया गया. एएसआई द्वारा इस संबंध में अनेक पत्र लिखे गये हैं. राज्य सरकार ने इसका उत्तर क्यों नहीं दिया है.उन्होंने कहा कि वर्तमान में लिंगराज व पुरी मंदिर परिसर के उन्नतिकरण के लिए बनाये गये डीपीआर को लोगों को क्यों नहीं बताया गया है. इसके गुप्त रखने के पीछे उद्देश्य क्या है.ड्राफ्ट बाय-लॉ ड्राफ्ट है. इस कारण इस बारे में यदि कोई सुझाव है या फिर आपत्ति है, तो उसे लेकर केन्द्र सरकार को अवगत कराया जाना चाहिए. राज्य सरकार ने इसे अभी तक क्यों नहीं किया है.बाय-लॉ के कारण विकास कार्यक्रम बाधित होने की बात कहना, लोगों को भ्रमित करना है. इसके पीछे धरोहर इलाकों में गैर कानूनी तरीके से किये गये कार्य को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है.उन्होंने कहा कि जगन्नाथ मंदिर व लिंगराज मंदिर के विकास के लिए किन संस्थाओं को काम दिया गया है, उसकी जानकारी लोगों को दें. क्या उन्हें यह कार्य करने का अनुभव है.
उन्होंने कहा कि उत्तर पार्श्व मठ, दक्षिण पार्श्व मठ, एमार मठ व रघुनाथ लाइब्रेरी जैसे धरोहरों को तोड़ने से पूर्व क्या राज्य सरकार ने किसी प्रकार की डिटेल मैपिंग की थी. क्या एसा करने पर सरकार ने सभी नियम व कानूनों का पालन किया है. इन प्रश्नों का उत्तर राज्य सरकार को देना चाहिए.

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