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शिक्षा नीति को वापस लेने व अन्य मांगों को लेकर 30 सितबंर को होगा आंदोलन
भुवनेश्वर. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से देश की शिक्षा व्यवस्था को भारी नुकसान होगा, क्योंकि इसमें विदेशी विश्वविद्यालयों को अपने कैंपस भारत में खोलने के लिए आमंत्रित करने की बात कही गई है. इस शिक्षा नीति को वापस लेने तथा विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों के अन्य मांगों को लेकर आगामी 30 सितंबर को पूरे देश के विश्वविद्यालयों में दो घंटे की हड़ताल की जाएगी. आल इंडिया यूनिवर्सिटी एंप्लाइज कान्फेडरेशन के अध्यक्ष तथा पूर्व सांसद भवानी शंकर होता ने एक बयान जारी कर यह बात कही. होता ने कहा कि विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालयों तक शिक्षा का निजीकरण करने से समाज के कमजोर वर्ग तथा मध्यम वर्ग के बच्चे शिक्षा से बंचित होंगे. उन्होंने कहा कि एआईयूईसी शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च करने संबंधी घोषणा का स्वागत करती है, लेकिन सरकारों के पिछले ट्रैक रिकार्डों को देखने पर इस पर विश्वास करना कठिन है कि इतनी राशि शिक्षा के लिए खर्च की जाएगी. उन्होंने कहा कि पिछले साल इस शिक्षा नीति के मसौदे को लेकर उत्तराखंड के नैनिताल विश्वविद्यालय में एआईयूईसी ने एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन कर इस पर चर्चा की थी. इस सेमिनार के बाद सरकार से मांग की गई थी कि इस पर और चर्चा की जाए या फिर इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया जाएगा. गत 2019 के 6 नवंबर को विभिन्न विश्वविद्यालयों में इसके खिलाफ अखिल भारतीय प्रतिवाद दिवस मनाया गया था तथा उनके संगठन द्वारा इसे लेकर सैकडों ज्ञापन प्रधानमंत्री के पास भेजा गया था. उन्होंने बताया कि इस शिक्षा नीति को वापस लेने व विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों के अन्य मांगों को लेकर आगामी 30 सितंबर को पूरे देश के विश्वविद्यालयों में दो घंटे की हड़ताल की जाएगी. अब तक मिली रिपोर्ट के अनुसार, देश के कम से कम दो सौ विश्वविद्यालय में उस दिन दो घंटों के लिए हड़ताल का आयोजन किया जाएगा.