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छद्म बुद्धिजीवियों के खिलाफ बौद्धिक युद्ध का मुकाबला करने के लिए शिक्षक प्रिंट मीडिया में योगदान दें : प्रफुल्ल केतकर

भुवनेश्वर. “शिक्षक समाज के सबसे बुद्धिजीवी वर्ग से आते हैं, उन्हें भारत में कुछ निहित स्वार्थी लेखकों द्वारा चलाए जा रहे बौद्धिक युद्ध का मुकाबला करने के लिए प्रिंट मीडिया में अपना योगदान देना चाहिए”. उक्त बातें वरिष्ठ पत्रकार और सबसे पुराने समाचार पत्रों में से एक “आर्गेनाइजर” (साप्ताहिक) के सम्पादक प्रफुल्ल केतकर ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा आयोजित एक वर्चुअल “मीडिया कार्यशाला” को संबोधित करते हुए कही. अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा आयोजित उक्त कार्यशाला में विभिन्न राज्यों व विश्वविद्यालयों के मीडिया विंग के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. इस तीन दिवसीय मीडिया कार्यशाला का शुभारंभ “सरस्वती वंदना” और स्वागत भाषण के साथ हुआ. स्वागत भाषण एबीआरएसएम के अखिल भारतीय मीडिया प्रमुख विजय कुमार सिंह ने दिया एवं कार्यशाला की प्रस्तावना भी रखी. केतकर ने कहा कि ऐसे रचनात्मक और राष्ट्रवादी लेखकों की कमी है जो समाज का मार्गदर्शन करते हैं और देश में राष्ट्रवाद और सौहार्द का वातावरण बनाते हैं. केवल शिक्षकों का समुदाय ही ऐसा माहौल बनाने की क्षमता रखता है. केतकर ने आगे कहा कि समाज का मार्गदर्शन करने वाले शिक्षकों को शिक्षा क्षेत्र से संबंधित डेटा एकत्र करने में समय देना चाहिए और महत्वपूर्ण विषयों पर लिखना चाहिए, जो अंततः नीति निर्माताओं को विभिन्न नीतियों को बनाने में मदद करता है. उन्होंने भारत में डिजिटल शिक्षा और डिजिटल डिवाइस के भविष्य पर भी बात की और शिक्षकों को शिक्षा क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए खुद को सुसज्जित करने के लिए कहा। एक प्रश्न-उत्तर सत्र भी आयोजित किया गया था, जहां विभिन्न राज्यों के प्रतिभागियों ने प्रिंट मीडिया के उपयोग से संबंधित कुछ प्रश्न भी पूछे, जिसका उत्तर प्रफुल्ल केतकर ने दिया था. एबीआरएसएम मीडिया प्रकोष्ठ के सह प्रमुख बसंत जिंदल ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया. कार्यशाला की कार्यवाही का संचालन एबीआरएसएम मीडिया प्रकोष्ठ के अखिल भारतीय सह प्रमुख दर्शन भारती द्वारा किया गया.

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