भुवनेश्वर. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राज्य सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में कम छात्र होने की बात कर 14 हजार स्कूलों को बंद करने के निर्णय का विरोध किया है। परिषद ने कहा है कि यह निर्णय ओडिशा के गरीब छात्र- छात्राओं को मौलिक शिक्षा से बंचित रखने की साजिश है। परिषद ने इस छात्र विरोधी निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की है। अन्यथा परिषद ने इसके खिलाफ छात्र आंदोलन करने की धमकी दी है।
विद्यार्थी परिषद के प्रदेश सचिव शशिकांत मिश्र ने कहा कि वर्तमान में नई शिक्षा नीति को लेकर गुणवत्ता संपन्न शिक्षा के लिए जब पूरा देश तैयार हो रहा है, ऐसे में राज्य सरकार उड़िया छात्र-छात्राओं के भविष्य को अंधेरे में डालने की साजिश रच रही है। राज्य में 14000 विद्यालयों को बंद करने के लिए राज्य सरकार ने जो निर्णय लिया लिया है, उससे राज्य के गरीब बच्चे पढ़ाई से वंचित होंगे। उन्होंने आरोप लगया कि राज्य सरकार के सांठगांठ से राज्य के निजी विद्यालय लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य के विद्यालय व जनशिक्षा मंत्री समीर रंजन दास कह रहे हैं कि शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार हेतु सरकार विद्यालय को बंद कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह दावा हास्यास्पद है। उन्होंने कहा कि राज्य के विद्यालयों में अपना भवन नहीं है। शिक्षक महीनों तक सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार गुणवत्ता वाला शिक्षा कैसे प्रदान कर सकती है। उन्होंने कहा कि दूरदराज व पहाड़ी इलाकों में रहने वाले गरीब छात्र अपने गांव के स्कूलों में पढ़ने से बंचित होंगे तथा गर्मी-बरसात में पढ़ाई करने के लिए दूर स्थित स्कूलों में कैसे जाएंगे। इससे ड्राप आउट की दर बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पूरे राज्य को भुवनेश्वर मान कर नीति बना रही है। उन्होंने कहा है कि यदि छात्रों के हितों के खिलाफ इस निर्णय को राज्य सरकार नहीं बदलती तो आगामी दिनों में राज्य सरकार खिलाफ एक विशाल छात्र आंदोलन होगा। इसलिए राज्य सरकार को तैयार रहना चाहिए।