राजेश बिभार, संबलपुर
आरण्यक मंच पर जारी वीर सुरेन्द्र साय संबलपुरी नाटक प्रतियोगिता की तीसरी शाम मंच पर नाटक नाटूआ, गांधी चौक एवं भउंरा का मंचन किया गया। चौथी शाम का पहला नाटक था नाटूआ। भवानीपटना के जय भैरवी नाटय संसद की ओर से पेश इस नाटक की रचना एवं निर्देशन त्रिमोहन साहू ने किया। नाटक में एक गरीब कलाकार की जीवनी को बेहतर तरीके से पेश किया गया। एक गरीब कलाकार अपने कला की की नुमाईश एवं प्रचार-प्रसार के लिए किस तरह संग्रह करता है। घर की गरीबी एवं परेशानियों को दरकिनार करते हुए कैसे वह अपने अभिनय को जगजाहिर करता है, इसका बेजोड़ अभिनय पेश किया गया। नाटक के अनेकों पल ने दर्शकों को छूआ।
इस नाटक के कई दृश्य ने दर्शकों के मन में एक अजब सी सनसनी फैला दिया। जो आनेवाले दिनों में बेहतर समाज के गठन में महती भूमिका अदा करेगा। चौथी शाम का दूसरा नाटक मंच पर गांधी चौक पेश किया गया। पदमपुर के लू संगठन के कलाकारों द्वारा पेश इस नाटक की रचना अशोक मिश्र ने किया एवं निर्देशन केशरंजन प्रधान ने दिया। नाटक के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि गांधीजी को लेकर फिलहाल देश में किस तरह नकारात्मक राजनीति की जा रही है। हास्य रस से भरपूर इस नाटक ने दर्शकों को लोटपोट कर दिया। नाटक के प्रत्येक दृश्य काफी रोमांचक रहा। चौथी शाम का अंतिम नाटक भउंरा पेश किया गया। रामाशीष त्रिपाठी रचित एवं संजय कुमार बेहेरा द्वारा निर्देशित इस नाटक को बरगढ़ के समर्पण संगठन के कलाकारों द्वारा पेश किया गया। नाटक में रिश्ते में जब स्वार्थ पनपने लगता है तो वह कैसे रिश्ते को तार-तार कर देता, मंच पर अभिनय के माध्यम से इस बेहतर तरीके से पेश किया गया। नाटक के माध्यम से लोगों को यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि जब मनुष्य में स्वार्थ हावी हो जाता है तो कैसे वह उलूल-जूलूल हरकत करता है, जो दूसरों के कैसे परेशानी खड़ी करता है। यदि संबंधों में पारदर्शिता बरती जाए तो आनेवाले दिनों में भी दो परिवारों के बीच मधूर संबंध कायम रह पाता है। किन्तु स्वार्थ उन दो परिवारों के बीच द्वेष एवं घृणा का भाव पैदा करता है। जो उनके लिए हितकर नहीं रह जाता है। चौथी शाम भी आरण्यम मंच पर नाटक प्रेमियों की अच्छी खासी भीड़ जमा हुई।