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रूस के अंतर्राष्ट्रीय ​युद्धाभ्यास से पीछे हटा भारत

  • दक्षिण रूस के अस्त्रखान क्षेत्र में 15 से 26 सितम्बर के बीच ​​​​​​होना है युद्धाभ्यास  

  • चीन-पाकिस्तान के ​अलावा शंघाई सहयोग संगठन के 11 अन्य सदस्य देश हिस्सा लेंगे 

नई दिल्ली​​। पूर्वी लद्दाख में चीन ​और एलओसी​ पर पाकिस्तान से ​चल रही तनातनी को देखते हुए भारत अगले माह रूस में होने वाले युद्धाभ्यास में शामिल नहीं होगा​ इसमें हिस्सा लेने चीनी और पाकिस्तानी सेना भी जा ​रही हैं। दक्षिणी रूस के अस्त्रखान क्षेत्र में होने वाले वॉरगेम्स में ​न जाने का निर्णय लेने के ​पीछे भारतीय अधिकारियों ने वैश्विक ​कोविड​-19 की बिगड़ती स्थिति को भी ध्यान में रखा है​​।​
 
​​​​दक्षिण रूस के अस्त्रखान क्षेत्र में 15 से 26 सितम्बर के बीच ​​​​​​युद्धाभ्यास आयोजित किया जाएगा। इसमें ​​शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य चीन, पाकिस्तान, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान समेत ​​11 देश हिस्सा लेंगे। इसके अलावा इस ड्रिल में मंगोलिया, सीरिया, ईरान, मिस्र, बेलारूस, तुर्की, आर्मेनिया, अबकाज़िया, दक्षिण ओसेतिया, अजरबैजान और तुर्कमेनिस्तान भी शामिल होंगे। अगले महीने होने वाले ​​इस ​​युद्धाभ्यास में मेजबान रूस सहित ​​19 काउंटी देश शामिल होंगे। सारे देशों को मिलाकर इस अभ्यास में 12 हजार 500 से अधिक सैनिक भाग लेंगे​​​ रूस ​ने इस युद्धाभ्यास में भाग लेने के लिए भारत को भी तीनों सेनाओं की लगभग 200 कर्मियों की टुकड़ी के साथ आमंत्रित किया था।​ पिछले साल इस युद्धाभ्यास में भारत, पाकिस्तान और सभी एससीओ सदस्य देशों ​ने भागीदारी ​की ​थी।
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​रक्षा मंत्रालय में शनिवार को हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा स्टाफ के प्रमुख जनरल बिपिन रावत मौजूद थे। बैठक में चर्चा की गई कि दक्षिण रूस के अस्त्रखान क्षेत्र में होने वाले युद्धाभ्यास में इसलिए भाग लेना सही नहीं होगा, क्योंकि इसमें चीनी और पाकिस्तानी सेनाएं भी शामिल हो रही हैं। चीन के साथ चल रहे टकराव के चलते पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की सेनाएं हाई अलर्ट पर है, इसलिए हमारे लिए बहुपक्षीय युद्धाभ्यास में भाग लेने के लिए जाना सही नहीं होगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए 4-6 सितम्बर को रूस जायेंगे। राजनाथ सिंह की वहां चीनी रक्षा मंत्री के साथ वार्ता करने की कोई योजना नहीं है। इस बैठक में भारत पूर्वी लद्दाख में चीन की विस्तारवादी नीतियों का मुद्दा उठा सकता है।
 
भारत और चीनी सेनाओं के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चार महीने से ज्यादा लंबे समय से गतिरोध बना हुआ है। बातचीत के कई स्तरों के बावजूद लद्दाख में तनाव कम करने में सफलता नहीं मिली है और अभी टकराव बरकरार है। लद्दाख से लेकर अरुणाचल, उत्तराखंड, सिक्किम में दोनों तरफ से सैनिकों और हथियारों का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में भी सीमा पर पाकिस्तान के साथ हालात ठीक नहीं है। सीमा पर लगातार सीज फायर उल्लंघन और पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की घटनाएं बढ़ रही हैं। भारत ने एलओसी पर लड़ाकू विमान तेजस तैनात कर रखा है और सीमा पर हाई अलर्ट रखा गया है। 
साभार- हिस

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