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परी हत्या मामले की एसआईटी जांच विश्वास के लायक नहीं -प्रतिपक्ष के नेता

  • अंग तस्करी को छुपाने के लिए मनगढ़ंत कहानी बता रही है एसआईटी – प्रदीप्त नायक

  • सीबीआई जांच की सिफारिश करें मुख्यमंत्री

भुवनेश्वर. परी हत्या मामले की एसआईटी द्वारा की जा रही की जा रही जांच भरोसा के लायक नहीं है एवं अंग तस्करी जैसे संगीन मामले को छुपाने के लिए एसआईटी मनगढ़ंत कहानियां बता रही है. प्रतिपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक ने एसआईटी के जांच पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि एसआईटी के गठन के उद्देश्य को लेकर भाजपा ने जो संदेह व्यक्त किया था, वह अंततः सत्य प्रमाणित हो रहा है. अंग तस्करी जैसे मामले को छुपाने के लिए एसआईटी द्वारा मनगढ़ंत कहानी बताई जा रही है. एसआईटी द्वारा जो प्रमाण दिया जा रहा है, उसमें से एक भी प्रमाण निश्चित व भरोसा योग्य तर्क पर आधारित नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में एसआईटी द्वारा मुख्य आरोपी बताया जा रहा है, वह क्या इतना शक्तिशाली था कि नयागढ़ की पुलिस ने उसे 4 माह तक सुरक्षा देकर गिरफ्तार नहीं कर रही थी. यदि परी के शरीर पर केमिकल नहीं था तो शव से 9 दिनों के बाद भी दुर्गंध क्यों नहीं आ रही थी, यह एक बड़ा सवाल है. उन्होंने कहा कि इसलिए वह मुख्यमंत्री से अनुरोध करते हैं कि मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश करें. उन्होंने कहा कि परी का जो शव मिला है, उसमें से अनेक अंग गायब थे. तो वह अंग कहां गए, इसके बारे में एसआईटी के पास कोई जवाब नहीं है. उन्होंने कहा कि परी से दुष्कर्म होने की बात यदि सही थी, तो जिला पुलिस तीन-चार माह तक जांच करती रही, लेकिन उसे क्यों नहीं पता चला. उन्होंने कहा कि बीजू जनता दल की छवि को बचाने के लिए तथा मानव अंग तस्करी जैसे भयंकर व मानवीय अपराध के अपराधियों को बचाने के लिए वर्तमान में एसआईटी कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि पॉलीग्राफ टेस्ट इन विवादों के घेरे में है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इसे प्रमाण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. नायक ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि परी के माता-पिता द्वारा बार-बार आरोप लगाए जाने के बाद भी बीजद से जुड़े बाबुली का पॉलीग्राफ टेस्ट क्यों नहीं करवाया गया. उन्होंने कहा कि इस मामले की एसआईटी जांच निष्पक्ष नहीं है और इस पर सवाल उठना लाजमी है, ऐसे में इस मामले की जांच सीबीआई से करानी चाहिए.

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