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ढाई किलोमीटर दूर खड़ी एंबुलेंस तक पहुंचाने का प्रयास विफल
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सरकारी तंत्र की विफलता उजागर
राजेश बिभार, संबलपुर
प्रदेश सरकार प्राय: सभी मंच पर प्रदेश के तीव्र विकास का दंभ भरती रही है, किन्तु प्रदेश के कई इलाके आज भी ऐसे हैं जो वर्षों से सड़क, पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओ के लिए तरस रहे हैं। कई गांव ऐसे हैं, जहां के लोग वर्षों से पक्की सड़क की मांग कर रहे हैं। दर-दर जाकर अधिकारियों से अनुरोध कर रहे हैं, इसके बावजूद उनकी सुननेवाला कोई नहीं है। ऐसी एक सनसनीखेज घटना संबलपुर जिले के नाकटीदेउल एवं देवगढ़ जिला के रियामाल के बीचोंबीच स्थित गुंडियापाली गांव में देखने को मिली है। गांव तक पक्की सड़क की व्यवस्था न होने के कारण एक गर्भवती महिला को स्ट्रेचर में लोडकर ढाई किलोमीटर दूर खड़ी एंबुलेंस तक लाने का प्रयास किया गया। इस प्रयास में रास्ते में ही महिला का प्रसव आरंभ हो गया और उसने एक कन्या संतान को जन्म दिया। मिली जानकारी के अनुसर गुंडियापाली निवासी बादल हेम्ब्रम की गर्भवती पत्नी को गत मंगलवार की सुबह प्रसव वेदना आरंभ हो गया। उन्होंने तत्काल 108 एंबुलेंस से संपर्क किया। ठीक समय पर नाकटीदेउल से एक 108 एंबुलेंस वहां पहुंचा, किन्तु गांव तक पहुंचने हेतु कोई सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस ढाई किलोमीटर पहले ही खड़ी हो गई। मामले की नजाकत को देखते हुए एंबुलेंस के चालक सुरेश सामल, हेल्पर देवेन्द्र प्रधान पैदल ही गुंडियपाली गांव पहुंच गए और उस गर्भवती महिला को स्ट्रेचर में लोडकर एंबुलेंस तक लाने का प्रयास करने लगे। किन्तु नियति को कुछ और ही पसंद था, एंबुलेंस तक पहुंचने से पहले महिला ने एक शिशु कन्या को जन्म दे दिया। इसके बाद उस महिला एवं नवजात शिशु को देवगढ़ के छताबर प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र में दाखिल करा दिया गया है। वहां पर मां एवं बच्चे का स्वास्थ्य ठीक होने की जानकारी मिली है। यहांपर बताते चलें कि गुंडियापाली गांव तक पहुंचने में दो नाला पार करना पड़ता है। वर्षों से लोग गांव को पक्की सड़क से जोडऩे की मांग कर रहे हैं, किन्तु उन्हें सड़क नसीब नहीं हो पा रही है। बारिश के दिनों में इस गांव का संपर्क आसपास के गांवों से पूरी तरह टूट जाता है। ऐसे में स्थानीय लोगों का इस तरह की परेशानियों से जुझना लाजिमी है। इलाके के लोगों का कहना है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि सिर्फ चुनाव के वक्त अपना दर्शन देते हैं, चुनाव समाप्ति के बाद किन्तु उनका इस गांव से कोई वास्ता नहीं रह जाता है। ऐसे में उस इलाके में विकास की बात करना बेबुनियाद जान पड़ता है।