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मूकदर्शक बना जिला प्रशासन, पीएम और सीएम की अपील भी दरकिनार
गोविंद राठी, बालेश्वर
कोरोना का प्रकोप चरम पर होने के बीच बालेश्वर उपचुनाव में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कल कोरोना के फैलने की संभावना को लेकर चिंता जाहिर की और दोनों ने सावधानियों के प्रति जागरूकता फैलाने और सतर्क करने के लिए जनता को संबोधित किया, लेकिन यहां बालेश्वर उपचुनाव के दौरान दोनों की अपील दरकिनार दिख रही है. कोविद नियमों की अनदेखी जनता के बीच चर्चा का कारण बन गयी है. एक तरफ कोरोना महामारी और दूसरी तरफ उपचुनाव. एक ही समय में इन दोनों के बीच तालमेल बैठाना निश्चित रूप से एक कठिन कार्य है, लेकिन जीवन रक्षा के लिए कड़े नियम लागू किए गए हैं और सभी व्यवस्थाएं की गई हैं. हालांकि, इन नियमों को लागू करने के लिए जिन्हें जिम्मेदारियां दी गयी हैं, वे इस समय धृतराष्ट्र की तरह बैठे हैं. बालेश्वर जिला प्रशासन को ऐसे ही विकट स्थिति में देखा जा रहा है. बालेश्वर जिले में कोरोना से संक्रमित पहले मरीज की पहचान 17 मार्च को की गयी थी. स्वास्थ्य व परिवार कल्याण की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में कोरोना से अब तक कुल 9,586 लोग पाजिटिव हो चुके हैं. इनमें से 8,631 लोग स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि 68 लोगों की मौत हो चुकी है.
जिले में अब भी 887 मामले सक्रिय है. इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और सरकार ने चेतावनी दी है कि सर्दी के दिनों में कोरोना का प्रकोप तेज होने की संभावना है, लेकिन उपचुनाव में भीड़ भी एक चुनौती बन गयी है. हालांकि चुनाव आयोग ने इस स्थिति में जिले में उपचुनाव सुचारू तरीके से करवाने के लिए एक निर्देशनामा जारी किया है. इस संबंध में बालेश्वर जिला अधिकारी ने इस महीने की आठ तारीख को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और इस बारे में जानकारी दी. जिले में आचार संहिता के पालन के बारे में उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को उप-चुनावों के लिए जारी किए गए कोविद के दिशानिर्देशों के अनुसार, बैठकें और सभाएं करने की अनुमति होगी. अभियान या जुलूस के दौरान उम्मीदवार पांच लोगों और उनके साथ पांच से अधिक वाहनों का उपयोग नहीं कर सकते हैं. शहर के आठ स्थानों को बैठक के लिए चुना गया है, लेकिन किसी अन्य स्थान की अनुमति नहीं दी जाएगी.
इसके अलावा, कार्यक्रम स्थल पर भीड़ अधिकतम 100 लोगों तक सीमित रहेगी. इसकी देखरेख के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक विशेष दस्ते का गठन किया गया, जबकि जिला आयुक्त ने राजनीतिक दलों और अधिकारियों को कानून के अनुपालन में निष्पक्ष जिम्मेदारी लेने की सलाह दी, लेकिन इस पर अब किसी भी राजनीतिक दल को गंभीर नहीं देखा गया है. प्रशासन का कोरोना नियम कहां गया, जनता पूछ रही है. चुनाव प्रचार जोरों पर है. शहर के विभिन्न कल्याण मंडपों, होटलों और बस्तियों में आयोजित होने वाली सभाओं एवं रैलियों में सैकड़ों लोग दिन-रात जमा हो रहे हैं. भोज भी चल रहा है. बस नहीं दिख रही है तो कोरोना को लेकर गंभीरता.