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चूल्हा-चौके पर पड़ रहा है असर
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सरकारों पर लगा इस वर्ग से पक्षपात करने का आरोप
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गरीबों के लिए फ्री में राशन, उद्योगपतियों के लिए टॉपअप लोन, लेकिन मध्यम श्रेणी के लिए क्या मिल रहा ?
शैलेश कुमार वर्मा, कटक
कोरोना वायरस के कारण अचानक लाकडाउन के निर्णय के खिलाफ अब मध्यम वर्ग के लोगों में गुस्सा पनपते हुए देखने को मिल रहा है. मध्यम वर्ग के लोगों एवं श्रमिक वर्ग के लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. मध्यम वर्ग के लोगों के चूल्हे-चौके पर भी बंद का असर देखने को मिल रहा है. लगातार लाकडाउन के कारण मध्यम वर्ग के लोगों के न सिर्फ वेतन पर असर पड़ा है, बल्कि खर्चे भी बढ़ गये हैं. अगर आलम यही रहा तो जो चूल्हा जल रहा है, वह भी बंद हो जाएगा. मध्यम वर्ग में ज्यादातर नौकरी-पेशे और छोटे-मोटे दुकानदार आते हैं. इस श्रेणी के मजदूर भी लाकडाउन का मार झेल रहे हैं. कुल लोग तो शुरू में पलायन कर गये तो कुछ बुलंद हौसले के कारण टिके रहे. अब गहराते संकट के कारण यह भी रूकने के निर्णय को गलत मान रहे हैं.
ओडिशा में लाकडाउन के कारण मध्यम वर्ग की आय पर असर पड़ा है. 20 फीसदी से लेकर 50 फीसदी तक वेतन में कटौती हो रही है. इस स्थिति में आलम आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपइया वाला हो गया है. जो कुछ दुकानों या शापिंग माल में काम करते थे, वह लाकडाउन के कारण बीते मार्च से ही लगभग बंद पड़े हैं. कुछ दुकानें खुली भी थीं, तो उनका बिक्री बट्टा नहीं के बराबर रहा. महीनों-महीनों लगातार बंद होने के कारण मध्यवर्गीय परिवार चिंतित हो गया है. मध्यम वर्गीय लोगों ने सरकार पर पक्षपात का आरोप भी लगाया है. कुछ मध्यवर्गीय परिवारों के लोगों ने नाम ना छापने की शर्त पर अपनी दुर्दशा बयां की. वेतन कटौती से लेकर, चूल्हे-चौकी पर असर पड़ने की बातें उभर सामने आयीं. साथ ही लोगों के अंदर पनप रहे गुस्से को भी देखने को मिला. उनका कहना था कि अभी तक कि परिस्थिति इस प्रकार हो गई है कि घर में एक टाइम भी चूल्हा जलना बड़ा कठिन सा लग रहा है. ऐसे में सरकार की पक्षपात ऐसे लोगों के गुस्से को बढ़ा रहा है. लोगों का कहना है कि सरकार गरीबों के लिए फ्री में राशन दे रही है और ऊपरी वर्ग के लोगों को टॉपअप लोन दे रही है, लेकिन मध्यम वर्ग को क्या दे रही है. ऐसे वर्ग के लोगों को बैंक भी लोन देने से मना कर रहे हैं. वेतन कटौती के कारण बैंकों ने पर्सनल लोन भी देने से मना कर रहे हैं. बैंकों के कर्मचारियों का कहना है कि लाकडाउन के कारण वेतन कटौती को देखते हुए नियमों में परिवर्तन कर दिया गया है. लोन के लिए न्यूनत वेतन के स्लैब को बढ़ा दिया गया है. ऐसी स्थिति में वेतन कटौती के कारण लोग लोन से भी वंचित हो रहे हैं. इससे मध्यम वर्ग के लोगों में गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है.