भुवनेश्वर. भ्रष्टाचार व निमम्मेपन को लेकर अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए राज्य सरकार ने नौ और अधिकारियों के खिलाफ अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दी है. राज्य सरकार ने खदान विभाग के उपनिदेशक श्रम विभाग के संयुक्त आयुक्त समेत जंगल, जन स्वास्थ्य व श्रम विभाग के कुल 9 अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है. इनमें से 7 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले हैं, जबकि 2 लोगों को निकम्मेपन के कारण उन पर कार्यवाही की गई है.
इस सूची में खदान विभाग के उपनिदेशक मदन मोहन विश्वाल हैं. उनके खिलाफ विजिलेंस के सात मामले हैं. उन पर सरकारी कार्य भी ठीक से न करने का आरोप था. इसी तरह खदान विभाग के ग्रुप ए अधिकारी रमेश चंद्र महालिक के खिलाफ भी 4 मामले थे. उनके खिलाफ भी कार्रवाई की गई है.
बलांगीर जिले के मुरीबाहाल फारेस्ट रेंज अधिकारी प्रशांत कुमार नायक के पास 1 करोड़ 40 लाख रुपये की आय से अधिक संपत्ति होने का पता चला था. इस कारण उनके खिलाफ भी कार्रवाई की गई है.
सुंदरगढ़ जिले के साधारण जन स्वास्थ्य विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर नारायण प्रधान के खिलाफ भी बिजनेस मामले हैं. उनके पास से 2 करोड़ 20 लाख रुपये की आय से अधिक संपत्ति पता चला था. उन पर भी कार्रवाई की गई है.
जंगल विभाग के सहकारी वन संरक्षक लक्ष्मण कुमार प्रधान के खिलाफ दो मामले थे. इसी तरह विभाग के रेंज ऑफिसर भरत कुमार घड़ेई के खिलाफ भी विजिलेंस के तीन मामले थे. रायगड़ा जिला के श्रम अधिकारी प्रदीप कुमार भोई के खिलाफ एक मामला था. इसलिए इन सभी को भी अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया है. भुवनेश्वर के संयुक्त श्रम कमिश्नर शरत कुमार चौधरी व गजपति जिले के डिविजनल श्रम कमिश्नर नमिता दास को भी निकम्मेपन के कारण सेवानिवृत्त कर दिया गया है. इन अधिकारियों समेत राज्य में अब तक 113 अधिकारियों को भ्रष्टाचार के कारण दी गई है.